BH/Prabhupada 1072 - एह संसार के छोड़ के सनातन धाम में शाश्वत जीवन जीये के चाहीं: Difference between revisions

(Created page with "<!-- BEGIN CATEGORY LIST --> Category:1080 Bhojpuri Pages with Videos Category:Prabhupada 1072 - in all Languages Category:BH-Quotes - 1966 Category:BH-Quotes -...")
 
(Vanibot #0019: LinkReviser - Revised links and redirected them to the de facto address when redirect exists)
 
Line 10: Line 10:
[[Category:Bhojpuri Language]]
[[Category:Bhojpuri Language]]
<!-- END CATEGORY LIST -->
<!-- END CATEGORY LIST -->
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{1080 videos navigation - All Languages|Bhojpuri|BH/Prabhupada 1071 - भगवान के संगति , भगवान् के साथ मित्रता , भी आनन्द देबेला|1071|BH/Prabhupada 1073 - जब तक ले हमनीं का प्रकृति पर कब्जा करे के आदत ना छोड़ देहब|1073}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
<!-- BEGIN ORIGINAL VANIQUOTES PAGE LINK-->
<!-- BEGIN ORIGINAL VANIQUOTES PAGE LINK-->
<div class="center">
<div class="center">
Line 22: Line 25:


<!-- BEGIN AUDIO LINK -->
<!-- BEGIN AUDIO LINK -->
<mp3player>File:660220BG-NEW_YORK_clip16.mp3</mp3player>
<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/clip/660220BG-NEW_YORK_clip16.mp3</mp3player>
<!-- END AUDIO LINK -->
<!-- END AUDIO LINK -->


Line 30: Line 33:


<!-- BEGIN TRANSLATED TEXT -->
<!-- BEGIN TRANSLATED TEXT -->
भगवान अपना दया भाव से श्यामसुन्दर रूप में दिखाई दिले . बुद्धू , अभागा लोग उनकर निन्दा करेला . अवजानन्ति माम मूढा: ([[Vanisource:BG 9.11|भ.गी. ९.११]]). भगवान हमनी का बीच में आ कर के लीला करत रहनी , आ उनकर रूप आदमी जईसन रहे , त उनका के साधारन आदमी ना बूझे के चाहीं . भगवान सब कुछ कर सकत बानी , एही से हमनीं के बीच अपना असली रूप में आ जायीले आ ओही लीला के दुहरा दीले जे वैकुण्ठ में होत रहेला . भगवान के ब्रह्म ज्योति में अनगिनत ग्रह आ तारा बा . जईसे सूरज के रोशनी में अनगिनत कण दिखाई देला , वैसे ही ब्रह्म ज्योति में , जे कृष्ण के लोक गोलोक से निकलेला , आनन्द चिन्मय रस प्रतिभाविताभिः ( ब्र सं ५.३७) , उ सब ग्रह आध्यात्मिक ग्रह ह . उ आनंद चिन्मय भी ह ; सांसारिक ग्रह ना ह जहां कष्ट भरल बा . एही से भगवान कहत बनीं जे ,  
भगवान अपना दया भाव से श्यामसुन्दर रूप में दिखाई दिले . बुद्धू , अभागा लोग उनकर निन्दा करेला . अवजानन्ति माम मूढा: ([[Vanisource:BG 9.11 (1972)|भ.गी. ९.११]]). भगवान हमनी का बीच में आ कर के लीला करत रहनी , आ उनकर रूप आदमी जईसन रहे , त उनका के साधारन आदमी ना बूझे के चाहीं . भगवान सब कुछ कर सकत बानी , एही से हमनीं के बीच अपना असली रूप में आ जायीले आ ओही लीला के दुहरा दीले जे वैकुण्ठ में होत रहेला . भगवान के ब्रह्म ज्योति में अनगिनत ग्रह आ तारा बा . जईसे सूरज के रोशनी में अनगिनत कण दिखाई देला , वैसे ही ब्रह्म ज्योति में , जे कृष्ण के लोक गोलोक से निकलेला , आनन्द चिन्मय रस प्रतिभाविताभिः ( ब्र सं ५.३७) , उ सब ग्रह आध्यात्मिक ग्रह ह . उ आनंद चिन्मय भी ह ; सांसारिक ग्रह ना ह जहां कष्ट भरल बा . एही से भगवान कहत बनीं जे ,  


:न तद भासयते सूर्यः  
:न तद भासयते सूर्यः  
Line 36: Line 39:
:यद् गत्वा न निवर्तन्ते  
:यद् गत्वा न निवर्तन्ते  
:तद धाम परमम् मम  
:तद धाम परमम् मम  
:([[Vanisource:BG 15.6|भ गी १५.६]])
:([[Vanisource:BG 15.6 (1972)|भ गी १५.६]])


