HI/Prabhupada 0661 - कोई भी इन लड़कों की तुलना में बेहतर ध्यानी नहीं है: Difference between revisions

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हर व्यक्ति को मुझ पर ध्यान करना चाहिए । और अंत में, कहां ध्यान है । शून्य में नहीं । केवल विष्णु पर, यह विष्णु रूप । यही सांख्य योग है । यह सांख्य योग पहले कपिलदेव द्वारा किया गया था । वे भगवान कृष्ण के अवतार हैं । तो यह योग का राज है । यह, मेरे कहने का मतलब है, बैठकर और अपनी नाक की नोक को देखने की और सीधे बैठने की प्रक्रिया, ये सभी, मेरे कहने का मतलब है तुम्हे विष्णू के रूप पर मन ध्यान केंद्रित करने में मदद करेगा, या कृष्ण हर व्यक्ति को मुझ पर ध्यान करना चाहिए । यहॉ ध्यान का अर्थ है कृष्ण पर ध्यान । तो यहाँ इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन में, यह केवल कृष्ण पर सीधे है, कुछ भी नहीं है ... इसलिए कोई भी इन लड़कों की तुलना में बेहतर ध्यानी नहीं है । वे केवल कृष्ण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं । उनका पूरा काम कृष्ण हैं । वे बगीचे में काम कर रहे हैं, भूमी की खुदाई, "ओह, अच्छा गुलाब वहाँ होगा, हम कृष्ण को अर्पित करेंगे ।" ध्यान । प्रैक्टिकल ध्यान । मैं गुलाब उगाऊँगा और यह कृष्ण की अर्पित किया जाएगा । यहां तक ​​कि खुदाई में भी ध्यान है । तुम समझ सकते हो ? वे अच्छे खाद्य पदार्थों की तैयारी कर रहे हैं, "ओह, यह श्री कृष्ण द्वारा खाया जाएगा ।" तो खाना पकाने में ध्यान है । तुम समझ सकते हो ? और जप और नृत्य की क्या बात है । तो ये है ... वे कृष्ण में चौबीस घंटे ध्यान कर रहे हैं । पूर्ण योगी । किसी को भी आने दो और चुनौती देने गो । ये लड़के पर्ण योगी हैं । हम पूर्ण योग प्रणाली पढ़ा रहे हैं । काल्पनिक नहीं। भगवद गीता के अधिकार पर । हमने मनगढ़ंत कहानी से कुछ भी निर्मित नहीं किया है, लेकिन यहां बयान है, तुम देख रहे हो ? बस कृष्ण, या विष्णु पर अपने मन के ध्यान को केंद्रित करना है । और उनकी गतिविधियों इस तरह से ढाली गई है कि वे कृष्ण के बारे में सोचने के अलावा कृष्ण, कृष्ण, कृष्ण । तो वे उच्चतम साधक हैं । "मन के भीतर मेरे बारे में सोचो और मुझे जीवन का अंतिम लक्ष्य बनाअो ।" तो कृष्ण जीवन का अंतिम लक्ष्य है । वे कृष्णलोक जाने के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं । तो यहाँ एक पूर्ण योग है । पूर्ण योग वे अभ्यास कर रहे हैं । अागे पढि
व्यक्ति को मुझ पर ध्यान करना चाहिए । और अंत में, ध्यान कहां है । शून्य में नहीं । केवल विष्णु पर, यह विष्णु रूप । यही सांख्य योग है । यह सांख्य योग पहले कपिलदेव द्वारा किया गया था । वे भगवान कृष्ण के अवतार हैं । तो यह योग का रहस्य है । यह, मेरे कहने का मतलब है, बैठकर और अपनी नाक की नोक को देखना की और सीधे बैठने की प्रक्रिया, ये सभी, मेरे कहने का मतलब है, तुम्हे विष्णु या कृष्ण रूप पर मन ध्यान केंद्रित करने में मदद करेगा । व्यक्ति को मुझ पर ध्यान करना चाहिए । यहॉ ध्यान का अर्थ है कृष्ण पर ध्यान । तो यहाँ इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन में, यह केवल सीधे कृष्ण पर है, कुछ भी नहीं है...  
 
