HI/690619 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यू वृन्दावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/690618 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यू वृन्दावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690618|HI/690621 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद न्यू वृन्दावन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|690621}}
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{{Audiobox_NDrops|Nectar Drops from Srila Prabhupada|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/690619SB-NEW_VRINDABAN_ND_01.mp3</mp3player>|यह कार्य, कृष्ण भावनामृत कार्य, केवल पवित्र नहीं है; यह दिव्य है । तो यदि आप कृष्ण भावनामृत के इस मंच पर रहते हैं, जो की आसान प्रक्रिया है, जैसे कि हम नई वृंदावन में निष्पादित कर रहे हैं, कीर्तन करना, नृत्य करना, भागवत-प्रसाद ग्रहण करना, भागवत या भगवद गीता को सुनना, समझना... यह बहुत मुश्किल नहीं है । और आप थोड़े प्रसाद से संतुष्ट हैं, भले ही वो कुछ भी क्यों न हो । यह प्रक्रिया आपको दृढ़ बनाएगी । तो विचलित न हो । जो भी थोड़े बहोत विनियामक सिद्धांत हैं, वे बहुत मुश्किल नहीं हैं । बस इस सिद्धांत से जुड़े रहें, हरे कृष्ण का जप करें, प्रसाद ग्रहण करे, और आपका जीवन सफल रहेगा । यहां नारद मुनी द्वारा आश्वासन दिया गया है कि 'यदि उसका पतन भी होता है, तब भी, कोई नुकसान नहीं है । लेकिन दूसरी तरफ, जो कृष्ण भावनामृत में नहीं हैं, अगर वह बहुत नियमित व्यवसायी या नियमित कार्यकर्ता हैं, या कुछ भी, फिर भी, उसका लाभ कुछ भी नहीं है ।|Vanisource:690619 - Lecture SB 01.05.15 - New Vrindaban, USA|690619 - प्रवचन श्री.भा. १.५.१५ - न्यू वृंदावन, अमरीका}}
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Latest revision as of 15:16, 12 August 2021

Nectar Drops from Srila Prabhupada
यह कार्य, यह कृष्ण भावनाभावित कार्य, केवल पवित्र नहीं है; यह दिव्य है । तो यदि आप कृष्ण भावनामृत में रहते हैं, जो की एक सरल प्रक्रिया है, जैसे कि हम नए वृंदावन धाम में निष्पादित कर रहे हैं, कीर्तन करना, नृत्य करना, भगवत-प्रसाद ग्रहण करना, श्रीमद्भागवत तथा श्रीमद्भगवद्गीता का श्रवण करना, उसे समझना... यह अत्यधिक कठिन नहीं है । आप थोड़े से प्रसाद से ही संतुष्ट हैं, भले ही वह कुछ भी क्यों न हो । यह प्रक्रिया आपको दृढ़ बनाएगी । तो विचलित न हो । जो भी थोड़े बहुत नियामक सिद्धांत हैं, वे कठिन नहीं हैं । बस इस सिद्धांत से जुड़े रहें, हरे कृष्ण का जप करें, प्रसाद ग्रहण करे, और आपका जीवन सफल रहेगा । यहां नारद मुनी द्वारा आश्वासन दिया गया है कि 'यदि आपका पतन भी होता है, तब भी, कोई हानि नहीं है । परंतु दूसरी ओर, जो कृष्ण भावनामृत में नहीं हैं, यदि वे अत्यधिक कुलीन व्यवसायी या नियमित कार्यकर्ता हैं, या कुछ भी, फिर भी, उनके पक्ष में कुछ लाभ नहीं है ।
690619 - प्रवचन श्री.भा. १.५.१५ - न्यू वृंदावन, अमरीका