BH/Prabhupada 1072 - एह संसार के छोड़ के सनातन धाम में शाश्वत जीवन जीये के चाहीं: Difference between revisions
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भगवान अपना दया भाव से श्यामसुन्दर रूप में दिखाई दिले . बुद्धू , अभागा लोग उनकर निन्दा करेला . अवजानन्ति माम मूढा: ([[Vanisource:BG 9.11|भ.गी. ९.११]]). भगवान हमनी का बीच में आ कर के लीला करत रहनी , आ उनकर रूप आदमी जईसन रहे , त उनका के साधारन आदमी ना बूझे के चाहीं . भगवान सब कुछ कर सकत बानी , एही से हमनीं के बीच अपना असली रूप में आ जायीले आ ओही लीला के दुहरा दीले जे वैकुण्ठ में होत रहेला . भगवान के ब्रह्म ज्योति में अनगिनत ग्रह आ तारा बा . जईसे सूरज के रोशनी में अनगिनत कण दिखाई देला , वैसे ही ब्रह्म ज्योति में , जे कृष्ण के लोक गोलोक से निकलेला , आनन्द चिन्मय रस प्रतिभाविताभिः ( ब्र सं ५.३७) , उ सब ग्रह आध्यात्मिक ग्रह ह . उ आनंद चिन्मय भी ह ; सांसारिक ग्रह ना ह जहां कष्ट भरल बा . एही से भगवान कहत बनीं जे , | भगवान अपना दया भाव से श्यामसुन्दर रूप में दिखाई दिले . बुद्धू , अभागा लोग उनकर निन्दा करेला . अवजानन्ति माम मूढा: ([[Vanisource:BG 9.11 (1972)|भ.गी. ९.११]]). भगवान हमनी का बीच में आ कर के लीला करत रहनी , आ उनकर रूप आदमी जईसन रहे , त उनका के साधारन आदमी ना बूझे के चाहीं . भगवान सब कुछ कर सकत बानी , एही से हमनीं के बीच अपना असली रूप में आ जायीले आ ओही लीला के दुहरा दीले जे वैकुण्ठ में होत रहेला . भगवान के ब्रह्म ज्योति में अनगिनत ग्रह आ तारा बा . जईसे सूरज के रोशनी में अनगिनत कण दिखाई देला , वैसे ही ब्रह्म ज्योति में , जे कृष्ण के लोक गोलोक से निकलेला , आनन्द चिन्मय रस प्रतिभाविताभिः ( ब्र सं ५.३७) , उ सब ग्रह आध्यात्मिक ग्रह ह . उ आनंद चिन्मय भी ह ; सांसारिक ग्रह ना ह जहां कष्ट भरल बा . एही से भगवान कहत बनीं जे , | ||
:न तद भासयते सूर्यः | :न तद भासयते सूर्यः | ||
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:तद धाम परमम् मम | :तद धाम परमम् मम | ||
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अब केहू भी ओह आध्यात्मिक आकाश में जा सकत बा ओह आध्य्यात्मिक आकाश से लौट के आवे के भी जरूरत ना होई . हमनीं के जब तक ले एह संसार में बानीं सन , तब तक ले चन्द्रमा ग्रह पहुँच जाईं उहे बहुत बा .... चन्द्रमा सबसे नियरा के ग्रह बाडन , लेकिन हमनीं के ओह से भी उंच ग्रह पर जा सकत बानीं , जेकरा के ब्रह्म लोक कहल जाला , लेकिन ओह जगहा भी एह संसार के झंझट बा. , कहे के मतलब जे , जन्म , मरण , बुढापा , आ बेमारी . भौतिक ब्रह्माण्ड में कवनो भी ग्रह, धरती वाला एह चार तकलीफ से मुक्त नईखे . एही कारने भगवान के गीता में वचन बा , आब्रह्म भुवनान लोका: पुनरवार्तिनो अर्जुन ([[Vanisource:BG 8.16|भ गी ८.