HI/Prabhupada 0007 - कृष्ण का संरक्षण आएगा: Difference between revisions

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ब्रह्मानंद: ब्राह्मण को कोइ भी रोजगार स्वीकार करना नहीं चाहिए।
ब्रह्मानंद: ब्राह्मणको कोइ भी रोज़गार स्वीकार करना नहीं चाहिए ।


प्रभुपाद: नहीं । वह भूख से मर जाएगा । लेकिन वह कोइ भी रोजगार स्वीकार नहीं करेगा ।
प्रभुपाद: नहीं । वह भूख से मर जाएगा । लेकिन वह कोइ भी रोज़गार स्वीकार नहीं करेगा । वही है ब्राह्मण । क्षत्रiय भी वही, अौर वैश्य भी । केवल शूद्र । एक वैश्य कुछ व्यापारप ढूंढ लेगा । वह कुछ व्यापार ढूंढ लेगा । तो एक वास्तविक कहानी है । एक श्रीमान नंदी, बहुत समय पहले, कलकत्ता में, वह अपने दोस्त के पास गया,


एसा है ब्राह्मण
"तुम मुझे एक छोटी सी पूंजी दे सकते हो, तो मैं कुछ कारोबार शुरू कर सकता हूँ "


क्षत्रीय भी वही, अौर वैष्य भी ।
तो उसने कहा, "तुम वैश्य हो ? व्यापारी हो ?"


केवल शूद्र ।
"हाँ।"


एक वैष्य कुछ व्यापार पता लगा लेगा
"ओह, तुम मुझसे पैसे माँग रहे हो ? पैसे सड़क पर हैं तुम ढूंढ सकते हो ।"


वह कुछ व्यापार पता लगा लेगा
तो उसने कहा, "मुझे नहीं मिलता है "


तो एक वास्तविक कहानी है ।
"तुम्हें नहीं मिलता ? यह क्या है ?"
 
कलकत्ता में एक श्री नंदी, बहुत समय पहले,
 
वह अपने दोस्त के पास गए, " तुम मुझे एक छोटी सी पूंजी दे सकते हो, तो मैं कुछ कारोबार शुरू कर सकता हूँ ।"
 
तो उसने कहा, "तुम वैष्य हो ? व्यापारी हो ?"
 
"हाँ।" "ओह, तुम मेरे से पैसे माँग रहे हो ? पैसे सड़क पर है । तुम पता लगा सकते हो ।"
 
तो उसने कहा, "मुझे नहीं लगता है ।"
 
"तुम्हें नहीं लगता ? यह क्या है ?"


"यह, यह एक मृत चूहा है ।"
"यह, यह एक मृत चूहा है ।"
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"यह तुम्हारी पूंजी है ।"
"यह तुम्हारी पूंजी है ।"


ज़रा देखो । तो कलकत्ता में उन दिनों प्लेग था ।
ज़रा देखो । तो कलकत्तामें उन दिनों प्लेग फैला हुआ था । इसलिए नगरपालिकाने घोषणा की कि जो नगरपालिकाके कार्यालयमें मृत चूहे लाएगा, उसे दो आने दिया जाएगा । तो उसने चूहेके मृत शरीरको उठाया और नगर ​​निगमके कार्यालय में गया । उसे दो आना दिया गया । तो उस दो आनेके साथ उसने कुछ सड़ा हुआ सुपारी खरीदा, और उसे धोया और चार आने, या पाँच आनेमें बेचा । इस तरह, करते करते, वह आदमी इतना अमीर आदमी बन गया। उनके परिवारके सदस्योंमें से एक हमारा गुरुभाई था। नंदी परिवार। यही नंदी परिवार आज भी, चार सौ, पांच सौ आदमियोंको दैनिक खाना खिलाते हैं। एक बड़ा, कुलीन परिवार । और उनके परिवारका नियम है, जैसे ही एक बेटा या बेटी का जन्म होता है, पांच हजार रुपए, बैंकमें जमा किया जाता है, और उसकी शादीके समय उस पांच हजार रुपए ब्याजके साथ, वह ले जा सकता है। अन्यथा पूंजीमें कोई हिस्सेदारी नहीं है। और जो भी परिवार में रहता है, उसे खाना और आश्रय मिलता है । यह उनकी ... इस परिवार का मूल, मेरे कहने का मतलब है,  परिवार का संस्थापक, नंदी, उसने एक मरे हुए चूहे, या माउस के साथ अपना कारोबार शुरू किया।
 
इसलिए नगरपालिका ने घोषणा की कि जो नगरपालिका कार्यालय में मृत चूहे लाएगा, उसे दो आने दिया जाएगा ।
 
