HI/670106 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यूयार्क में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 03:48, 15 October 2020 by Amala Sita (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
" जिस प्रकार एक बच्चा। एक बच्चा देखता है की गली में एक अच्छी मोटरकार चल रही है, वह सोचता है कि मोटरकार अपने आप चल रही है। वह बुद्धिमत्ता नहीं है। मोटरकार अपने आप नहीं चल रही है। जिस प्रकार हमारे पास टेप रिकॉर्डर, माइक्रोफोन है। कोई कह सकता है, "ओह, कितनी अच्छी खोज हैं। वे इतनी अच्छी तरह से काम कर रहे हैं।" लेकिन व्यक्ति को यह देखना चाहिए, कि जब तक कोई जीवात्मा इसे नहीं छूती है, यह टेप रिकॉर्डर या यह माइक्रोफोन एक क्षण के लिए भी काम नहीं कर सकता है। यह बुद्धिमत्ता है। हमें मशीन देखकर अभिभूत नहीं होना चाहिए। हमें मशीन चालक को खोजने की कोशिश करनी चाहिए। वह बुद्धिमत्ता है, सुखार्थ विवेचनम, सूक्ष्म देखना।"
670106 - प्रवचन भ.गी. १०.४-५ - न्यूयार्क