HI/760208 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद मायापुर में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं: Difference between revisions

 
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{{Audiobox_NDrops|HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी|<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/Nectar+Drops/760208SB-MAYAPUR_ND_01.mp3</mp3player>|"जो कोई भी देख सकता है कि जीवन की यह प्रतिकूल स्थिति भी कृष्ण का एक और अनुग्रह है... तत ते अनुकम्पाम सु-समीक्ष्मानः ([[Vanisource:SB 10.14.8|श्री.भा.१०.१४.०८]])। 'यदि कोई पीड़ा हैं, तो उसे कृष्ण ने नहीं दिया है। मैं अपने पिछले दुष्कर्मों के कारण पीड़ित हूं, और कृष्ण इतने दयालु हैं कि वर्तमान पीड़ा से सौ हज़ार गुना ज़्यादा मैं पीड़ित हो सकता था, लेकिन कृष्ण पूरी पीड़ा को कम पीड़ा से समायोजित कर रहे हैं।' यह भक्त की दृष्टि है।"|Vanisource:760208 - Lecture SB 07.09.01 - Mayapur|760208 - प्रवचन SB 07.09.01 - मायापुर}}
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Latest revision as of 00:09, 13 September 2020

HI/Hindi - श्रील प्रभुपाद की अमृत वाणी
"जो कोई भी देख सकता है कि जीवन की यह प्रतिकूल स्थिति भी कृष्ण का एक और अनुग्रह है... तत ते अनुकम्पाम सु-समीक्ष्मानः (श्री.भा. १०.१४.०८)। 'यदि कोई पीड़ा हैं, तो उसे कृष्ण ने नहीं दिया है। मैं अपने पिछले दुष्कर्मों के कारण पीड़ित हूं, और कृष्ण इतने दयालु हैं कि वर्तमान पीड़ा से सौ हज़ार गुना ज़्यादा मैं पीड़ित हो सकता था, लेकिन कृष्ण पूरी पीड़ा को कम पीड़ा से समायोजित कर रहे हैं।' यह भक्त की दृष्टि है।"
760208 - प्रवचन श्री.भा. ०७.०९.०१ - मायापुर