HI/Prabhupada 0033 - महाप्रभु का नाम पतीत-पावन है, वे सब बुरे पुरुषों का उद्धार कर रहे हैं: Difference between revisions

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प्रभुपाद: तुम्हारे कहने का मतलब है कि सरकार सही है ?
प्रभुपाद: तुम्हारे कहने का मतलब है कि सरकार सही है ?


पुष्ट कृष्ण: नहीं ।
पुष्ट कृष्ण: नहीं
 
प्रभुपाद: तो ? उन्हे हटाया जाना चाहिए । सरकार का मतलब है, आजकल, सब धूर्त । वे धूर्तों द्वारा चुने जाते हैं और वे धूर्त हैं । यही कठिनाई है । कहीं भी तुम जाओ, तुम्हे धूर्त ही मिलेंगे । मंद । परिभाषा दी गई है, मंद । यहां तक ​​कि हमारे शिविर में इतने सारे धूर्त हैं । बस रिपोर्ट देखो । यहां तक ​​कि वे सुधार के लिए आए हैं, वे धूर्त हैं । वे अपनी धूर्त आदतों को छोड नहीं सकते हैं । इसलिए यह सामान्यीकृत किया गया है, मंद : "सब बुरे हैं ।"
 
लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि हमारे शिविर में दुष्टों का सुधार किया जा रहा है, बाहर कोई सुधार नहीं हो रहा है । उनके सुधरने की उम्मीद है, लेकिन बाहर कोई उम्मीद नहीं है । फर्क यही है । अन्यथा हर कोई बुरा है । किसी भी भेदभाव के बिना तुम कह सकते हो । मन्दा: सुमन्द मतयो  ([[Vanisource:SB 1.1.10|श्रीमद भागवतम १.१.१०]]) । अब, कैसे सरकार अच्छी होगी ? यह भी बुरी है । महाप्रभु का नाम पतीत-पावन है, वे सब बुरे पुरुषों का उद्धार कर रहे हैं । कली-युग में कोई अच्छे आदमी नहीं हैं - सब बुरे हैं । सशक्त होना पड़ेगा तुम्हे सभी बुरे लोगों से निपटने के लिए ।  


प्रभुपाद: तो ? उनहे हटाया जाना चाहिए । सरकार का मतलब है, आजकल, सब धूर्त । वे धूर्तों द्वारा चुने जाते हैं और वे धूर्त हैं । यही कठिनाई है । कहीं भी तुम जाओ, तुमहे धूर्त ही मिलेंगे । मंद । परिभाषा दी गई है, मंद । यहां तक ​​कि हमारे शिविर में इतने सारे धूर्त हैं । बस रिपोर्ट देखो । यहां तक ​​कि वे सुधार के लिए आए हैं, वे धूर्त हैं । वे अपनी बदमाश आदतों को छोड नहीं सकते हैं । इसलिए यह सामान्यीकृत किया गया है, मंद : "सब बुरे हैं ।" लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि हमारे शिविर में दुष्टों का सुधार किया जा रहा है, बाहर कोई सुधार नहीं हो रहा है । उनके सुधरने की उम्मीद है, लेकिन बाहर कोई उम्मीद नहीं है । फर्क यही है । अन्यथा हर कोई बुरा है । किसी भी भेदभाव के बिना तुम कह सकते ो । मन्दा: सुमन्द मतयो (एस.बी. १।१।१०) । अब, कैसे सरकार अच्छी होगी ? यह भी बुरी है । महाप्रभु का नाम पतीत-पावन है, वे सब बुरे पुरुषों का उद्धार कर रहे हैं । कली-युग में कोई अच्छा आदमी नहीं है - सब बुरे हैं । सशक्त होना पड़ेगा तुमहे सभी बुरे लोगों से निपटने के लिए ।
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Latest revision as of 12:32, 5 October 2018



Morning Walk -- October 4, 1975, Mauritius

पुष्ट कृष्ण: सरकारें आजकल सबसे अपमानजनक, पापी गतिविधियों का समर्थन कर रही हैं । तो कैसे आम लोगों का सुधार करना संभव है ?

प्रभुपाद: तुम्हारे कहने का मतलब है कि सरकार सही है ?

पुष्ट कृष्ण: नहीं

प्रभुपाद: तो ? उन्हे हटाया जाना चाहिए । सरकार का मतलब है, आजकल, सब धूर्त । वे धूर्तों द्वारा चुने जाते हैं और वे धूर्त हैं । यही कठिनाई है । कहीं भी तुम जाओ, तुम्हे धूर्त ही मिलेंगे । मंद । परिभाषा दी गई है, मंद । यहां तक ​​कि हमारे शिविर में इतने सारे धूर्त हैं । बस रिपोर्ट देखो । यहां तक ​​कि वे सुधार के लिए आए हैं, वे धूर्त हैं । वे अपनी धूर्त आदतों को छोड नहीं सकते हैं । इसलिए यह सामान्यीकृत किया गया है, मंद : "सब बुरे हैं ।"

लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि हमारे शिविर में दुष्टों का सुधार किया जा रहा है, बाहर कोई सुधार नहीं हो रहा है । उनके सुधरने की उम्मीद है, लेकिन बाहर कोई उम्मीद नहीं है । फर्क यही है । अन्यथा हर कोई बुरा है । किसी भी भेदभाव के बिना तुम कह सकते हो । मन्दा: सुमन्द मतयो (श्रीमद भागवतम १.१.१०) । अब, कैसे सरकार अच्छी होगी ? यह भी बुरी है । महाप्रभु का नाम पतीत-पावन है, वे सब बुरे पुरुषों का उद्धार कर रहे हैं । कली-युग में कोई अच्छे आदमी नहीं हैं - सब बुरे हैं । सशक्त होना पड़ेगा तुम्हे सभी बुरे लोगों से निपटने के लिए ।