HI/Prabhupada 0629 - हम अलग अलग वस्त्र में भगवान के विभिन्न पुत्र हैं: Difference between revisions

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तो कृष्ण के प्रति जागरूक बनने के लिए, हमें केवल तीन चीजों को समझने की आवश्यकता होती है:
तो कृष्ण भावना भावित बनने के लिए, हमें केवल तीन चीजों को समझने की आवश्यकता होती है:  


:भोक्तारम् यज्ञ तपसाम्स
:भोक्तारम यज्ञ तपसाम
:र्व लोक महेश्वरम
:सर्व लोक महेश्वरम  
:सुहृदम सर्व भूतानाम
:सुहृदम सर्व भूतानाम  
:ज्ञात्वा माम शंातिम ऋच्छति
:ज्ञात्वा माम शान्तिम ऋच्छति  
:([[Vanisource:BG 5.29|भ गी ५।२९]])
:([[HI/BG 5.29|भ.गी. ५.२९]])


हम में से हर एक खुश होने की कोशिश कर रहा है, संतुष्ट । यही अस्तित्व के लिए संघर्ष है । लेकिन अगर हम इन तीन सिद्धांतों को समझते हैं, कि भगवान परम पिता हैं, भगवान परम मालिक हैं, भगवान परम मित्र हैं, ये तीन बातें, अगर तुम यह समझते हो, तो तुम तुरंत शांत हो जाते हो । तुरंत । तुम दोस्त बनाते हो सहायता प्राप्त करने के लिए, इतने सारे । लेकिन अगर हम बस स्वीकार करें भगवान कृष्ण को, अपने मित्र, परम मित्र, तो तुम्हारी मित्रता की समस्या हल हो जाएगी । इसी तरह अगर हम भगवान को स्वीकार करें परम मालिक के रूप में, तो हमारी अन्य समस्याअों का हल हो जाएगा । क्योंकि हम झूठी स्वामित्व का दावा कर रहे हैं उन चीजों का जो भगवान की हैं । झूठा दावा करके कि "यह भूमि, अमेरिका की यह भूमि, अमेरिकियों की है; अफ्रीका की भूमि अफ्रीकियों की है ।" नहीं । हर देश भगवान के अंतर्गत आता है । हम अलग अलग वस्त्र में भगवान के विभिन्न बेटे हैं । हमें पिता की संपत्ति का आनंद लेने का अधिकार मिला है, भगवान, दूसरों के अधिकारों का उल्लंघन किए बिना । जैसे परिवार में, हम रहते हैं, इतने सारे भाइ । तो जो कुछ भी पिता, मां हमें खाने को देते हैं हम खाते हैं । हम दूसरों की थाली पर अतिक्रमण नहीं करते हैं । यह सभ्य परिवार नहीं है । इसी तरह, अगर हम भगवान के प्रति सजग हो जाते हैं, कृष्ण के प्रति जागरूक, तो दुनिया की सारी समस्याऍ - समाजशास्त्र, धर्म, आर्थिक विकास, राजनीति - सब कुछ सुलझ जाएगा । यह एक तथ्य है । इसलिए हम इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन का प्रसार करने की कोशिश कर रहे हैं मानव समाज के कुल लाभ के लिए । हम बुद्धिमान व्यक्तियों से अनुरोध करते हैं, विशेष रूप से छात्र समुदाय से, इस आंदोलन में शामिल होने के लिए यह आंदोलन क्या है वैज्ञानिक रूप से समझने की कोशिश करने के लिए । हमारे पास कई किताबें हैं, कम से कम दो दर्जन पुस्तकें, बड़ी, बड़ाी । तो तुम उन्हें पढ़ सकते हो, तुम इस आंदोलन को समझने की कोशिश कर सकते हो, और हमारे साथ शामिल हो सकते हो
हम में से हर एक खुश, संतुष्ट, होने की कोशिश कर रहा है । यही अस्तित्व के लिए संघर्ष है । लेकिन अगर हम इन तीन सिद्धांतों को समझते हैं, कि भगवान परम पिता हैं, भगवान परम मालिक हैं, भगवान परम मित्र हैं, ये तीन बातें, अगर तुम यह समझते हो, तो तुम तुरंत शांत हो जाते हो । तुरंत । तुम दोस्त बनाते हो सहायता प्राप्त करने के लिए, इतने सारे । लेकिन अगर हम बस स्वीकार करें भगवान कृष्ण को, अपने मित्र, परम मित्र, तो तुम्हारी मित्रता की समस्या हल हो जाएगी । इसी तरह अगर हम भगवान को स्वीकार करें परम मालिक के रूप में, तो हमारी अन्य समस्याअों का हल हो जाएगा । क्योंकि हम झूठी स्वामित्व का दावा कर रहे हैं उन चीजों का जो भगवान की हैं । झूठा दावा करके कि "यह भूमि, अमेरिका की यह भूमि, अमेरिकियों की है; अफ्रीका की भूमि अफ्रीकियों की है ।" नहीं । हर देश भगवान के अंतर्गत आता है ।  


