HI/Prabhupada 0703 - अगर तुम श्री कृष्ण में अपने मन को स्थित करते हो तो यह समाधि है: Difference between revisions
(Created page with "<!-- BEGIN CATEGORY LIST --> Category:1080 Hindi Pages with Videos Category:Prabhupada 0703 - in all Languages Category:HI-Quotes - 1969 Category:HI-Quotes - Lec...") |
m (Text replacement - "(<!-- (BEGIN|END) NAVIGATION (.*?) -->\s*){2,15}" to "<!-- $2 NAVIGATION $3 -->") |
||
Line 8: | Line 8: | ||
[[Category:Hindi Pages - Yoga System]] | [[Category:Hindi Pages - Yoga System]] | ||
<!-- END CATEGORY LIST --> | <!-- END CATEGORY LIST --> | ||
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE --> | |||
{{1080 videos navigation - All Languages|Hindi|HI/Prabhupada 0702 - मैं आत्मा हूँ, शाश्वत हूँ। अब मैं पदार्थों से दूषित हूँ, इसलिए मैं भुगत रहा हूँ|0702|HI/Prabhupada 0704 - हरे कृष्ण मंत्र जपो और सुनने के लिए इस उपकरण (तुम्हारे कान) का उपयोग करो|0704}} | |||
<!-- END NAVIGATION BAR --> | |||
<!-- BEGIN ORIGINAL VANIQUOTES PAGE LINK--> | <!-- BEGIN ORIGINAL VANIQUOTES PAGE LINK--> | ||
<div class="center"> | <div class="center"> | ||
Line 16: | Line 19: | ||
<!-- BEGIN VIDEO LINK --> | <!-- BEGIN VIDEO LINK --> | ||
{{youtube_right| | {{youtube_right|2C4-_5I50g0|अगर तुम श्री कृष्ण में अपने मन को स्थित करते हो तो यह समाधि है<br />- Prabhupāda 0703}} | ||
<!-- END VIDEO LINK --> | <!-- END VIDEO LINK --> | ||
<!-- BEGIN AUDIO LINK (from English page --> | <!-- BEGIN AUDIO LINK (from English page --> | ||
<mp3player> | <mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/clip/690221BG-LA_Clip12.mp3</mp3player> | ||
<!-- END AUDIO LINK --> | <!-- END AUDIO LINK --> | ||
Line 28: | Line 31: | ||
<!-- BEGIN TRANSLATED TEXT (from DotSub) --> | <!-- BEGIN TRANSLATED TEXT (from DotSub) --> | ||
भक्त: प्रभुपाद? क्या भक्ति-योग की समाधि अौर इस अष्टांग योग की समाधि एक है? | भक्त: प्रभुपाद ? क्या भक्ति-योग की समाधि अौर इस अष्टांग योग की समाधि एक है? | ||
प्रभुपाद: | प्रभुपाद: हाँ । समाधि का मतलब है मन को विष्णु में स्थित करना । यही समाधि है । तो अगर तुम कृष्ण में अपने मन को स्थित करते हो तो यह समाधि है । (तोड़) कोई अौर प्रश्न ? वह पूछेगा । ठीक है। | ||
युवा लड़का: स्वामीजी? | युवा लड़का: स्वामीजी ? आपने कहा कि जब तुम बहुत ज्यादा खाते हो तो तुम्हे भुगतना होगा । लेकिन भक्तों का क्या ? अगर वे बहुत ज्यादा प्रसाद खाते हैं तब क्या ? | ||
प्रभुपाद: तुम अधिक खाना चाहते हो ? | प्रभुपाद: तुम अधिक खाना चाहते हो ? | ||
युवा लड़का: मैं बस जानना चाहता हूँ ... | युवा लड़का: मैं बस जानना चाहता हूँ की कैसे... | ||
प्रभुपाद: | प्रभुपाद: तुम्हे लगता है कि तुम ज्यादा खा रहे हो ? तो तुम ज्यादा खा सकते हो । | ||
युवा | युवा लड़का: मैंने सोचा मैं एसा कर सकता हूँ... | ||
प्रभुपाद: हां, तुम ज्यादा खा सकते हो । हाँ, यह चिकित्सा सलाह है, दो प्रकार की गलतियॉ है खाने में | कम खाना और ज्यादा-खाना । तो कम खाना बूढ़े आदमी के लिए बहुत अच्छा है । अौर ज्यादा खाना लड़कों के लिए अच्छा है । तो तुम ज्यादा खा सकते हो । मैं नहीं कर सकता । | |||
प्रभुपाद: वे नहीं कर सकते हैं । तुम कर सकते हो । तुम जितना मर्जी खा सकते हो । खुली छूट है । (हंसी) | युवा लड़का: तमाल और विष्णुजन के बारे में क्या ख्याल है ? (हंसी) | ||
प्रभुपाद: वे नहीं कर सकते हैं । तुम कर सकते हो । तुम जितना मर्जी खा सकते हो । खुली छूट है । (हंसी) | |||
<!-- END TRANSLATED TEXT --> | <!-- END TRANSLATED TEXT --> |
Latest revision as of 17:43, 1 October 2020
Lecture on BG 6.46-47 -- Los Angeles, February 21, 1969
भक्त: प्रभुपाद ? क्या भक्ति-योग की समाधि अौर इस अष्टांग योग की समाधि एक है?
प्रभुपाद: हाँ । समाधि का मतलब है मन को विष्णु में स्थित करना । यही समाधि है । तो अगर तुम कृष्ण में अपने मन को स्थित करते हो तो यह समाधि है । (तोड़) कोई अौर प्रश्न ? वह पूछेगा । ठीक है।
युवा लड़का: स्वामीजी ? आपने कहा कि जब तुम बहुत ज्यादा खाते हो तो तुम्हे भुगतना होगा । लेकिन भक्तों का क्या ? अगर वे बहुत ज्यादा प्रसाद खाते हैं तब क्या ?
प्रभुपाद: तुम अधिक खाना चाहते हो ?
युवा लड़का: मैं बस जानना चाहता हूँ की कैसे...
प्रभुपाद: तुम्हे लगता है कि तुम ज्यादा खा रहे हो ? तो तुम ज्यादा खा सकते हो ।
युवा लड़का: मैंने सोचा मैं एसा कर सकता हूँ...
प्रभुपाद: हां, तुम ज्यादा खा सकते हो । हाँ, यह चिकित्सा सलाह है, दो प्रकार की गलतियॉ है खाने में | कम खाना और ज्यादा-खाना । तो कम खाना बूढ़े आदमी के लिए बहुत अच्छा है । अौर ज्यादा खाना लड़कों के लिए अच्छा है । तो तुम ज्यादा खा सकते हो । मैं नहीं कर सकता ।
युवा लड़का: तमाल और विष्णुजन के बारे में क्या ख्याल है ? (हंसी)
प्रभुपाद: वे नहीं कर सकते हैं । तुम कर सकते हो । तुम जितना मर्जी खा सकते हो । खुली छूट है । (हंसी)