HI/Prabhupada 0639 - व्यक्तिगत अात्मा हर शरीर में है और परमात्मा, परमात्मा असली मालिक हैं: Difference between revisions

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तो पशु जीवन की निम्न अवस्था में, श्री कृष्ण हैं । जैसा कि वे कहते हैं, देहे सर्वस्य भारत । एक और जगह पर, कृष्ण कहते हैं कि यह देही या क्षेत्र-ज्ञ, शरीर का मालिक है और एक अन्य क्षेत्र- ज्ञ है, एक अौर मालिक । यही श्री कृष्ण है । क्षेत्र-ज्ञम चापि माम विद्धि सर्व-क्षेत्रषु भारत ([[Vanisource:BG 13.3|भ गी १३।३]]) जैसे व्यक्तिगत अात्मा जीव के शरीर के भीतर है, इसी तरह, परमात्मा कृष्ण, भी वहाँ हैं । वहाँ दोनों हैं । वहाँ दोनों हैं । तो वे सभी जीवों के मालिक हैं । सभी शरीरों के । कभी कभी कृष्ण पर दुष्ट आरोप लगाते हैं कि, "क्यों वे दूसरे की पत्नी के साथ नृत्य करते थे ?" लेकिन असल में वे मालिक हैं । देहे सर्वस्य भारत । मैं मालिक नहीं हूं; वे मालिक हैं । तो अगर मालिक नाचता है अपने, मेरे कहने का मतलब है, दासियों के साथ या भक्त, तो गलत क्या है ? गलत क्या है? वे उनके मालिक हैं । तुम मालिक नहीं हो । देहे सर्वस्य भारत । वे हैं ... व्यक्तिगत अात्मा हर शरीर में है और परमात्मा, परमात्मा असली मालिक हैं । कृष्ण कहते हैं कि भोक्तरा यज्ञ-तपसाम सर्व-लोक-महेश्वरम ([[Vanisource:BG 5.29|भ गी ५।२९]]) महेश्वरम, वे परम मालिक हैं । सुहृदम सर्व-भूतानाम । वे वास्तविक मित्र हैं । अगर मेरा कोई प्रेमी है, मैं मित्र हूँ, मैं मित्र नहीं हूँ । वास्तविक मित्र कृष्ण हैं । सुहृदम सर्व-भूतानाम । यह कहा जाता है, तस्माद सर्वाणि भूतानि । कृष्ण असली मित्र हैं । तो अगर गोपियॉ अपने असली मित्र के साथ नृत्य करती हैं, तो गलत क्या है ? गलत क्या है ? लेकिन जो दुष्ट हैं, कृष्ण को नहीं जानते हैं, वे सोचते हैं कि यह अनैतिक है । यह अनैतिक नहीं है । यह सही बात है । सही बात । कृष्ण असली पति है । इसलिए उन्होंने १६१०८ पत्नियों से शादी कर ली । क्यों १६००० ? अगर उन्होंने सोलह खरब, अरबों पत्नियों से शादी कर ली है, तो गलत क्या है? क्योंकि वे असली पति हैं । सर्व-लोक-महेश्वरम ([[Vanisource:BG 5.29|भ गी ५।२९]])
तो पशु जीवन की निम्न अवस्था में, श्री कृष्ण हैं । जैसा कि वे कहते हैं, देहे सर्वस्य भारत । एक और जगह पर, कृष्ण कहते हैं कि यह देही या क्षेत्र-ज्ञ, शरीर का मालिक है, और एक अन्य क्षेत्र- ज्ञ है, एक अौर मालिक । यही श्री कृष्ण है । क्षेत्र-ज्ञम चापि माम विद्धि सर्व-क्षेत्रषु भारत ([[HI/BG 13.3|भ.गी. १३.३]]) | जैसे व्यक्तिगत अात्मा जीव के शरीर के भीतर है, इसी तरह, परमात्मा कृष्ण, भी वहाँ हैं । वहाँ दोनों हैं । वहाँ दोनों हैं । तो वे सभी जीवों के मालिक हैं । सभी शरीरों के ।  


