HI/Prabhupada 0950 - हमारा पड़ोसी भूखा मर सकता है, लेकिन हमें इसकी परवाह नहीं है: Difference between revisions
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देवीयों और सज्जनों, यह समारोह... बेशक, जो मेरे शिष्य हैं, वे जानते हैं कि यह समारोह क्या है । जो आगंतुक हैं, उनकी जानकारी के लिए, मैं सूचित करता हूं कुछ इस समारोह के बारे में । अन्यथा, यह... गलत समझा जा सकता है । एक बाहरी व्यक्ति देख सकते हैं कि "क्यों एक व्यक्ति को भगवान की तरह पूजा जा रहा है?" कुछ संदेह हो सकता है । तो यह शिष्टाचार है । यह समारोह व्यास पूजा कहा जाता है । व्यास । व्यास मतलब वैदिक साहित्य के मूल लेखक । वे नारायण के अवतार हैं । उन्होंने हमें सभी वैदिक ज्ञान दिया है । उन्होंने नारद से ज्ञान प्राप्त किया । नारद नें ब्रह्मा से ज्ञान प्राप्त किया । ब्रह्मा नें श्री कृष्ण से ज्ञान प्राप्त किया । | |||
तो व्यासदेव ... पूर्व में, व्यासदेव से पहले, मान लो, पांच हजार साल पहले, उस समय से पहले लिखित साहित्य की कोई अावश्यक्ता नहीं थी । लोगों की स्मृति इतनी तेज थी कि जो भी वे आध्यात्मिक गुरु से सुनते थे वे जीवन भर याद रखते । स्मृति इतनी तेज थी । लेकिन इस युग में - यह कलयुग कहा जाता है - हम हमारी शारीरिक शक्ति, हमारी स्मृति, याद करने की शक्ति को कम कर रहे हैं, दूसरों के लिए हमारी | तो इस तरह से, परम्परा से, हमें दिव्य ज्ञान मिलता है । तो व्यासदेव... पूर्व में, व्यासदेव से पहले, मान लो, पांच हजार साल पहले, उस समय से पहले लिखित साहित्य की कोई अावश्यक्ता नहीं थी । लोगों की स्मृति इतनी तेज थी कि जो भी वे आध्यात्मिक गुरु से सुनते थे वे जीवन भर याद रखते । स्मृति इतनी तेज थी । लेकिन इस युग में - यह कलयुग कहा जाता है - हम हमारी शारीरिक शक्ति, हमारी स्मृति, याद करने की शक्ति को कम कर रहे हैं, दूसरों के लिए हमारी करुणा की, सहानुभूति की भावनाऍ, उम्र, जीवन की अवधि, धार्मिक प्रवृत्ति । इस तरह से, इस युग में हम सब कुछ कम कर रहे हैं । | ||
आप में से हर एक बहुत आसानी से समझ सकता है । पहले अगर किसी पर कोई दूसरा आदमी द्वारा हमला करता, बहुत सारे लोग उसकी मदद के लिए आते: "क्यों इस आदमी पर हमला किया जा रहा है ?" लेकिन वर्तमान समय में अगर एक आदमी पर हमला किया जाता है, तो राहगीरों को इसकी परवाह नहीं है, क्योंकि वे दूसरों के लिए अपनी सहानुभूति या दया खो चुके हैं । हमारे पड़ोसी भूखे मर सकते हैं, लेकिन हमें इसकी परवाह नहीं है । लेकिन पूर्व में अन्य जीवों के लिए सहानुभूति, एक चींटी के लिए भी... जैसे महाराज परीक्षित, वे अपने राज्य का दौरा कर रहे थे, उन्होंने देखा एक आदमी एक गाय को मारने की कोशिश कर रहा था । परीक्षित महाराज नें देखा । तुरंत उन्होंने अपनी तलवार उठाई, कि "तुम कौन हो ? तुम मेरे राज्य में एक गाय की हत्या कर रहे हो ?" क्योंकि माना जाता है की राजा, या सरकार हर किसी को संरक्षण देगा, यह नहीं कि सरकार मनुष्य को संरक्षण देगी और जानवरों को नहीं । क्योंकि यह कलयुग है, सरकार दोनो नागरिकों के बीच भेदभाव करती है । राष्ट्रीय मतलब जिसने भूमि में जन्म ले लिया है । यही राष्ट्रीय कहा जाता है । | |||
यह है... तुम्हें पता है, हर कोई । तो पेड़, वे भी भूमी में पैदा होते हैं, जल के जीव भी भूमि में पैदा हुए हैं । मखी, सरीसृप, सांप, पक्षी, जानवर, मनुष्य - हर कोई उस भूमी में पैदा होता है । मान लीजिए अापका देश, अमेरिका, संयुक्त राज्य अमेरिका... क्यों सरकार एक वर्ग के जीवों को संरक्षण देती है, दूसरों को नहीं ? इसका मतलब यह है कि वे दूसरों के लिए अपनी सहानुभूति खो चुके हैं । यही कलयुग है । पूर्व में, कलयुग से पहले, अनावश्यक रूप से एक चींटी को भी मारा नहीं जाता था । एक चींटी को भी । कई उदाहरण हैं कि एक शिकारी जो जानवरों की हत्या का लाभ ले रहा था, लेकिन जब वह एक भक्त बना वह एक चींटी को भी मारने के लिए तैयार नहीं था । | |||
