HI/730818 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लंडन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions
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Latest revision as of 17:47, 17 September 2020
HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी |
"हम इस शरीर की बहुत देखभाल कर रहे हैं, लेकिन इस शरीर का अंत या तो मल, पृथ्वी या राख है। जो मूर्ख व्यक्ति जीवन की शारीरिक अवधारणा में हैं, वे सोच रहे हैं, 'आखिरकार, यह शरीर समाप्त होगा । जितने समय तक शरीर है, इंद्रियां हैं, हमें आनंद लेने दो, क्यों इतना प्रतिबंध-कोई अवैध सेक्स, कोई जुआ नहीं, नहीं ...? ये सब बकवास हैं। हमें जीवन का आनंद लेने दें।' यह नास्तिक जीवन है, मूर्ख जीवन। वे नहीं जानते, शरीर सबकुछ नहीं है। आध्यात्मिक जीवन क्या है, आध्यात्मिक ज्ञान क्या है, यह समझना पहला पाठ है। लेकिन सभी बदमाश, वे नहीं जानते। इसलिए कृष्ण ने सबसे पहले अर्जुन को थप्पड़ मारा: अशोच्यनन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावादांश्च भाषसे (भ.गी.२.११) 'आप नहीं जानते कि तथ्य क्या है, और एक बहुत ही विद्वान व्यक्ति की तरह बात करना ! बस समझने की कोशिश करो कि सत्य क्या है।' न त्वेवाहं जातु (भ.गी. २.१२) ।" |
730818 - प्रवचन भ.गी. २.१२ - लंडन |