00:02:05,391 तो वह चूहे के मृत शरीर को लेकर नगर ​​निगम के कार्यालय में गया ।
 
उसे दो अाना दिया गया ।
 
तो उस दो आने के साथ उसने कुछ सड़ा हुआ सुपारी खरीदा,
 
और उसे धोया और चार आने, या पाँच आने में बेचा ।
 
इस तरह, फिर से, फिर से, फिर से, वह आदमी इतना अमीर आदमी बन गया ।
 
उनके परिवार के सदस्यों में से एक हमारा गुरुभाई था । नंदी परिवार ।
 
यही नंदी परिवार अाज भी, चार सौ, पांच सौ आदमियों को दैनिक खाना खिला सकते हैं ।
 
एक बड़ा, कुलीन परिवार ।
 
और उनके परिवार का नियम है, जैसे ही एक बेटा या बेटी का जन्म होता है,
 
पांच हजार रुपए, बैंक में जमा किया जाता है,
 
और उसकी शादी के समय उस पांच हजार रुपए ब्याज के साथ, वह ले जा सकता है ।
 
अन्यथा पूंजी में कोई हिस्सेदारी नहीं है ।
 
और जो भी परिवार में रहता है, उसे खाने और आश्रय मिलता है ।
 
यह उनकी ... इस परिवार का मूल, मेरे कहने का मतलब है, नंदी,
 
उसने लाल, एक मरे हुए चूहे, या माउस के साथ अपना कारोबार शुरू किया ।
 
वास्तव में, वास्तव में यह तथ्य है, कि अगर कोइ स्वतंत्र रहना चाहता है,
 
कलकत्ता में मैंने देखा है ।
 
00:03:46,310 यहां तक ​​कि गरीब वर्ग वैष्या, और सुबह में वे कुछ दाल लेकर,
 
दाल का थैला, और घर घर जाकर । दाल हर जगह आवश्यक है ।
 
तो सुबह में वह दाल का व्यापार करता है, और शाम को वह केरोसिन तेल का एक कनस्तर ले जाता है ।
 
तो शाम को हर किसी को आवश्यकता होगी ।
 
अाज भी भारत में तुम पाअोगो, वे ...
 
कोई भी रोजगार की मांग नहीं करता ।
 
थोडा सा, जो भी हो असके पास, मूंगफली की बिक्री करेगा ।
 
वह कुछ कर रहा है ।
 
सब होते हुए भी, कृष्ण हर किसी का रखरखाव कर रहे हैं ।
 
यह सोचना एक गलती है, "यह आदमी मेरा रखरखाव कर रहा है ।"
 
नहीं । शास्त्र कहता है, एको बहुनाम विदधाती कामान ।
 
श्री कृष्ण में विश्वास है, कि "कृष्ण ने मुझे जीवन दिया है, कृष्ण ने मुझे यहाँ भेजा है ।
 
तो वहि मेरे रखरखाव करेंगे ।
 
इसलिए अपनी क्षमता के अनुसार, मुझे कुछ करना चाहिए,


और उस स्रोत के माध्यम से, श्री कृष्ण का रखरखाव अाएगा । "
वास्तवमें यह तथ्य है, वास्तवमें, कि अगर कोइ स्वतंत्र रहना चाहता है, कलकत्तामें मैंने देखा है । यहां तक ​​कि गरीब वर्गके वैश्य, और सुबहमें वे कुछ दाल लेकर, दाल का थैला, और घर घर जाते। दाल हर जगह आवश्यक है । तो सुबहमें वह दाल का व्यापार करता है, और शाम को वह केरोसिन तेल का एक डिब्बा ले जाता है । तो शामको हर किसीको आवश्यकता होगी। आज भी भारत में तुम पाओगे, वे ... कोई भी रोज़गार नहीं ढूंढ रहा था । थोडा सा, जो भी हो असके पास, मूंगफली की बिक्री करेगा । वह कुछ करता है । आख़िरकार, कृष्ण हर किसीका पालन कर रहे हैं । यह सोचना एक गलती है कि, "यह आदमी मेरा पालन कर रहा है।" नहीं। शास्त्र कहता है, एको यो बहुनाम् विदधाती कामान् । यह कृष्णमें विश्वास है, कि "कृष्णने मुझे जीवन दिया है, कृष्णने मुझे यहाँ भेजा है । तो वे ही मेरा पालन करेंगे । इसलिए अपनी क्षमता के अनुसार, मुझे कुछ करना है, और उस स्रोतके माध्यमसे, कृष्ण का पालन आएगा।"  
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Latest revision as of 17:44, 1 October 2020



