HI/690509b प्रवचन - श्रील प्रभुपाद कोलंबस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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{{Audiobox_NDrops|Nectar Drops from Srila Prabhupada|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690509TO-COLUMBUS_ND_02.mp3</mp3player>|तो इस महाभारत इतिहास विशेष रूप से इन वर्गों के लिए था: महिला, कार्यकर्ता वर्ग और ये द्विजबंधु वर्ग, या तथाकथित ब्राह्मण और क्षत्रिय । लेकिन फिर भी अगर आप महाभारत पढ़ते हैं तो पाएंगे कि इस युग के महानतम विद्वान के लिए भी यह मुश्किल है । जैसे भगवद गीता । भगवद गीता महाभारत में स्थापित किया गया है, और मूल रूप से यह पुरुषों के कम बुद्धिमान वर्ग के लिए था । तो आप सिर्फ ये समझने की कोशिश कर सकते हो की उन दिनों में कैसे पुरुषों के वर्ग होते थे । वास्तव में ये ऐसा ही है । भगवद गीता इतना महान दार्शनिक आध्यात्मिक ग्रंथ है, जो की महाभारत के युद्ध के मैदान में अर्जुन को सिखाया गया था । तो युद्ध के मैदान में कितना समय वह निकाल सकता है ? और जब वह लड़ने जा ही रहा था, उसने सोचा, "ओह, मैं क्यों लड़ाई करू ?" तो कुछ उपदेश कृष्ण द्वारा दिया गया था - तो आप कल्पना कर सकते हैं, ज़्यादा से ज़्यादा आधे घंटे या एक घंटे में उन्होंने बात की - और अर्जुन ने पूरी भगवत गीता समझ ली । तो अर्जुन कैसा व्यक्ति था ? वही भगवद गीता इस युग के बड़े विद्वान समझ नहीं सकते । और अर्जुन इसे आधे घंटे में समझ गया ।|Vanisource:690509 - Lecture Temple Opening - Columbus|690509 - प्रवचन मंदिर उद्घाटन - कोलंबस}} |
Latest revision as of 16:18, 16 June 2019
Nectar Drops from Srila Prabhupada |
तो इस महाभारत इतिहास विशेष रूप से इन वर्गों के लिए था: महिला, कार्यकर्ता वर्ग और ये द्विजबंधु वर्ग, या तथाकथित ब्राह्मण और क्षत्रिय । लेकिन फिर भी अगर आप महाभारत पढ़ते हैं तो पाएंगे कि इस युग के महानतम विद्वान के लिए भी यह मुश्किल है । जैसे भगवद गीता । भगवद गीता महाभारत में स्थापित किया गया है, और मूल रूप से यह पुरुषों के कम बुद्धिमान वर्ग के लिए था । तो आप सिर्फ ये समझने की कोशिश कर सकते हो की उन दिनों में कैसे पुरुषों के वर्ग होते थे । वास्तव में ये ऐसा ही है । भगवद गीता इतना महान दार्शनिक आध्यात्मिक ग्रंथ है, जो की महाभारत के युद्ध के मैदान में अर्जुन को सिखाया गया था । तो युद्ध के मैदान में कितना समय वह निकाल सकता है ? और जब वह लड़ने जा ही रहा था, उसने सोचा, "ओह, मैं क्यों लड़ाई करू ?" तो कुछ उपदेश कृष्ण द्वारा दिया गया था - तो आप कल्पना कर सकते हैं, ज़्यादा से ज़्यादा आधे घंटे या एक घंटे में उन्होंने बात की - और अर्जुन ने पूरी भगवत गीता समझ ली । तो अर्जुन कैसा व्यक्ति था ? वही भगवद गीता इस युग के बड़े विद्वान समझ नहीं सकते । और अर्जुन इसे आधे घंटे में समझ गया । |
690509 - प्रवचन मंदिर उद्घाटन - कोलंबस |