HI/670322 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सैन फ्रांसिस्को में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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Latest revision as of 06:28, 4 May 2022

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"अब आप अपने कार्य से संतुष्ट होने का प्रयास कर रहे हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपने कार्य से संतुष्ट रहने का प्रयास कर रहा है। एक व्यक्ति, साधारण मजदूर, वह भी काम करके खुश रहने का प्रयास कर रहा है, और एक महान पूंजीवादी, वह भी अपने कार्य से संतुष्ट रहने का प्रयास कर रहा है। किन्तु भगवद गीता कहती है कि, वे किस अर्थ में संतुष्ट रहने का प्रयास कर रहे हैं? वे शरीर या इन्द्रिय भोग के साथ संतुष्ट रहने का प्रयास कर रहे हैं। किन्तु आप कब तक अपनी इंद्रियों को संतुष्ट कर पाएंगे? आपकी रुचि अलग है: इन्द्रिय भोग करना नहीं। आपकी रुचि यह है कि, आपको यह पता लगाना है कि आप क्या हैं। तो यह भगवद गीता में बहुत अच्छी तरह से वर्णित है, कि आप यह चेतना हैं।"
670322 - प्रवचन स.बी. ०७. ०७. ४६ - सैन फ्रांसिस्को