HI/Prabhupada 0025 - अगर हम असली चीज देते हैं, तो उसका असर तो होगा ही

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Conversation with Yogi Amrit Desai of Kripalu Ashram (PA USA) -- January 2, 1977, Bombay

योगी अमृत देसाई : अापके प्रति मेरा बहुत प्रेम है अौर मैने सोचा कि अापके दर्शन के लिए अाना ही है । प्रभुपाद: धन्यवाद । योगी अमृत देसाई: मैं भक्तों से कह रहा था । मैंने कहा कि आप ... प्रभुपाद: आप डॉ. मिश्रा के साथ हैं ? योगी अमृत देसाई: नहीं, मैं नहीं हूँ । मैं यहाँ सभी भक्तों को बता रहा था । मैंने कहा कि श्री प्रभुपाद पहले आदमी हैं जो पश्चिम में भक्ति लाए, जहां यह सबसे जरूरी है । क्योंकि वहाँ, वे इतना दिमाग से सोचते रहते हैं, सोचते रहते हैं, सोचते रहते हैं । प्रेम का यह रास्ता इतना गहरा है । प्रभुपाद: देखीए । अगर आप एक असली बात पेश करते हैं योगी अमृत देसाई: बहुत असली । प्रभुपाद: उसका अनुभव हो जाएगा । योगी अमृत देसाई: इसी लिए यह बढ़ रहा है इतनी खूबसूरती से, क्योंकि यह असली है । प्रभुपाद: और भारतीयों का यह कर्तव्य है कि उन्हें असली बात दें । यही पर-उपकार है । मुझेसे पहले, यह सभी स्वामी और योगी उन्हें धोखा देने के लिए वहाँ गए । योगी अमृत देसाई: नहीं, वे डरते थे कि वह स्वीकारे नहीं जाएँगे इसलिए सच्चाई देने से डरते थे । प्रभुपाद: वे सच जानते ही नहीं थे । (हंसी) डर नहीं । क्यों ? अगर कोइ सच्चाई के मंच पर है, तो उसे क्यों डरना चाहिए ? योगी अमृत देसाई: यकीनन । प्रभुपाद: उन्हे सच्चाई का पता नहीं था, विवेकानंद से शुरुआत । योगी अमृत देसाई: तब से, सही है । देखिए, आपके आने के बाद...... मैं १९६० में वहां था । मैंने योग अध्यापन शुरू किया । लकिन आपके आने के बाद मैं निडर हो गया भक्ति और मंत्र सिखाने के लिए । तो अब हमारे आश्रम में बहुत भक्ति है, बहुत सारी भक्ति है । अौर मेंने अापको ये सम्मान दिया है क्योंकि मैं उन्हें देने से डर रहा था क्योंकि मैं सोचता था, "वे ईसाई हैं । उन्हें भक्ति रास नहीं अाएगी । वे गलत मतलब निकालेंगे ।" लेकिन अापने चमत्कार प्रदर्शन किया है । भगवान, कृष्ण ने आप के माध्यम से यह चमत्कार प्रदर्शन किया है । यह यह बहुत अद्भुत है, सबसे बड़ा चमत्कार पृथ्वी पर । मैं इसके बारे में इतनी दृढ़ता से महसूस करता हूँ । प्रभुपाद: आप बहुत दयालु हैं कि यह बयान दे रहै हैं । अगर हम असली चीज देते हैं, तो उसका असर तो होगा ही । योगी अमृत देसाई: सही कहा । यह मैं भी कर रहा हूँ ।. हर कोई ... हमारे आश्रम में स्थायी रूप से १८० लोग रहते हैं , और वे सब ब्रह्मचर्य का अभ्यास कर रहे हैं । सब ४:००बजे जागते हैं, और वे ९:०० बजे तक सो जाते हैं । और वे एक दूसरे को स्पर्श नहीं करते हैं । वे विभिन्न शयन कक्ष में सोते हैं । वे सत-संग में भी अलग से बैठते हैं । सब कुछ सख्ती से पालन किया जाता है । कोई नशा नहीं, कोई शराब नहीं, कोई मांस नहीं, कोई चाय नहीं, कोई कॉफी नहीं, कोई लहसुन नहीं, कोई प्याज नहीं । विशुद्ध । प्रभुपाद: बहुत अच्छा । हां । हम भी इसका अनुसरण कर रहे हैं । योगी अमृत देसाई: हाँ । प्रभुपाद: लेकिन आपके पास कोइ अर्च विग्रह है ? योगी अमृत देसाई: हाँ । भगवान कृष्ण और राधा हमारे अर्च विग्रह हैं । मेरे गुरु स्वामी कृपालु-आनंदी हैं । वे .. बड़ौदा के पास उनका एक आश्रम है । उन्होंने सत्ताईस साल तक साधना का अभ्यास किया, और बारह वर्ष तक पूर्ण मौन में थे ।. पिछले कुछ वर्षों से वह वर्ष में एक बार या दो बार बात करते हैं क्योंकि कई लोगों के अनुरोध किया । प्रभुपाद: वे मंत्र जाप नहीं करते हैं ? योगी अमृत देसाई: वे मंत्र जाप करते हैं । उनकि चुप्पी के दौरान, मंत्र जाप की अनुमति है । क्योंकि जब वे कहते हैं ... जब तुम भगवान का नाम लेते हो, उसे चुप्पी तोड़ने नहीं कहा जाता है । तो वे मंत्र जाप करते हैं । प्रभुपाद: मौन का अर्थ है हम बकवास बात नहीं करेंगे । हम हरे कृष्ण मंत्र का जाप करेंगे । यही मौन है । बजाय समय बर्बाद करने के, इस भौतिक जगत कि बात करके, चलो हम हरे कृष्ण मंत्र का जाप करें । वह सकारात्मक है । और चुप्पी नकारात्मक है । बकवास बंद करो, समझदारी की बात करो । योगी अमृत देसाई: सही है ! यह सही है । प्रभुपाद: परं दृष्ट्वा निवर्तते (भ गी २।५९) । परं दृष्ट्वा निवर्तते । अगर हम बकवास बंद करें, तब परम, सर्वोच्च ...परं दृष्ट्वा निवर्तते । जब अापको बेहतर चीजें मिलेगी, तो आप स्वाभाविक रूप से बकवास छोड देंगे । तो कुछ भी भौतिक, वह बकवास है । कर्म, ज्ञान, योग, वे सभी भौतिक हैं । कर्म, ज्ञान, योग । यहां तक ​​कि तथाकथित योग, वे सभी भौतिक हैं ।