HI/681021b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद सिएटल में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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प्रभुपाद: वह वैष्णवी  है। वह कृष्ण की बहुत बड़ी भक्त है। लेकिन उसने एक अकृतज्ञ  कार्य स्वीकार कर लिया है: दंड देना। पुलिसवाला एक ईमानदार सरकारी कर्मचारी है, लेकिन उसने एक कार्य स्वीकार कर लिया है, कोई भी उसे पसंद नहीं करता है। (हंसते हुए) अगर कोई पुलिसकर्मी यहां आता है, तो तुरंत आप परेशान महसूस करेंगे। लेकिन वह सरकार के ईमानदार सेवक हैं। यही माया की स्थिति है। उसका व्यवसाय इन बदमाशों को दंडित करना है जो यहां आनंद लेने आए हैं। (हँसी) आप समझ सकते हैं? लेकिन वह ईश्वर का ईमानदार सेवक है। <br>
प्रभुपाद: वह वैष्णवी  है। वह कृष्ण की बहुत बड़ी भक्त है। लेकिन उसने एक अकृतज्ञ  कार्य स्वीकार कर लिया है: दंड देना। पुलिसवाला एक ईमानदार सरकारी कर्मचारी है, लेकिन उसने एक कार्य स्वीकार कर लिया है, कोई भी उसे पसंद नहीं करता है। (हंसते हुए) अगर कोई पुलिसकर्मी यहां आता है, तो तुरंत आप परेशान महसूस करेंगे। लेकिन वह सरकार के ईमानदार सेवक हैं। यही माया की स्थिति है। उसका व्यवसाय इन बदमाशों को दंडित करना है जो यहां आनंद लेने आए हैं। (हँसी) आप समझ सकते हैं? लेकिन वह ईश्वर का ईमानदार सेवक है। <br>
जया-गोपला: क्या यह एक पद  की तरह है? <br>?
जया-गोपला: क्या यह एक पद  की तरह है? <br>
प्रभुपाद: हाँ। यह एक  पद है,अकृतज्ञ  पद । कोई भी धन्यवाद नहीं देता है , हर कोई व्युत्पन्न करते है । आप समझ सकते हैं? लेकिन वह एक महान भक्त है। वह बर्दाश्त करती है और सजा देती है। बस इतना ही। दैवी ह्येषा गुणमयी मम माया दुरत्यया([[Vanisource: BG 7.14 (1972) | भ.गी. ७.१४ ]])। वह केवल यह देखना चाहती है कि 'तुम कृष्णमय हो जाओ, मैं तुम्हें छोड़ देती हूं', बस इतना ही। पुलिस का व्यवसाय यह है कि "आप कानून का पालन करने वाले नागरिक बन जाते हैं; तब मेरा  तुम्हारे  साथ कोई संबंध नहीं है|Vanisource:681021 - Lecture SB 07.09.08 - Seattle|681021 - प्रवचन श्री.भा.०७.०९.०८ - सिएटल}}
प्रभुपाद: हाँ। यह एक  पद है,अकृतज्ञ  पद । कोई भी धन्यवाद नहीं देता है , हर कोई व्युत्पन्न करते है । आप समझ सकते हैं? लेकिन वह एक महान भक्त है। वह बर्दाश्त करती है और सजा देती है। बस इतना ही। दैवी ह्येषा गुणमयी मम माया दुरत्यया([[Vanisource: BG 7.14 (1972) | भ.गी. ७.१४ ]])। वह केवल यह देखना चाहती है कि 'तुम कृष्णमय हो जाओ, मैं तुम्हें छोड़ देती हूं', बस इतना ही। पुलिस का व्यवसाय यह है कि "आप कानून का पालन करने वाले नागरिक बन जाते हैं; तब मेरा  तुम्हारे  साथ कोई संबंध नहीं है|Vanisource:681021 - Lecture SB 07.09.08 - Seattle|681021 - प्रवचन श्री.भा.०७.०९.०८ - सिएटल}}

Latest revision as of 00:03, 29 January 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
जया-गोपला: मायादेवी किस प्रकार की जीवित इकाई है?

प्रभुपाद: वह वैष्णवी है। वह कृष्ण की बहुत बड़ी भक्त है। लेकिन उसने एक अकृतज्ञ कार्य स्वीकार कर लिया है: दंड देना। पुलिसवाला एक ईमानदार सरकारी कर्मचारी है, लेकिन उसने एक कार्य स्वीकार कर लिया है, कोई भी उसे पसंद नहीं करता है। (हंसते हुए) अगर कोई पुलिसकर्मी यहां आता है, तो तुरंत आप परेशान महसूस करेंगे। लेकिन वह सरकार के ईमानदार सेवक हैं। यही माया की स्थिति है। उसका व्यवसाय इन बदमाशों को दंडित करना है जो यहां आनंद लेने आए हैं। (हँसी) आप समझ सकते हैं? लेकिन वह ईश्वर का ईमानदार सेवक है।
जया-गोपला: क्या यह एक पद की तरह है?
प्रभुपाद: हाँ। यह एक पद है,अकृतज्ञ पद । कोई भी धन्यवाद नहीं देता है , हर कोई व्युत्पन्न करते है । आप समझ सकते हैं? लेकिन वह एक महान भक्त है। वह बर्दाश्त करती है और सजा देती है। बस इतना ही। दैवी ह्येषा गुणमयी मम माया दुरत्यया( भ.गी. ७.१४ )। वह केवल यह देखना चाहती है कि 'तुम कृष्णमय हो जाओ, मैं तुम्हें छोड़ देती हूं', बस इतना ही। पुलिस का व्यवसाय यह है कि "आप कानून का पालन करने वाले नागरिक बन जाते हैं; तब मेरा तुम्हारे साथ कोई संबंध नहीं है

681021 - प्रवचन श्री.भा.०७.०९.०८ - सिएटल