HI/690501 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बोस्टन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|Nectar Drops from Srila Prabhupada|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690501NA-BOSTON_ND_01.mp3</mp3player>|"जब ईश्वर के प्रेम की मरहम हमारी आंखों में लागू हो जाएगा, तो इन आँखों से हम भगवान को देख पाएंगे। भगवान अदृश्य नहीं हैं। बस जैसे एक व्यक्ति जो मोतियाबिंद या किसी अन्य नेत्र रोग के साथ, वह नहीं देख सकता। इसका अर्थ यह नहीं है कि चीजें विद्यमान नहीं हैं, वह नहीं देख सकता है। भगवान वहाँ है, लेकिन क्योंकि मेरी आँखें परमेश्वर को देखने के लिए सक्षम नहीं हैं, इसलिए मैं ईश्वर को इनकार करता हूं। भगवान हर जगह है, इसलिए हमारे जीवन की भौतिक स्थिति में, हमारी आंखें कुंद हैं, न केवल आँखें, हर इन्द्रिया। विशेष रूप से आँखें। क्योंकि हम अपनी आंखों पर बहुत गर्व है, और हम कहते हैं, 'क्या आप मुझे भगवान दिखा सकते हैं? "आप देखते हैं। लेकिन वह नहीं सोचता कि क्या उनकी आँखें भगवान को देखने के लिए सक्षम हैं। ये नास्तिकता है।"|Vanisource:690501 - Lecture Festival Appearance Day, Lord Nrsimhadeva, Nrsimha-caturdasi - Boston|690501 - Lecture Appearance Day of Lord Nrsimhadeva - Boston}}
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{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/690430b बातचीत - श्रील प्रभुपाद बॉस्टन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690430b|HI/690501b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बोस्टन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690501b}}
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{{Audiobox_NDrops|Nectar Drops from Srila Prabhupada|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690501NA-BOSTON_ND_01.mp3</mp3player>|जब भगवद प्रेम का काजल हमारे नेत्रों में लगाया जाएगा, तो इन्हीं से हम भगवान का दर्शन कर पाएंगे । भगवान अदृश्य नहीं हैं । ठीक जैसे एक व्यक्ति जो मोतियाबिंद या किसी अन्य नेत्र रोग से पीड़ित है, वह नहीं देख सकता । इसका अर्थ यह नहीं है कि चीजें विद्यमान नहीं हैं । बस वह देख नहीं सकता भगवान हैं, परंतु क्योंकि हमारी आँखें परमेश्वर को देखने के लिए सक्षम नहीं हैं, इसलिए हम ईश्वर के अस्तित्व को नकारते हैं। भगवान हर स्थान पर विद्यमान हैं । तो हमारे जीवन की भौतिक स्थिति में, हमारी आंखें जड़ हैं न केवल आँखें, अपितु प्रत्येक इंद्री । विशेष रूप से आँखें । क्योंकि हमें अपनी आंखों पर बहुत गर्व है, और हम कहते हैं, 'क्या आप मुझे भगवान दिखा सकते हैं ?' आप देखते हैं । परंतु वे यह नहीं सोचते कि क्या उनकी आँखें भगवान को देखने के लिए सक्षम हैं । यह ही नास्तिकता है ।|Vanisource:690501 - Lecture Festival Appearance Day, Lord Nrsimhadeva, Nrsimha-caturdasi - Boston|690501 - प्रवचन भगवान नरसिंहदेव आविर्भाव दिन, नरसिंह चतुर्दशी - बोस्टन}}

Revision as of 16:55, 1 August 2021

Nectar Drops from Srila Prabhupada
जब भगवद प्रेम का काजल हमारे नेत्रों में लगाया जाएगा, तो इन्हीं से हम भगवान का दर्शन कर पाएंगे । भगवान अदृश्य नहीं हैं । ठीक जैसे एक व्यक्ति जो मोतियाबिंद या किसी अन्य नेत्र रोग से पीड़ित है, वह नहीं देख सकता । इसका अर्थ यह नहीं है कि चीजें विद्यमान नहीं हैं । बस वह देख नहीं सकता । भगवान हैं, परंतु क्योंकि हमारी आँखें परमेश्वर को देखने के लिए सक्षम नहीं हैं, इसलिए हम ईश्वर के अस्तित्व को नकारते हैं। भगवान हर स्थान पर विद्यमान हैं । तो हमारे जीवन की भौतिक स्थिति में, हमारी आंखें जड़ हैं । न केवल आँखें, अपितु प्रत्येक इंद्री । विशेष रूप से आँखें । क्योंकि हमें अपनी आंखों पर बहुत गर्व है, और हम कहते हैं, 'क्या आप मुझे भगवान दिखा सकते हैं ?' आप देखते हैं । परंतु वे यह नहीं सोचते कि क्या उनकी आँखें भगवान को देखने के लिए सक्षम हैं । यह ही नास्तिकता है ।
690501 - प्रवचन भगवान नरसिंहदेव आविर्भाव दिन, नरसिंह चतुर्दशी - बोस्टन