बहुत बहुत धन्यवाद । हरे कृष्ण । (दर्शकों की सराहना)
हम अलग अलग वस्त्र में भगवान के विभिन्न बेटे हैं । हमें पिता की, भगवान की, संपत्ति का आनंद लेने का अधिकार मिला है, दूसरों के अधिकारों का उल्लंघन किए बिना । जैसे परिवार में, हम रहते हैं, इतने सारे भाइ । तो जो कुछ भी पिता, माता, हमें खाने को देते हैं हम खाते हैं । हम दूसरों की थाली पर अतिक्रमण नहीं करते हैं । यह सभ्य परिवार नहीं है । इसी तरह, अगर हम भगवान के प्रति सजग हो जाते हैं, कृष्ण भावना भावित, तो दुनिया की सारी समस्याऍ - समाजशास्त्र, धर्म, आर्थिक विकास, राजनीति - सब कुछ सुलझ जाएगा । यह एक तथ्य है । इसलिए हम इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन का प्रसार करने की कोशिश कर रहे हैं मानव समाज के कुल लाभ के लिए ।
 
हम बुद्धिमान व्यक्तियों से अनुरोध करते हैं, विशेष रूप से छात्र समुदाय से, इस आंदोलन में शामिल होने के लिए, यह आंदोलन क्या है वैज्ञानिक रूप से समझने की कोशिश करने के लिए । हमारे पास कई किताबें हैं, कम से कम दो डज़न पुस्तक, बड़ी, बड़ी । तो तुम उन्हें पढ़ सकते हो, तुम इस आंदोलन को समझने की कोशिश कर सकते हो, और हमारे साथ शामिल हो सकते हो ।
 
बहुत बहुत धन्यवाद । हरे कृष्ण । (दर्शकों की तालिया)  
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Latest revision as of 19:00, 17 September 2020



Lecture on BG 2.13 -- Pittsburgh, September 8, 1972

तो कृष्ण भावना भावित बनने के लिए, हमें केवल तीन चीजों को समझने की आवश्यकता होती है:

भोक्तारम यज्ञ तपसाम
सर्व लोक महेश्वरम
सुहृदम सर्व भूतानाम
ज्ञात्वा माम शान्तिम ऋच्छति
(भ.गी. ५.२९)

हम में से हर एक खुश, संतुष्ट, होने की कोशिश कर रहा है । यही अस्तित्व के लिए संघर्ष है । लेकिन अगर हम इन तीन सिद्धांतों को समझते हैं, कि भगवान परम पिता हैं, भगवान परम मालिक हैं, भगवान परम मित्र हैं, ये तीन बातें, अगर तुम यह समझते हो, तो तुम तुरंत शांत हो जाते हो । तुरंत । तुम दोस्त बनाते हो सहायता प्राप्त करने के लिए, इतने सारे । लेकिन अगर हम बस स्वीकार करें भगवान कृष्ण को, अपने मित्र, परम मित्र, तो तुम्हारी मित्रता की समस्या हल हो जाएगी । इसी तरह अगर हम भगवान को स्वीकार करें परम मालिक के रूप में, तो हमारी अन्य समस्याअों का हल हो जाएगा । क्योंकि हम झूठी स्वामित्व का दावा कर रहे हैं उन चीजों का जो भगवान की हैं । झूठा दावा करके कि "यह भूमि, अमेरिका की यह भूमि, अमेरिकियों की है; अफ्रीका की भूमि अफ्रीकियों की है ।" नहीं । हर देश भगवान के अंतर्गत आता है ।

हम अलग अलग वस्त्र में भगवान के विभिन्न बेटे हैं । हमें पिता की, भगवान की, संपत्ति का आनंद लेने का अधिकार मिला है, दूसरों के अधिकारों का उल्लंघन किए बिना । जैसे परिवार में, हम रहते हैं, इतने सारे भाइ । तो जो कुछ भी पिता, माता, हमें खाने को देते हैं हम खाते हैं । हम दूसरों की थाली पर अतिक्रमण नहीं करते हैं । यह सभ्य परिवार नहीं है । इसी तरह, अगर हम भगवान के प्रति सजग हो जाते हैं, कृष्ण भावना भावित, तो दुनिया की सारी समस्याऍ - समाजशास्त्र, धर्म, आर्थिक विकास, राजनीति - सब कुछ सुलझ जाएगा । यह एक तथ्य है । इसलिए हम इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन का प्रसार करने की कोशिश कर रहे हैं मानव समाज के कुल लाभ के लिए ।

हम बुद्धिमान व्यक्तियों से अनुरोध करते हैं, विशेष रूप से छात्र समुदाय से, इस आंदोलन में शामिल होने के लिए, यह आंदोलन क्या है वैज्ञानिक रूप से समझने की कोशिश करने के लिए । हमारे पास कई किताबें हैं, कम से कम दो डज़न पुस्तक, बड़ी, बड़ी । तो तुम उन्हें पढ़ सकते हो, तुम इस आंदोलन को समझने की कोशिश कर सकते हो, और हमारे साथ शामिल हो सकते हो ।

बहुत बहुत धन्यवाद । हरे कृष्ण । (दर्शकों की तालिया)