१६]]). जेतना प्राणी लोग बा , उ एक ग्रह से दोसरा ग्रह में घूमत रहेला . इ इतना आसान नईखे कि दन से राकेट मशीन में बईठ गईनीं आ ओह जा पहुँच गईनी . ओह जगह जाए के विशेष तरीका बा . यान्ति देव व्रता देवान पितृन यान्ति पितृ व्रता ([[Vanisource:BG 9.25|भ गी ९.२५]]) . केहू का दोसरा ग्रह में , जैसे चन्द्रमा ग्रह पर , त, ओह जा राकेट से जाए के कोशिश करे के जरूरत नईखे . भगवद गीता के शिक्षा ह , यान्ति देव व्रता: देवान . धरती का ऊपर के चन्द्रमा, सूरज जईसन ग्रह स्वर्गलोक कहल जाला . स्वर्ग लोक . भू लोक, भुवर्लोक , स्वर्ग लोक . ग्रह के तीन स्थिति ह . त, देव लोक, ओही तरह के एक अलग ग्रह होला. उच्च ग्रह देवलोक , में जाए खातिर भगवद गीता में बहुत आसान तरीका दिहल बा . यान्ति देव-व्रता देवान. यान्ति देव-व्रता देवान. देव व्रता . अगर कवनो ख़ास देवता के पूजा कईल शुरू कईल जाव , त, ओह ग्रह पर पहुचल जा सकता. सूर्य ग्रह पर भी जाईल जा सकता , चन्द्रमा पर भी , स्वर्ग के कवनो ग्रह पर भी , लेकिन , भगवद गीता के सलाह कवनो सांसारिक ग्रह पर जाए खातिर नईखे , काहे कि, सबसे ऊपर के ग्रह ब्रह्म लोक पर भी जाईल संभव बा , वैज्ञानिक लोक जोडले बा कि , राकेट से गईला पर ४०,००० साल में ओह जा पहुंचल जा सकता . अब ४०,००० साल आदमी के ज़िंदा रहल, आ ओह ग्रह पर पहुचल , त मुश्किल बा , लेकिन केहू ओह देवता के पूजा करे त ओह ग्रह पर पहुँच गईल संभव बा , भगवद गीता में कहल बा , यान्ति देव व्रता देवान पितृन यान्ति पितृ व्रता: ([[Vanisource:BG 9.25|भ गी ९.२५]]). ओही तरीका के पितृ लोक होखे ला . अब केहू का मन होखे सबसे उच्च ग्रह पर जाए के , सर्वोच्च ग्रह ... सर्वोच्च ग्रह माने कृष्ण लोक. आध्यात्मिक आकाश में अनगिनत ग्रह बा. सनातन ग्रह , शाश्वत ग्रह, जेकर कभी विनाश ना होखे ला , ओह जगह प्रलय ना होला . ओह सब आध्यात्मिक ग्रह में, एक ग्रह बा , अनादि ग्रह , जेह के गोलोक वृन्दावन कहल जाला . त, इ सब सूचना गीता में बा , आ हमनी के सुअवसर भी बा कि, एह भौतिक संसार के छोड़ के शाश्वत धाम के सुखमय जीवन में चल जाईं. | अब केहू भी ओह आध्यात्मिक आकाश में जा सकत बा ओह आध्य्यात्मिक आकाश से लौट के आवे के भी जरूरत ना होई . हमनीं के जब तक ले एह संसार में बानीं सन , तब तक ले चन्द्रमा ग्रह पहुँच जाईं उहे बहुत बा .... चन्द्रमा सबसे नियरा के ग्रह बाडन , लेकिन हमनीं के ओह से भी उंच ग्रह पर जा सकत बानीं , जेकरा के ब्रह्म लोक कहल जाला , लेकिन ओह जगहा भी एह संसार के झंझट बा. , कहे के मतलब जे , जन्म , मरण , बुढापा , आ बेमारी . भौतिक ब्रह्माण्ड में कवनो भी ग्रह, धरती वाला एह चार तकलीफ से मुक्त नईखे . एही कारने भगवान के गीता में वचन बा , आब्रह्म भुवनान लोका: पुनरवार्तिनो अर्जुन ([[Vanisource:BG 8.16 (1972)|भ गी ८.