HI/730918 बातचीत - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://vanipedia.s3.amazonaws.com/Nectar+Drops/730918R1-BOMBAY_ND_01.mp3</mp3player>|"ठीक जैसे तुम्हारा कोट और कमीज़। कोट की बांह है किन्तु वह हाथ नहीं है। असली हाथ बांह के भीतर है। तो वस्तुतः कोट के हाथ नहीं हैं। तब कोट की अन्य इन्द्रियां होने का प्रश्न कहाँ है? इसी तरह यह भौतिक देह जड़ पदार्थ का पिंड है। ठीक जैसे कोई गुड़िया। गुड़िया को घास फूस से बनाया जाता है, हाथ पांव, फिर उसे (मिटटी से) लीपा जाता है, और वह एक सुन्दर गुड़िया बन जाती है। इसी प्रकार, हमारे पास हाथ पांव हैं, और यह जड़ पदार्थ प्लास्टर है। अतः जब असली हाथ पांव चले जाते हैं, ये हाथ पांव (काम के) नहीं रह जाते, यह सिर्फ जड़ पदार्थ हैं। अतः, कोई सोचे कि यह शरीर, "मैं हूँ," वह मूर्ख है। यदि तुम सोचते हो कि तुन यह कोट हो, तुम यह कमीज़ हो, तब तुम एक मूर्ख हो। " |Vanisource:730918 - Conversation - Bombay|730918 - बातचीत - बॉम्बे}}
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{{Nectar Drops navigation - All Languages|Hindi|HI/730913 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद लंडन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|730913|HI/730919 बातचीत - श्रील प्रभुपाद बॉम्बे में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं|730919}}
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Latest revision as of 16:23, 9 December 2021

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"ठीक जैसे आपका कोट और कमीज़। कोट की बांह है किन्तु वह हाथ नहीं है। असली हाथ बांह के भीतर है। तो वस्तुतः कोट के हाथ नहीं हैं। तब कोट की अन्य इन्द्रियां होने का प्रश्न कहाँ है? इसी तरह यह भौतिक देह जड़ पदार्थ का पिंड है। ठीक जैसे कोई गुड़िया। गुड़िया को घास फूस से बनाया जाता है, हाथ पांव, फिर उसे मिट्टी से लीपा जाता है, और वह एक सुन्दर गुड़िया बन जाती है। इसी प्रकार, हमारे पास हाथ पांव हैं, और यह जड़ पदार्थ प्लास्टर है। अतः जब असली हाथ पांव चले जाते हैं, ये हाथ पांव काम के नहीं रह जाते, यह सिर्फ जड़ पदार्थ हैं। अतः, कोई सोचे कि यह शरीर, "मैं हूँ," वह मूर्ख है। यदि आप सोचते हो कि आप यह कोट हो, आप यह कमीज़ हो, तब आप एक मूर्ख हैं।"
730918 - बातचीत - बॉम्बे