अब केहू भी ओह आध्यात्मिक आकाश में जा सकत बा ओह आध्य्यात्मिक आकाश से लौट के आवे के भी जरूरत ना होई . हमनीं के जब तक ले एह संसार में बानीं सन , तब तक ले चन्द्रमा ग्रह पहुँच जाईं उहे बहुत बा .... चन्द्रमा सबसे नियरा के ग्रह बाडन , लेकिन हमनीं के ओह से भी उंच ग्रह पर जा सकत बानीं , जेकरा के ब्रह्म लोक कहल जाला , लेकिन ओह जगहा भी एह संसार के झंझट बा. , कहे के मतलब जे , जन्म , मरण , बुढापा , आ बेमारी . भौतिक ब्रह्माण्ड में कवनो भी ग्रह, धरती वाला एह चार तकलीफ से मुक्त नईखे . एही कारने भगवान के गीता में वचन बा , आब्रह्म भुवनान लोका: पुनरवार्तिनो अर्जुन ([[Vanisource:BG 8.16|भ गी ८.१६]]). जेतना प्राणी लोग बा , उ एक ग्रह से दोसरा ग्रह में घूमत रहेला . इ इतना आसान नईखे कि दन से राकेट मशीन में बईठ गईनीं आ ओह जा पहुँच गईनी . ओह जगह जाए के विशेष तरीका बा . यान्ति देव व्रता देवान पितृन यान्ति पितृ व्रता ([[Vanisource:BG 9.25|भ गी ९.२५]]) . केहू का दोसरा ग्रह में , जैसे चन्द्रमा ग्रह पर , त, ओह जा राकेट से जाए के कोशिश करे के जरूरत नईखे . भगवद गीता के शिक्षा ह , यान्ति देव व्रता: देवान . धरती का ऊपर के चन्द्रमा, सूरज जईसन ग्रह स्वर्गलोक कहल जाला . स्वर्ग लोक . भू लोक, भुवर्लोक , स्वर्ग लोक . ग्रह के तीन स्थिति ह . त, देव लोक, ओही तरह के एक अलग ग्रह होला. उच्च ग्रह देवलोक , में जाए खातिर भगवद गीता में बहुत आसान तरीका दिहल बा . यान्ति देव-व्रता देवान. यान्ति देव-व्रता देवान. देव व्रता . अगर कवनो ख़ास देवता के पूजा कईल शुरू कईल जाव , त, ओह ग्रह पर पहुचल जा सकता. सूर्य ग्रह पर भी जाईल जा सकता , चन्द्रमा पर भी , स्वर्ग के कवनो ग्रह पर भी , लेकिन , भगवद गीता के सलाह कवनो सांसारिक ग्रह पर जाए खातिर नईखे , काहे कि, सबसे ऊपर के ग्रह ब्रह्म लोक पर भी जाईल संभव बा , वैज्ञानिक लोक जोडले बा कि , राकेट से गईला पर ४०,००० साल में ओह जा पहुंचल जा सकता . अब ४०,००० साल आदमी के ज़िंदा रहल, आ ओह ग्रह पर पहुचल , त मुश्किल बा , लेकिन केहू ओह देवता के पूजा करे त ओह ग्रह पर पहुँच गईल संभव बा , भगवद गीता में कहल बा , यान्ति देव व्रता देवान पितृन यान्ति पितृ व्रता: ([[Vanisource:BG 9.25|भ गी ९.२५]]). ओही तरीका के पितृ लोक होखे ला . अब केहू का मन होखे सबसे उच्च ग्रह पर जाए के , सर्वोच्च ग्रह ... सर्वोच्च ग्रह माने कृष्ण लोक. आध्यात्मिक आकाश में अनगिनत ग्रह बा. सनातन ग्रह , शाश्वत ग्रह, जेकर कभी विनाश ना होखे ला , ओह जगह प्रलय ना होला . ओह सब आध्यात्मिक ग्रह में, एक ग्रह बा , अनादि ग्रह , जेह के गोलोक वृन्दावन कहल जाला . त, इ सब सूचना गीता में बा , आ हमनी के सुअवसर भी बा कि, एह भौतिक संसार के छोड़ के शाश्वत धाम के सुखमय जीवन में चल जाईं.
अब केहू भी ओह आध्यात्मिक आकाश में जा सकत बा ओह आध्य्यात्मिक आकाश से लौट के आवे के भी जरूरत ना होई . हमनीं के जब तक ले एह संसार में बानीं सन , तब तक ले चन्द्रमा ग्रह पहुँच जाईं उहे बहुत बा .... चन्द्रमा सबसे नियरा के ग्रह बाडन , लेकिन हमनीं के ओह से भी उंच ग्रह पर जा सकत बानीं , जेकरा के ब्रह्म लोक कहल जाला , लेकिन ओह जगहा भी एह संसार के झंझट बा. , कहे के मतलब जे , जन्म , मरण , बुढापा , आ बेमारी . भौतिक ब्रह्माण्ड में कवनो भी ग्रह, धरती वाला एह चार तकलीफ से मुक्त नईखे . एही कारने भगवान के गीता में वचन बा , आब्रह्म भुवनान लोका: पुनरवार्तिनो अर्जुन ([[Vanisource:BG 8.16 (1972)|भ गी ८.१६]]). जेतना प्राणी लोग बा , उ एक ग्रह से दोसरा ग्रह में घूमत रहेला . इ इतना आसान नईखे कि दन से राकेट मशीन में बईठ गईनीं आ ओह जा पहुँच गईनी . ओह जगह जाए के विशेष तरीका बा . यान्ति देव व्रता देवान पितृन यान्ति पितृ व्रता ([[Vanisource:BG 9.25 (1972)|भ गी ९.२५]]) . केहू का दोसरा ग्रह में , जैसे चन्द्रमा ग्रह पर , त, ओह जा राकेट से जाए के कोशिश करे के जरूरत नईखे . भगवद गीता के शिक्षा ह , यान्ति देव व्रता: देवान . धरती का ऊपर के चन्द्रमा, सूरज जईसन ग्रह स्वर्गलोक कहल जाला . स्वर्ग लोक . भू लोक, भुवर्लोक , स्वर्ग लोक . ग्रह के तीन स्थिति ह . त, देव लोक, ओही तरह के एक अलग ग्रह होला. उच्च ग्रह देवलोक , में जाए खातिर भगवद गीता में बहुत आसान तरीका दिहल बा . यान्ति देव-व्रता देवान. यान्ति देव-व्रता देवान. देव व्रता . अगर कवनो ख़ास देवता के पूजा कईल शुरू कईल जाव , त, ओह ग्रह पर पहुचल जा सकता. सूर्य ग्रह पर भी जाईल जा सकता , चन्द्रमा पर भी , स्वर्ग के कवनो ग्रह पर भी , लेकिन , भगवद गीता के सलाह कवनो सांसारिक ग्रह पर जाए खातिर नईखे , काहे कि, सबसे ऊपर के ग्रह ब्रह्म लोक पर भी जाईल संभव बा , वैज्ञानिक लोक जोडले बा कि , राकेट से गईला पर ४०,००० साल में ओह जा पहुंचल जा सकता . अब ४०,००० साल आदमी के ज़िंदा रहल, आ ओह ग्रह पर पहुचल , त मुश्किल बा , लेकिन केहू ओह देवता के पूजा करे त ओह ग्रह पर पहुँच गईल संभव बा , भगवद गीता में कहल बा , यान्ति देव व्रता देवान पितृन यान्ति पितृ व्रता: ([[Vanisource:BG 9.25 (1972)|भ गी ९.२५]]). ओही तरीका के पितृ लोक होखे ला . अब केहू का मन होखे सबसे उच्च ग्रह पर जाए के , सर्वोच्च ग्रह ... सर्वोच्च ग्रह माने कृष्ण लोक. आध्यात्मिक आकाश में अनगिनत ग्रह बा. सनातन ग्रह , शाश्वत ग्रह, जेकर कभी विनाश ना होखे ला , ओह जगह प्रलय ना होला . ओह सब आध्यात्मिक ग्रह में, एक ग्रह बा , अनादि ग्रह , जेह के गोलोक वृन्दावन कहल जाला . त, इ सब सूचना गीता में बा , आ हमनी के सुअवसर भी बा कि, एह भौतिक संसार के छोड़ के शाश्वत धाम के सुखमय जीवन में चल जाईं.
<!-- END TRANSLATED TEXT -->
<!-- END TRANSLATED TEXT -->