तो जो कृष्ण को नहीं जानते हैं, दुष्ट, वे कृष्ण पर आरोप लगाते हैं, कि वे अनैतिक, या महिलाअों का शिकारी, एसे । और वे इस में आनंद लेते हैं । इसलिए, वे गोपियों के साथ कृष्ण की तस्वीरें, उनकी प्रेम लीला की तस्वीर बनाते हैं । लेकिन वे वह तस्वीर नहीं बनाते हैं कि कैसे वे कंस को मारते हैं, कैसे वे राक्षसों को मार रहा हैं । उन्हे यह पसंद नहीं है । यह सहजिया है । वे, अपने भ्रष्ट आचरण के लिए, अपने भ्रष्ट आचरण के लिए, वे कृष्ण द्वारा समर्थित होना पसंद करते है । "कृष्ण नें ऐसा किया है ।" "कृष्ण अनैतिक बन गए हैं । तो इसलिए हम भी अनैतिक हैं । हम कृष्ण के महान भक्त हैं, क्योंकि हम अनैतिक हैं ।" यह चल रहा है । इसलिए, कृष्ण को समझने के लिए, थोडी बुद्धि की आवश्यकता है । बेहतर बुद्धि । बहुनाम जन्मनाम अंते ज्ञानवान ([[Vanisource:BG 7.19|भ गी ७।१९]]) ज्ञानवान का मतलब है प्रथम श्रेणी का बुद्धिमान । माम प्रपद्यते । वह कृष्ण हैं क्या, यह समझता है । वासुदेव: सर्वम इति स महात्मा सुदुर्लभ: । इस तरह का बुद्धिमान महात्मा.... तुम किसी बदमाश महात्मा का पता लगा सकते हो, जो बस वस्त्र बदल कर, बिना कृष्ण भावनामृत के, अपने अाप को भगवान या कृष्ण घोषित करता है। उनके चेहरे पर लात मारो । कृष्ण इन सभी दुष्टों से अलग हैं । लेकिन अगर तुम कृष्ण को समझते हो, अगर तुम बहुत भाग्यशाली हो - एइ रूपे ब्रह्माणड भ्रमिते कोन भाग्यवान जीव ([[Vanisource:CC Madhya 19.151|चै च मध्य १९।१५१]]) केवल सबसे भाग्यशाली व्यक्ति ही कृष्ण को समझ सकता है, कृष्ण क्या हैं ।
कभी कभी कृष्ण पर दुष्ट आरोप लगाते हैं कि, "क्यों वे दूसरे की पत्नी के साथ नृत्य करते थे ?" लेकिन असल में वे मालिक हैं । देहे सर्वस्य भारत । मैं मालिक नहीं हूं; वे मालिक हैं । तो अगर मालिक नाचता है अपने, मेरे कहने का मतलब है, दासियों के साथ या भक्त के साथ, तो गलत क्या है ? गलत क्या है? वे उनके मालिक हैं । तुम मालिक नहीं हो । देहे सर्वस्य भारत । वे हैं... व्यक्तिगत अात्मा हर शरीर में है और परमात्मा, परमात्मा असली मालिक हैं ।
 
कृष्ण कहते हैं कि भोक्तारम यज्ञ-तपसाम सर्व-लोक-महेश्वरम ([[HI/BG 5.29|भ.गी. ५.२९]]) | महेश्वरम, वे परम मालिक हैं । सुहृदम सर्व-भूतानाम । वे वास्तविक मित्र हैं । अगर मेरा कोई प्रेमी है, मैं मित्र हूँ, मैं मित्र नहीं हूँ । वास्तविक मित्र कृष्ण हैं । सुहृदम सर्व-भूतानाम । यह कहा जाता है, तस्माद सर्वाणि भूतानि । कृष्ण असली मित्र हैं । तो अगर गोपियॉ अपने असली मित्र के साथ नृत्य करती हैं, तो गलत क्या है ? गलत क्या है ? लेकिन जो दुष्ट हैं, कृष्ण को नहीं जानते हैं, वे सोचते हैं कि यह अनैतिक है । यह अनैतिक नहीं है । यह सही चीज़ है । सही चीज़ । कृष्ण असली पति है । इसलिए उन्होंने १६,१०८ पत्नियों से शादी कर ली । क्यों १६००० ? अगर उन्होंने सोलह खरब, अरबों पत्नियों से शादी कर ली है, तो भी गलत क्या है? क्योंकि वे असली पति हैं । सर्व-लोक-महेश्वरम ([[HI/BG 5.29|भ.गी. ५.२९]]) ।
 