Lecture on SB 1.5.22 -- Vrndavana, August 3, 1974

ब्रह्मानंद: ब्राह्मणको कोइ भी रोज़गार स्वीकार करना नहीं चाहिए ।

प्रभुपाद: नहीं । वह भूख से मर जाएगा । लेकिन वह कोइ भी रोज़गार स्वीकार नहीं करेगा । वही है ब्राह्मण । क्षत्रiय भी वही, अौर वैश्य भी । केवल शूद्र । एक वैश्य कुछ व्यापारप ढूंढ लेगा । वह कुछ व्यापार ढूंढ लेगा । तो एक वास्तविक कहानी है । एक श्रीमान नंदी, बहुत समय पहले, कलकत्ता में, वह अपने दोस्त के पास गया,

"तुम मुझे एक छोटी सी पूंजी दे सकते हो, तो मैं कुछ कारोबार शुरू कर सकता हूँ ।"

तो उसने कहा, "तुम वैश्य हो ? व्यापारी हो ?"

"हाँ।"

"ओह, तुम मुझसे पैसे माँग रहे हो ? पैसे सड़क पर हैं । तुम ढूंढ सकते हो ।"

तो उसने कहा, "मुझे नहीं मिलता है ।"

"तुम्हें नहीं मिलता ? यह क्या है ?"

"यह, यह एक मृत चूहा है ।"

"यह तुम्हारी पूंजी है ।"

ज़रा देखो । तो कलकत्तामें उन दिनों प्लेग फैला हुआ था । इसलिए नगरपालिकाने घोषणा की कि जो नगरपालिकाके कार्यालयमें मृत चूहे लाएगा, उसे दो आने दिया जाएगा । तो उसने चूहेके मृत शरीरको उठाया और नगर ​​निगमके कार्यालय में गया । उसे दो आना दिया गया । तो उस दो आनेके साथ उसने कुछ सड़ा हुआ सुपारी खरीदा, और उसे धोया और चार आने, या पाँच आनेमें बेचा । इस तरह, करते करते, वह आदमी इतना अमीर आदमी बन गया। उनके परिवारके सदस्योंमें से एक हमारा गुरुभाई था। नंदी परिवार। यही नंदी परिवार आज भी, चार सौ, पांच सौ आदमियोंको दैनिक खाना खिलाते हैं। एक बड़ा, कुलीन परिवार । और उनके परिवारका नियम है, जैसे ही एक बेटा या बेटी का जन्म होता है, पांच हजार रुपए, बैंकमें जमा किया जाता है, और उसकी शादीके समय उस पांच हजार रुपए ब्याजके साथ, वह ले जा सकता है। अन्यथा पूंजीमें कोई हिस्सेदारी नहीं है। और जो भी परिवार में रहता है, उसे खाना और आश्रय मिलता है । यह उनकी ... इस परिवार का मूल, मेरे कहने का मतलब है, परिवार का संस्थापक, नंदी, उसने एक मरे हुए चूहे, या माउस के साथ अपना कारोबार शुरू किया।

वास्तवमें यह तथ्य है, वास्तवमें, कि अगर कोइ स्वतंत्र रहना चाहता है, कलकत्तामें मैंने देखा है । यहां तक ​​कि गरीब वर्गके वैश्य, और सुबहमें वे कुछ दाल लेकर, दाल का थैला, और घर घर जाते। दाल हर जगह आवश्यक है । तो सुबहमें वह दाल का व्यापार करता है, और शाम को वह केरोसिन तेल का एक डिब्बा ले जाता है । तो शामको हर किसीको आवश्यकता होगी। आज भी भारत में तुम पाओगे, वे ... कोई भी रोज़गार नहीं ढूंढ रहा था । थोडा सा, जो भी हो असके पास, मूंगफली की बिक्री करेगा । वह कुछ करता है । आख़िरकार, कृष्ण हर किसीका पालन कर रहे हैं । यह सोचना एक गलती है कि, "यह आदमी मेरा पालन कर रहा है।" नहीं। शास्त्र कहता है, एको यो बहुनाम् विदधाती कामान् । यह कृष्णमें विश्वास है, कि "कृष्णने मुझे जीवन दिया है, कृष्णने मुझे यहाँ भेजा है । तो वे ही मेरा पालन करेंगे । इसलिए अपनी क्षमता के अनुसार, मुझे कुछ करना है, और उस स्रोतके माध्यमसे, कृष्ण का पालन आएगा।"