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Latest revision as of 14:22, 27 October 2018
720902 - Lecture Festival Sri Vyasa-puja - New Vrindaban, USA
देवीयों और सज्जनों, यह समारोह... बेशक, जो मेरे शिष्य हैं, वे जानते हैं कि यह समारोह क्या है । जो आगंतुक हैं, उनकी जानकारी के लिए, मैं सूचित करता हूं कुछ इस समारोह के बारे में । अन्यथा, यह... गलत समझा जा सकता है । एक बाहरी व्यक्ति देख सकते हैं कि "क्यों एक व्यक्ति को भगवान की तरह पूजा जा रहा है?" कुछ संदेह हो सकता है । तो यह शिष्टाचार है । यह समारोह व्यास पूजा कहा जाता है । व्यास । व्यास मतलब वैदिक साहित्य के मूल लेखक । वे नारायण के अवतार हैं । उन्होंने हमें सभी वैदिक ज्ञान दिया है । उन्होंने नारद से ज्ञान प्राप्त किया । नारद नें ब्रह्मा से ज्ञान प्राप्त किया । ब्रह्मा नें श्री कृष्ण से ज्ञान प्राप्त किया ।
तो इस तरह से, परम्परा से, हमें दिव्य ज्ञान मिलता है । तो व्यासदेव... पूर्व में, व्यासदेव से पहले, मान लो, पांच हजार साल पहले, उस समय से पहले लिखित साहित्य की कोई अावश्यक्ता नहीं थी । लोगों की स्मृति इतनी तेज थी कि जो भी वे आध्यात्मिक गुरु से सुनते थे वे जीवन भर याद रखते । स्मृति इतनी तेज थी । लेकिन इस युग में - यह कलयुग कहा जाता है - हम हमारी शारीरिक शक्ति, हमारी स्मृति, याद करने की शक्ति को कम कर रहे हैं, दूसरों के लिए हमारी करुणा की, सहानुभूति की भावनाऍ, उम्र, जीवन की अवधि, धार्मिक प्रवृत्ति । इस तरह से, इस युग में हम सब कुछ कम कर रहे हैं ।
आप में से हर एक बहुत आसानी से समझ सकता है । पहले अगर किसी पर कोई दूसरा आदमी द्वारा हमला करता, बहुत सारे लोग उसकी मदद के लिए आते: "क्यों इस आदमी पर हमला किया जा रहा है ?" लेकिन वर्तमान समय में अगर एक आदमी पर हमला किया जाता है, तो राहगीरों को इसकी परवाह नहीं है, क्योंकि वे दूसरों के लिए अपनी सहानुभूति या दया खो चुके हैं । हमारे पड़ोसी भूखे मर सकते हैं, लेकिन हमें इसकी परवाह नहीं है । लेकिन पूर्व में अन्य जीवों के लिए सहानुभूति, एक चींटी के लिए भी... जैसे महाराज परीक्षित, वे अपने राज्य का दौरा कर रहे थे, उन्होंने देखा एक आदमी एक गाय को मारने की कोशिश कर रहा था । परीक्षित महाराज नें देखा । तुरंत उन्होंने अपनी तलवार उठाई, कि "तुम कौन हो ? तुम मेरे राज्य में एक गाय की हत्या कर रहे हो ?" क्योंकि माना जाता है की राजा, या सरकार हर किसी को संरक्षण देगा, यह नहीं कि सरकार मनुष्य को संरक्षण देगी और जानवरों को नहीं । क्योंकि यह कलयुग है, सरकार दोनो नागरिकों के बीच भेदभाव करती है । राष्ट्रीय मतलब जिसने भूमि में जन्म ले लिया है । यही राष्ट्रीय कहा जाता है ।
यह है... तुम्हें पता है, हर कोई । तो पेड़, वे भी भूमी में पैदा होते हैं, जल के जीव भी भूमि में पैदा हुए हैं । मखी, सरीसृप, सांप, पक्षी, जानवर, मनुष्य - हर कोई उस भूमी में पैदा होता है । मान लीजिए अापका देश, अमेरिका, संयुक्त राज्य अमेरिका... क्यों सरकार एक वर्ग के जीवों को संरक्षण देती है, दूसरों को नहीं ? इसका मतलब यह है कि वे दूसरों के लिए अपनी सहानुभूति खो चुके हैं । यही कलयुग है । पूर्व में, कलयुग से पहले, अनावश्यक रूप से एक चींटी को भी मारा नहीं जाता था । एक चींटी को भी । कई उदाहरण हैं कि एक शिकारी जो जानवरों की हत्या का लाभ ले रहा था, लेकिन जब वह एक भक्त बना वह एक चींटी को भी मारने के लिए तैयार नहीं था ।