तो जो कृष्ण को नहीं जानते हैं, दुष्ट, वे कृष्ण पर आरोप लगाते हैं, कि वे अनैतिक, या महिलाअों का शिकारी, एसे । और वे इस में आनंद लेते हैं । इसलिए, वे गोपियों के साथ कृष्ण की तस्वीरें, उनकी प्रेम लीला की तस्वीर बनाते हैं । लेकिन वे वह तस्वीर नहीं बनाते हैं कि कैसे वे कंस को मारते हैं, कैसे वे राक्षसों को मार रहे हैं । उन्हे यह पसंद नहीं है । यह सहजिया है । वे, अपने भ्रष्ट आचरण के लिए, अपने भ्रष्ट आचरण के लिए, वे कृष्ण द्वारा समर्थित होना पसंद करते है । "कृष्ण नें ऐसा किया है ।" "कृष्ण अनैतिक बन गए हैं । तो इसलिए हम भी अनैतिक हैं । हम कृष्ण के महान भक्त हैं, क्योंकि हम अनैतिक हैं ।" यह चल रहा है ।  
 
इसलिए, कृष्ण को समझने के लिए, थोडी बुद्धि की आवश्यकता है । बेहतर बुद्धि । बहुनाम जन्मनाम अंते ज्ञानवान ([[HI/BG 7.19|भ.गी. ७.१९]]) | ज्ञानवान का मतलब है प्रथम श्रेणी का बुद्धिमान । माम प्रपद्यते । वह कृष्ण हैं क्या, यह समझता है । वासुदेव: सर्वम इति स महात्मा सुदुर्लभ: । इस तरह का बुद्धिमान महात्मा... तुम किसी बदमाश महात्मा का पता लगा सकते हो, जो बस वस्त्र बदल कर, बिना कृष्ण भावनामृत के, अपने अाप को भगवान या कृष्ण घोषित करता है। उनके चेहरे पर लात मारो । कृष्ण इन सभी दुष्टों से अलग हैं । लेकिन अगर तुम कृष्ण को समझते हो, अगर तुम बहुत भाग्यशाली हो - एइ रूपे ब्रह्माणड भ्रमिते कोन भाग्यवान जीव ([[Vanisource:CC Madhya 19.151|चैतन्य चरितामृत मध्य १९.१५१]]) | केवल सबसे भाग्यशाली व्यक्ति ही कृष्ण को समझ सकता है, कृष्ण क्या हैं ।  
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Latest revision as of 17:52, 1 October 2020



Lecture on BG 2.30 -- London, August 31, 1973

तो पशु जीवन की निम्न अवस्था में, श्री कृष्ण हैं । जैसा कि वे कहते हैं, देहे सर्वस्य भारत । एक और जगह पर, कृष्ण कहते हैं कि यह देही या क्षेत्र-ज्ञ, शरीर का मालिक है, और एक अन्य क्षेत्र- ज्ञ है, एक अौर मालिक । यही श्री कृष्ण है । क्षेत्र-ज्ञम चापि माम विद्धि सर्व-क्षेत्रषु भारत (भ.गी. १३.३) | जैसे व्यक्तिगत अात्मा जीव के शरीर के भीतर है, इसी तरह, परमात्मा कृष्ण, भी वहाँ हैं । वहाँ दोनों हैं । वहाँ दोनों हैं । तो वे सभी जीवों के मालिक हैं । सभी शरीरों के ।

