HI/661226 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"जब आप मुझे पूछते हैं या मैं आपको पूछता हूँ कि, "आप क्या हैं ?", तो मैं इस शरीर से संबोधित उत्तर देता हूँ । क्या आप पागल नहीं हो? क्या आप में से कोई भी कह सकता है कि आप पागल नहीं हो ? अगर आप अपना परिचय उससे देते हो जो आप नहीं हो तो क्या आप पागल नहीं हो ? अत: प्रत्येक व्यक्ति जो स्वयं का परिचय इस शरीर से देता है, वह पागल है। वह पागल है। यह सारे संसार के लिए एक चुनौति है। जो भी व्यक्ति भगवान् की संपदा को, भगवान् की भूमि को, भगवान् की पृथ्वी को, अपनी संपत्ति बताता है वह पागल है । यह चुनौति है । किसी को भी यह प्रमाणित करने दो कि यह संपत्ति उसकी है, यह शरीर उसका है। आप केवल स्वभाव से आप हो। प्रकृति की चाल के कारण ही आप कोई एक स्थान पर किसी शरीर में स्थित हो। आप कोई चेतना के अधीन हो और आप प्रकृति के नियमों द्वारा निर्देशित किये जाते हो। और आप उसके पीछे पागल हो।"
661226 - प्रवचन भ.गी. ९.३४ - न्यूयार्क