HI/Prabhupada 0500 - तुम भौतिक दुनिया में स्थायी रूप से खुश नहीं हो सकते हो

Revision as of 22:57, 23 July 2015 by Rishab (talk | contribs) (Created page with "<!-- BEGIN CATEGORY LIST --> Category:1080 Hindi Pages with Videos Category:Prabhupada 0500 - in all Languages Category:HI-Quotes - 1972 Category:HI-Quotes - Lec...")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)


Invalid source, must be from amazon or causelessmery.com

Lecture on BG 2.15 -- Hyderabad, November 21, 1972

प्रभुपाद: अगर तुम वास्तव में खुश होना चाहते हो, खुशी, तुम असली अच्छाई चाहते हो, तो तुम कृष्ण के प्रति जागरूक बनने की कोशिश करो । यही तुम्हे वास्तविक खुशी देगा । अन्यथा, अगर तुम बस इस भौतिक हालत से परेशान हैं,

नासतो विद्यते भावो
नभावो विद्यते सत:
उभयोर अपि दृष्टो अन्तस
त्व अनयोस तत्व-दर्शीबि:
(बग २।१६)

तत्व-दर्शीबि: , जिन्होने, निरपेक्ष सत्य को देखा है, या जिनको निरपेक्ष सत्य का एहसास हो गया है, उन्होने यह निष्कर्ष निकाला है कि इस पदार्थ का कोई स्थायी अस्तित्व नहीं है, और आत्मा का कोई विनाश नहीं है । ये दो बातें समझ में आ जाएगी । असत: । असत: का मतलब है भौतिक । नासतो विद्यते भाव: । असत:, कुछ भी असत ..... भौतिक संसार में कुछ भी, यह असत है । असत का मतलब है अस्तित्व नहीं होना, अस्थायी । तो तुम अस्थायी दुनिया में स्थायी खुशी की उम्मीद नहीं कर सकते । यह संभव नहीं है । लेकिन वे खुश होने की कोशिश कर रहे हैं । तो कई योजना आयोग, काल्पनिक । लेकिन वास्तव में कोई खुशी नहीं है । तो कई आयोग । लेकिन वहाँ है ... तत्त्व-दर्षि, वे जानते हैं ... तत्त्व-दर्षि, जिसने देखा है या निरपेक्ष सत्य का एहसास किया है, वह जानता है कि इस भौतिक दुनिया में कोई खुशी नहीं हो सकती है । यह निष्कर्ष किया जाना चाहिए । यह बस छायाचित्र है, अगर तुम इस भौतिक दुनिया में खुश होना चाहते हो । लेकिन लोग इतने मूर्ख बन गए हैं, विशेष रूप से इन दिनों में, वे केवल इस भौतिक दुनिया पर योजना बना रहे हैं, कैसे वे खुश हो जाएँगे । हमने व्यावहारिक रूप से देखा है । हमारे देश में क्या है? यह अभी तक भौतिक सभ्यता के पीछे, दूर है । अमेरिका में, इतने सारे मोटरकार हैं । हर तीसरे आदमी, या दूसरे आदमी के पास कार है । हम गरीब आदमी हैं, हम संन्यासी हैं, ब्रह्मचारी । फिर भी, हर मंदिर में हमारे कम से कम चार, पांच कारें हैं । प्रत्येक मंदिर में । बहुत अच्छी कार है । भारत में ऐसी कार मंत्रि भी कल्पना नहीं कर सकते हैं । आप देखते हैं? अच्छे, अच्छे कार । तो उनके पास कई कारें हैं । लेकिन समस्या यह है कि वे हमेशा सड़कें बनाने में लगे हैं, फ्लाईओवर, एक के बाद एक, एक के बाद एक, एक के... यह इस स्तर पर आ गया है, चार, पांच । चार, पांच मंजिला सड़कें । (हंसी) तो तुम कैसे खुश हो सकते हो? इसलिए तत्त्व-दर्शीभि: न असत: तुम भौतिक दुनिया में स्थायी रूप से खुश नहीं हो सकते हो । यह संभव नहीं है । तो यहाँ खुश होने के लिए अपना समय बर्बाद मत करो । एक और जगह में, यह कहा जाता है, पदम पदम यद विपदाम न तेशाम (श्री भ १०।१४।५८) वही उदाहरण दिया जा सकता है । अमेरिका में, इतने लाखों लोग मोटर दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं । कितने? आंकड़ा क्या है? तुम्हे याद नहीं है?

श्यामसुन्दर: साठ हजार, मुझे लगता है कि ...

प्रभुपाद: साठ हजार? नहीं, नहीं । साठ से अधिक है ... इतने सारे लोग मोटर दुर्घटनाओं में मर जाते हैं । तो हमारे कुछ छात्र, कुछ महीने पहले, उनकी मोटर दुर्घटना में मृत्यु हो गई । अमेरिका में मोटर दुर्घटना में मरना बहुत आश्चर्यजनक बात नहीं है । क्योंकि मोटर्स, मेरे कहने का मतलब है, सत्तर मील, अस्सी मील, नब्बे मील की गति से चल रहे हैं, और न केवल एक मोटर गाड़ी, एक के बाद एक, सैकड़ों । और अगर एक थोडी से धीमी है, तो तुरंत, ( दुर्घटना की अावाज़ निकालते हुए ) "टकर टक' ।