HI/Prabhupada 0041 - वर्तमान जीवन अशुभता से भरा है: Difference between revisions

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पूरा ज्ञान। तुम अगर पढ़ सकते हो भगवद गीता, आप को पूरा ज्ञान मिलेगा। तो भगवान क्या कहते हैं? इदम् तु ते गुह्यतमम् प्रवक्श्यामि अनसूयवे (भ गी ९।१) भगवान कृष्ण, अर्जुन को सिखा रहे हैं। तो नौवें अध्याय में वह कहते हैं "मेरे प्रिय अर्जुन," मैं अब तुम्हे सबसे गोपनीय ज्ञान बोल रहा हूँ, "गुहयतमम्" तमम् का मतलब है अतिशयोक्ति, सकारात्मक तुलनात्मक और अत्युत्तमता। संस्कृत में, तरा-तम। तर तुलनात्मक है, और तम का मतलब है अतिशयोक्ति। तो यहाँ भगवान कहते हैं, उस उत्तम देवत्व व्यक्तित्व का कहना है, इदम तू ते गुहयतमम् प्रवक्ष्यामि : "अब मैं आप सबसे गोपनीय ज्ञान बोल रहा हूँ." ज्ञानम् विज्ञानम् सहितम् ज्ञान है पूर्ण ज्ञान के साथ, न कि कल्पना। ज्ञानम् विज्ञानम् सहितम्। विज्ञानम् मतलब "विज्ञान", "प्रत्यक्ष निदर्शन" तो ज्ञानम् विज्ञानम् सहितम् यज ज्ञात्वा। तुम इस ज्ञान को सीखोगे, ज्ञात्वा मोक्श्यसे अशुभात् अशुभात्। मोक्श्यसे आपको मुक्ति मिलेगि, और अशुभात् का मतलब है ""अशुभ" "अशुभ। तो हमारे वर्तमान जीवन में, वर्तमान क्षण में, वर्तमान जीवन इसका मतलब है जब तक हम इस भौतिक शरीर मे हैं, वह अशुभता से भरा है। मोक्शयसे अशुभात्। अशुभात् मतलब अशुभ।
पूर्ण ज्ञान । अगर तुम भगवद्-गीता पढ़ोगे, तुम्हे पूर्ण ज्ञान मिलेगा ।
 
तो भगवान क्या कहते हैं ?
 
:इदम तु ते गुह्यतमम प्रवक्षयामि अनसूयवे
:([[HI/BG 9.1|भ गी ९.१]])
 
भगवान, कृष्ण, अर्जुन को सिखा रहे हैं । तो नौवें अध्यायमें वे कहते हैं "मेरे प्रिय अर्जुन, मैं अब तुम्हे सबसे गोपनीय ज्ञान बता रहा हूँ, "गुह्यतमम" तमम का मतलब है अतिशयोक्ति, सकारात्मक, तुलनात्मक और अतिशयोक्ति । संस्कृतमें, तर-तम । तर तुलनात्मक है, और तमका मतलब है अतिशयोक्ति । तो यहाँ भगवान कहते हैं, उस पुरषोत्तम भगवानका कहना है, इदम तु ते गुह्यतमम प्रवक्ष्यामि: "अब मैं सबसे गोपनीय ज्ञान तुम्हे बता रहा हूँ ।" ज्ञानम विज्ञानम सहितम ([[HI/BG 9.1|भ गी ९.१]])  । ज्ञान है पूर्ण ज्ञानके साथ, न की कल्पना । ज्ञानम विज्ञानम सहितम । विज्ञान का अर्थ है "विज्ञान", "प्रत्यक्ष निदर्शन " तो ज्ञानम विज्ञानम सहितम यज्ज्ञात्वा ([[HI/BG 9.1|भ गी ९.१]])  । अगर तुम इस ज्ञानको सीखोगे, ज्ञात्वा मोक्ष्यसे अशुभात् । अशुभात् । मोक्ष्यसेका अर्थ है तुम्हे मुक्ति मिलेगी, और अशुभातका अर्थ है "अशुभ " अशुभ। तो हमारा वर्तमान जीवन, वर्तमान क्षणमें, वर्तमान जीवनका अर्थ है जब तक हम इस भौतिक शरीरमे हैं, वह अशुभता से भरा है । मोक्ष्यसे अशुभात् । अशुभात् का अर्थ है अशुभ ।
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Latest revision as of 18:01, 17 September 2020



Lecture on BG 9.1 -- Melbourne, June 29, 1974

पूर्ण ज्ञान । अगर तुम भगवद्-गीता पढ़ोगे, तुम्हे पूर्ण ज्ञान मिलेगा ।

तो भगवान क्या कहते हैं ?

इदम तु ते गुह्यतमम प्रवक्षयामि अनसूयवे
(भ गी ९.१)

भगवान, कृष्ण, अर्जुन को सिखा रहे हैं । तो नौवें अध्यायमें वे कहते हैं "मेरे प्रिय अर्जुन, मैं अब तुम्हे सबसे गोपनीय ज्ञान बता रहा हूँ, "गुह्यतमम" तमम का मतलब है अतिशयोक्ति, सकारात्मक, तुलनात्मक और अतिशयोक्ति । संस्कृतमें, तर-तम । तर तुलनात्मक है, और तमका मतलब है अतिशयोक्ति । तो यहाँ भगवान कहते हैं, उस पुरषोत्तम भगवानका कहना है, इदम तु ते गुह्यतमम प्रवक्ष्यामि: "अब मैं सबसे गोपनीय ज्ञान तुम्हे बता रहा हूँ ।" ज्ञानम विज्ञानम सहितम (भ गी ९.१) । ज्ञान है पूर्ण ज्ञानके साथ, न की कल्पना । ज्ञानम विज्ञानम सहितम । विज्ञान का अर्थ है "विज्ञान", "प्रत्यक्ष निदर्शन ।" तो ज्ञानम विज्ञानम सहितम यज्ज्ञात्वा (भ गी ९.१) । अगर तुम इस ज्ञानको सीखोगे, ज्ञात्वा मोक्ष्यसे अशुभात् । अशुभात् । मोक्ष्यसेका अर्थ है तुम्हे मुक्ति मिलेगी, और अशुभातका अर्थ है "अशुभ ।" अशुभ। तो हमारा वर्तमान जीवन, वर्तमान क्षणमें, वर्तमान जीवनका अर्थ है जब तक हम इस भौतिक शरीरमे हैं, वह अशुभता से भरा है । मोक्ष्यसे अशुभात् । अशुभात् का अर्थ है अशुभ ।