कभी कभी कृष्ण पर दुष्ट आरोप लगाते हैं कि, "क्यों वे दूसरे की पत्नी के साथ नृत्य करते थे ?" लेकिन असल में वे मालिक हैं । देहे सर्वस्य भारत । मैं मालिक नहीं हूं; वे मालिक हैं । तो अगर मालिक नाचता है अपने, मेरे कहने का मतलब है, दासियों के साथ या भक्त के साथ, तो गलत क्या है ? गलत क्या है? वे उनके मालिक हैं । तुम मालिक नहीं हो । देहे सर्वस्य भारत । वे हैं... व्यक्तिगत अात्मा हर शरीर में है और परमात्मा, परमात्मा असली मालिक हैं ।

कृष्ण कहते हैं कि भोक्तारम यज्ञ-तपसाम सर्व-लोक-महेश्वरम (भ.गी. ५.२९) | महेश्वरम, वे परम मालिक हैं । सुहृदम सर्व-भूतानाम । वे वास्तविक मित्र हैं । अगर मेरा कोई प्रेमी है, मैं मित्र हूँ, मैं मित्र नहीं हूँ । वास्तविक मित्र कृष्ण हैं । सुहृदम सर्व-भूतानाम । यह कहा जाता है, तस्माद सर्वाणि भूतानि । कृष्ण असली मित्र हैं । तो अगर गोपियॉ अपने असली मित्र के साथ नृत्य करती हैं, तो गलत क्या है ? गलत क्या है ? लेकिन जो दुष्ट हैं, कृष्ण को नहीं जानते हैं, वे सोचते हैं कि यह अनैतिक है । यह अनैतिक नहीं है । यह सही चीज़ है । सही चीज़ । कृष्ण असली पति है । इसलिए उन्होंने १६,१०८ पत्नियों से शादी कर ली । क्यों १६००० ? अगर उन्होंने सोलह खरब, अरबों पत्नियों से शादी कर ली है, तो भी गलत क्या है? क्योंकि वे असली पति हैं । सर्व-लोक-महेश्वरम (भ.गी. ५.२९) ।

तो जो कृष्ण को नहीं जानते हैं, दुष्ट, वे कृष्ण पर आरोप लगाते हैं, कि वे अनैतिक, या महिलाअों का शिकारी, एसे । और वे इस में आनंद लेते हैं । इसलिए, वे गोपियों के साथ कृष्ण की तस्वीरें, उनकी प्रेम लीला की तस्वीर बनाते हैं । लेकिन वे वह तस्वीर नहीं बनाते हैं कि कैसे वे कंस को मारते हैं, कैसे वे राक्षसों को मार रहे हैं । उन्हे यह पसंद नहीं है । यह सहजिया है । वे, अपने भ्रष्ट आचरण के लिए, अपने भ्रष्ट आचरण के लिए, वे कृष्ण द्वारा समर्थित होना पसंद करते है । "कृष्ण नें ऐसा किया है ।" "कृष्ण अनैतिक बन गए हैं । तो इसलिए हम भी अनैतिक हैं । हम कृष्ण के महान भक्त हैं, क्योंकि हम अनैतिक हैं ।" यह चल रहा है ।

इसलिए, कृष्ण को समझने के लिए, थोडी बुद्धि की आवश्यकता है । बेहतर बुद्धि । बहुनाम जन्मनाम अंते ज्ञानवान (भ.गी. ७.१९) | ज्ञानवान का मतलब है प्रथम श्रेणी का बुद्धिमान । माम प्रपद्यते । वह कृष्ण हैं क्या, यह समझता है । वासुदेव: सर्वम इति स महात्मा सुदुर्लभ: । इस तरह का बुद्धिमान महात्मा... तुम किसी बदमाश महात्मा का पता लगा सकते हो, जो बस वस्त्र बदल कर, बिना कृष्ण भावनामृत के, अपने अाप को भगवान या कृष्ण घोषित करता है। उनके चेहरे पर लात मारो । कृष्ण इन सभी दुष्टों से अलग हैं । लेकिन अगर तुम कृष्ण को समझते हो, अगर तुम बहुत भाग्यशाली हो - एइ रूपे ब्रह्माणड भ्रमिते कोन भाग्यवान जीव (चैतन्य चरितामृत मध्य १९.१५१) | केवल सबसे भाग्यशाली व्यक्ति ही कृष्ण को समझ सकता है, कृष्ण क्या हैं ।