इसलिए कोई भी इन लड़कों की तुलना में बेहतर ध्यानी नहीं है । वे केवल कृष्ण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं । उनका पूरा काम कृष्ण हैं । वे बगीचे में काम कर रहे हैं, भूमी की खुदाई, "ओह, अच्छा गुलाब वहाँ होगा, हम कृष्ण को अर्पित करेंगे ।" ध्यान । व्यावहारिक ध्यान । मैं गुलाब उगाऊँगा और यह कृष्ण को अर्पित किया जाएगा । यहां तक ​​कि खुदाई में भी ध्यान है । तुम समझ सकते हो ? वे अच्छे खाद्य पदार्थों की तैयारी कर रहे हैं, "ओह, यह श्री कृष्ण द्वारा खाया जाएगा ।" तो खाना पकाने में ध्यान है । तुम समझ सकते हो ? और जप और नृत्य की क्या बात है । तो ये है... वे कृष्ण में चौबीस घंटे ध्यान कर रहे हैं । पूर्ण योगी । किसी को भी आने दो और चुनौती देने दो । ये लड़के पूर्ण योगी हैं ।  
 
हम पूर्ण योग प्रणाली पढ़ा रहे हैं । काल्पनिक नहीं । भगवद गीता के अधिकार पर । हमने मनगढ़ंत कहानी से कुछ भी निर्मित नहीं किया है, लेकिन यहां बयान है, तुम देख रहे हो ? बस कृष्ण, या विष्णु, पर अपने मन के ध्यान को केंद्रित करना है । और उनकी गतिविधियों इस तरह से ढाली गई है कि वे कृष्ण के अलावा कुछ नहीं सोच सकते, कृष्ण, कृष्ण, कृष्ण । तो वे उच्चतम साधक हैं । "मन के भीतर मेरे बारे में सोचो और मुझे जीवन का अंतिम लक्ष्य बनाअो ।" तो कृष्ण जीवन का अंतिम लक्ष्य है । वे कृष्णलोक जाने के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं । तो यहाँ एक पूर्ण योग है । वे पूर्ण योग अभ्यास कर रहे हैं । अागे पढ़ो ।  
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Latest revision as of 17:51, 1 October 2020



Lecture on BG 6.13-15 -- Los Angeles, February 16, 1969

व्यक्ति को मुझ पर ध्यान करना चाहिए । और अंत में, ध्यान कहां है । शून्य में नहीं । केवल विष्णु पर, यह विष्णु रूप । यही सांख्य योग है । यह सांख्य योग पहले कपिलदेव द्वारा किया गया था । वे भगवान कृष्ण के अवतार हैं । तो यह योग का रहस्य है । यह, मेरे कहने का मतलब है, बैठकर और अपनी नाक की नोक को देखना की और सीधे बैठने की प्रक्रिया, ये सभी, मेरे कहने का मतलब है, तुम्हे विष्णु या कृष्ण रूप पर मन ध्यान केंद्रित करने में मदद करेगा । व्यक्ति को मुझ पर ध्यान करना चाहिए । यहॉ ध्यान का अर्थ है कृष्ण पर ध्यान । तो यहाँ इस कृष्ण भावनामृत आंदोलन में, यह केवल सीधे कृष्ण पर है, कुछ भी नहीं है...

इसलिए कोई भी इन लड़कों की तुलना में बेहतर ध्यानी नहीं है । वे केवल कृष्ण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं । उनका पूरा काम कृष्ण हैं । वे बगीचे में काम कर रहे हैं, भूमी की खुदाई, "ओह, अच्छा गुलाब वहाँ होगा, हम कृष्ण को अर्पित करेंगे ।" ध्यान । व्यावहारिक ध्यान । मैं गुलाब उगाऊँगा और यह कृष्ण को अर्पित किया जाएगा । यहां तक ​​कि खुदाई में भी ध्यान है । तुम समझ सकते हो ? वे अच्छे खाद्य पदार्थों की तैयारी कर रहे हैं, "ओह, यह श्री कृष्ण द्वारा खाया जाएगा ।" तो खाना पकाने में ध्यान है । तुम समझ सकते हो ? और जप और नृत्य की क्या बात है । तो ये है... वे कृष्ण में चौबीस घंटे ध्यान कर रहे हैं । पूर्ण योगी । किसी को भी आने दो और चुनौती देने दो । ये लड़के पूर्ण योगी हैं ।

हम पूर्ण योग प्रणाली पढ़ा रहे हैं । काल्पनिक नहीं । भगवद गीता के अधिकार पर । हमने मनगढ़ंत कहानी से कुछ भी निर्मित नहीं किया है, लेकिन यहां बयान है, तुम देख रहे हो ? बस कृष्ण, या विष्णु, पर अपने मन के ध्यान को केंद्रित करना है । और उनकी गतिविधियों इस तरह से ढाली गई है कि वे कृष्ण के अलावा कुछ नहीं सोच सकते, कृष्ण, कृष्ण, कृष्ण । तो वे उच्चतम साधक हैं । "मन के भीतर मेरे बारे में सोचो और मुझे जीवन का अंतिम लक्ष्य बनाअो ।" तो कृष्ण जीवन का अंतिम लक्ष्य है । वे कृष्णलोक जाने के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं । तो यहाँ एक पूर्ण योग है । वे पूर्ण योग अभ्यास कर रहे हैं । अागे पढ़ो ।