HI/690716c प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लॉस एंजेलेस में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

Revision as of 14:28, 29 October 2022 by Meghna (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"जब व्यक्ति अपवित्र भौतिक अवस्थाजनित क्लेशों को नहीं महसूस कर पाता, तब उसका जीवन पशु जीवन है। उसको ज्ञात है कि वह दुखी है, किन्तु वह किन्ही बेतुके उपायों से उस दुःख को ढक रहा है: भुलाने से, मद्यपान से, नशे से, इस से उस से। वह अपने दुःख से अवगत है, किन्तु वह अपने दुःख को बेतुके उपाय से ढकना चाहता है। ठीक जैसे खरगोश। खरगोश, जब वह किसी खौफनाक पशु के आमने सामने होता है, वह खरगोश आंख बंद कर लेता है; वह समझता है कि वह सुरक्षित है। इसी प्रकार, केवल हमारे क्लेशों को कृत्रिम तरीकों से ढकने का प्रयत्न करना, यह हल नहीं है। यह अज्ञानता है। दुःख का समाधान आध्यात्मिक जीवन जनित प्रबोधन, आध्यात्मिक आनंद से किया जा सकता है।"
690716 - प्रवचन Initiation - लॉस एंजेलेस