Latest revision as of 21:44, 8 June 2018



660219-20 - Lecture BG Introduction - New York

भगवान अपना दया भाव से श्यामसुन्दर रूप में दिखाई दिले . बुद्धू , अभागा लोग उनकर निन्दा करेला . अवजानन्ति माम मूढा: (भ.गी. ९.११). भगवान हमनी का बीच में आ कर के लीला करत रहनी , आ उनकर रूप आदमी जईसन रहे , त उनका के साधारन आदमी ना बूझे के चाहीं . भगवान सब कुछ कर सकत बानी , एही से हमनीं के बीच अपना असली रूप में आ जायीले आ ओही लीला के दुहरा दीले जे वैकुण्ठ में होत रहेला . भगवान के ब्रह्म ज्योति में अनगिनत ग्रह आ तारा बा . जईसे सूरज के रोशनी में अनगिनत कण दिखाई देला , वैसे ही ब्रह्म ज्योति में , जे कृष्ण के लोक गोलोक से निकलेला , आनन्द चिन्मय रस प्रतिभाविताभिः ( ब्र सं ५.३७) , उ सब ग्रह आध्यात्मिक ग्रह ह . उ आनंद चिन्मय भी ह ; सांसारिक ग्रह ना ह जहां कष्ट भरल बा . एही से भगवान कहत बनीं जे ,