१६]]). जेतना प्राणी लोग बा , उ एक ग्रह से दोसरा ग्रह में घूमत रहेला . इ इतना आसान नईखे कि दन से राकेट मशीन में बईठ गईनीं आ ओह जा पहुँच गईनी . ओह जगह जाए के विशेष तरीका बा . यान्ति देव व्रता देवान पितृन यान्ति पितृ व्रता ([[Vanisource:BG 9.25 (1972)|भ गी ९.२५]]) . केहू का दोसरा ग्रह में , जैसे चन्द्रमा ग्रह पर , त, ओह जा राकेट से जाए के कोशिश करे के जरूरत नईखे . भगवद गीता के शिक्षा ह , यान्ति देव व्रता: देवान . धरती का ऊपर के चन्द्रमा, सूरज जईसन ग्रह स्वर्गलोक कहल जाला . स्वर्ग लोक . भू लोक, भुवर्लोक , स्वर्ग लोक . ग्रह के तीन स्थिति ह . त, देव लोक, ओही तरह के एक अलग ग्रह होला. उच्च ग्रह देवलोक , में जाए खातिर भगवद गीता में बहुत आसान तरीका दिहल बा . यान्ति देव-व्रता देवान. यान्ति देव-व्रता देवान. देव व्रता . अगर कवनो ख़ास देवता के पूजा कईल शुरू कईल जाव , त, ओह ग्रह पर पहुचल जा सकता. सूर्य ग्रह पर भी जाईल जा सकता , चन्द्रमा पर भी , स्वर्ग के कवनो ग्रह पर भी , लेकिन , भगवद गीता के सलाह कवनो सांसारिक ग्रह पर जाए खातिर नईखे , काहे कि, सबसे ऊपर के ग्रह ब्रह्म लोक पर भी जाईल संभव बा , वैज्ञानिक लोक जोडले बा कि , राकेट से गईला पर ४०,००० साल में ओह जा पहुंचल जा सकता . अब ४०,००० साल आदमी के ज़िंदा रहल, आ ओह ग्रह पर पहुचल , त मुश्किल बा , लेकिन केहू ओह देवता के पूजा करे त ओह ग्रह पर पहुँच गईल संभव बा , भगवद गीता में कहल बा , यान्ति देव व्रता देवान पितृन यान्ति पितृ व्रता: ([[Vanisource:BG 9.25 (1972)|भ गी ९.२५]]). ओही तरीका के पितृ लोक होखे ला . अब केहू का मन होखे सबसे उच्च ग्रह पर जाए के , सर्वोच्च ग्रह ... सर्वोच्च ग्रह माने कृष्ण लोक. आध्यात्मिक आकाश में अनगिनत ग्रह बा. सनातन ग्रह , शाश्वत ग्रह, जेकर कभी विनाश ना होखे ला , ओह जगह प्रलय ना होला . ओह सब आध्यात्मिक ग्रह में, एक ग्रह बा , अनादि ग्रह , जेह के गोलोक वृन्दावन कहल जाला . त, इ सब सूचना गीता में बा , आ हमनी के सुअवसर भी बा कि, एह भौतिक संसार के छोड़ के शाश्वत धाम के सुखमय जीवन में चल जाईं. | ||
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Latest revision as of 21:44, 8 June 2018
660219-20 - Lecture BG Introduction - New York
भगवान अपना दया भाव से श्यामसुन्दर रूप में दिखाई दिले . बुद्धू , अभागा लोग उनकर निन्दा करेला . अवजानन्ति माम मूढा: (भ.गी. ९.११). भगवान हमनी का बीच में आ कर के लीला करत रहनी , आ उनकर रूप आदमी जईसन रहे , त उनका के साधारन आदमी ना बूझे के चाहीं . भगवान सब कुछ कर सकत बानी , एही से हमनीं के बीच अपना असली रूप में आ जायीले आ ओही लीला के दुहरा दीले जे वैकुण्ठ में होत रहेला . भगवान के ब्रह्म ज्योति में अनगिनत ग्रह आ तारा बा . जईसे सूरज के रोशनी में अनगिनत कण दिखाई देला , वैसे ही ब्रह्म ज्योति में , जे कृष्ण के लोक गोलोक से निकलेला , आनन्द चिन्मय रस प्रतिभाविताभिः ( ब्र सं ५.३७) , उ सब ग्रह आध्यात्मिक ग्रह ह . उ आनंद चिन्मय भी ह ; सांसारिक ग्रह ना ह जहां कष्ट भरल बा . एही से भगवान कहत बनीं जे ,
- न तद भासयते सूर्यः
- न शाशांको न पावकः
- यद् गत्वा न निवर्तन्ते
- तद धाम परमम् मम
- (भ गी १५.६)
अब केहू भी ओह आध्यात्मिक आकाश में जा सकत बा ओह आध्य्यात्मिक आकाश से लौट के आवे के भी जरूरत ना होई . हमनीं के जब तक ले एह संसार में बानीं सन , तब तक ले चन्द्रमा ग्रह पहुँच जाईं उहे बहुत बा .... चन्द्रमा सबसे नियरा के ग्रह बाडन , लेकिन हमनीं के ओह से भी उंच ग्रह पर जा सकत बानीं , जेकरा के ब्रह्म लोक कहल जाला , लेकिन ओह जगहा भी एह संसार के झंझट बा. , कहे के मतलब जे , जन्म , मरण , बुढापा , आ बेमारी . भौतिक ब्रह्माण्ड में कवनो भी ग्रह, धरती वाला एह चार तकलीफ से मुक्त नईखे . एही कारने भगवान के गीता में वचन बा , आब्रह्म भुवनान लोका: पुनरवार्तिनो अर्जुन (भ गी ८.१६). जेतना प्राणी लोग बा , उ एक ग्रह से दोसरा ग्रह में घूमत रहेला . इ इतना आसान नईखे कि दन से राकेट मशीन में बईठ गईनीं आ ओह जा पहुँच गईनी . ओह जगह जाए के विशेष तरीका बा . यान्ति देव व्रता देवान पितृन यान्ति पितृ व्रता (भ गी ९.२५) . केहू का दोसरा ग्रह में , जैसे चन्द्रमा ग्रह पर , त, ओह जा राकेट से जाए के कोशिश करे के जरूरत नईखे . भगवद गीता के शिक्षा ह , यान्ति देव व्रता: देवान . धरती का ऊपर के चन्द्रमा, सूरज जईसन ग्रह स्वर्गलोक कहल जाला . स्वर्ग लोक . भू लोक, भुवर्लोक , स्वर्ग लोक . ग्रह के तीन स्थिति ह . त, देव लोक, ओही तरह के एक अलग ग्रह होला. उच्च ग्रह देवलोक , में जाए खातिर भगवद गीता में बहुत आसान तरीका दिहल बा . यान्ति देव-व्रता देवान. यान्ति देव-व्रता देवान. देव व्रता . अगर कवनो ख़ास देवता के पूजा कईल शुरू कईल जाव , त, ओह ग्रह पर पहुचल जा सकता. सूर्य ग्रह पर भी जाईल जा सकता , चन्द्रमा पर भी , स्वर्ग के कवनो ग्रह पर भी , लेकिन , भगवद गीता के सलाह कवनो सांसारिक ग्रह पर जाए खातिर नईखे , काहे कि, सबसे ऊपर के ग्रह ब्रह्म लोक पर भी जाईल संभव बा , वैज्ञानिक लोक जोडले बा कि , राकेट से गईला पर ४०,००० साल में ओह जा पहुंचल जा सकता . अब ४०,००० साल आदमी के ज़िंदा रहल, आ ओह ग्रह पर पहुचल , त मुश्किल बा , लेकिन केहू ओह देवता के पूजा करे त ओह ग्रह पर पहुँच गईल संभव बा , भगवद गीता में कहल बा , यान्ति देव व्रता देवान पितृन यान्ति पितृ व्रता: (भ गी ९.२५). ओही तरीका के पितृ लोक होखे ला . अब केहू का मन होखे सबसे उच्च ग्रह पर जाए के , सर्वोच्च ग्रह ... सर्वोच्च ग्रह माने कृष्ण लोक. आध्यात्मिक आकाश में अनगिनत ग्रह बा. सनातन ग्रह , शाश्वत ग्रह, जेकर कभी विनाश ना होखे ला , ओह जगह प्रलय ना होला . ओह सब आध्यात्मिक ग्रह में, एक ग्रह बा , अनादि ग्रह , जेह के गोलोक वृन्दावन कहल जाला . त, इ सब सूचना गीता में बा , आ हमनी के सुअवसर भी बा कि, एह भौतिक संसार के छोड़ के शाश्वत धाम के सुखमय जीवन में चल जाईं.