न तद भासयते सूर्यः
न शाशांको न पावकः
यद् गत्वा न निवर्तन्ते
तद धाम परमम् मम
(भ गी १५.६)

अब केहू भी ओह आध्यात्मिक आकाश में जा सकत बा ओह आध्य्यात्मिक आकाश से लौट के आवे के भी जरूरत ना होई . हमनीं के जब तक ले एह संसार में बानीं सन , तब तक ले चन्द्रमा ग्रह पहुँच जाईं उहे बहुत बा .... चन्द्रमा सबसे नियरा के ग्रह बाडन , लेकिन हमनीं के ओह से भी उंच ग्रह पर जा सकत बानीं , जेकरा के ब्रह्म लोक कहल जाला , लेकिन ओह जगहा भी एह संसार के झंझट बा. , कहे के मतलब जे , जन्म , मरण , बुढापा , आ बेमारी . भौतिक ब्रह्माण्ड में कवनो भी ग्रह, धरती वाला एह चार तकलीफ से मुक्त नईखे . एही कारने भगवान के गीता में वचन बा , आब्रह्म भुवनान लोका: पुनरवार्तिनो अर्जुन (भ गी ८.१६). जेतना प्राणी लोग बा , उ एक ग्रह से दोसरा ग्रह में घूमत रहेला . इ इतना आसान नईखे कि दन से राकेट मशीन में बईठ गईनीं आ ओह जा पहुँच गईनी . ओह जगह जाए के विशेष तरीका बा . यान्ति देव व्रता देवान पितृन यान्ति पितृ व्रता (भ गी ९.२५) . केहू का दोसरा ग्रह में , जैसे चन्द्रमा ग्रह पर , त, ओह जा राकेट से जाए के कोशिश करे के जरूरत नईखे . भगवद गीता के शिक्षा ह , यान्ति देव व्रता: देवान . धरती का ऊपर के चन्द्रमा, सूरज जईसन ग्रह स्वर्गलोक कहल जाला . स्वर्ग लोक . भू लोक, भुवर्लोक , स्वर्ग लोक . ग्रह के तीन स्थिति ह . त, देव लोक, ओही तरह के एक अलग ग्रह होला. उच्च ग्रह देवलोक , में जाए खातिर भगवद गीता में बहुत आसान तरीका दिहल बा . यान्ति देव-व्रता देवान. यान्ति देव-व्रता देवान. देव व्रता . अगर कवनो ख़ास देवता के पूजा कईल शुरू कईल जाव , त, ओह ग्रह पर पहुचल जा सकता. सूर्य ग्रह पर भी जाईल जा सकता , चन्द्रमा पर भी , स्वर्ग के कवनो ग्रह पर भी , लेकिन , भगवद गीता के सलाह कवनो सांसारिक ग्रह पर जाए खातिर नईखे , काहे कि, सबसे ऊपर के ग्रह ब्रह्म लोक पर भी जाईल संभव बा , वैज्ञानिक लोक जोडले बा कि , राकेट से गईला पर ४०,००० साल में ओह जा पहुंचल जा सकता . अब ४०,००० साल आदमी के ज़िंदा रहल, आ ओह ग्रह पर पहुचल , त मुश्किल बा , लेकिन केहू ओह देवता के पूजा करे त ओह ग्रह पर पहुँच गईल संभव बा , भगवद गीता में कहल बा , यान्ति देव व्रता देवान पितृन यान्ति पितृ व्रता: (भ गी ९.२५). ओही तरीका के पितृ लोक होखे ला . अब केहू का मन होखे सबसे उच्च ग्रह पर जाए के , सर्वोच्च ग्रह ... सर्वोच्च ग्रह माने कृष्ण लोक. आध्यात्मिक आकाश में अनगिनत ग्रह बा. सनातन ग्रह , शाश्वत ग्रह, जेकर कभी विनाश ना होखे ला , ओह जगह प्रलय ना होला . ओह सब आध्यात्मिक ग्रह में, एक ग्रह बा , अनादि ग्रह , जेह के गोलोक वृन्दावन कहल जाला . त, इ सब सूचना गीता में बा , आ हमनी के सुअवसर भी बा कि, एह भौतिक संसार के छोड़ के शाश्वत धाम के सुखमय जीवन में चल जाईं.