HI/Prabhupada 0986 - कोई भी भगवान से ज्यादा बुद्धिमान नहीं हो सकता: Difference between revisions
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:(विष्णु पुराण ६।५।४७) | :(विष्णु पुराण ६।५।४७) | ||
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जैसे, तुम्हारे पश्चिमी देशों में, प्रभु यीशु मसीह नें भगवान के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया । उन पर अारोप था कि वे ईश्वर निंदा विषयक कुछ प्रचार कर रहे थे । लेकिन वे भगवान के भक्त थे । वे लोगों में प्रचार करते थे, कि भगवद धाम है, तुम भगवान से प्रेम करो, और भगववद धाम चले जाअो । सरल सत्य । यही मानव जीवन का वास्तविक उद्देश्य है । यह मानव जीवन भगवान को समझने के लिए है क्योंकि हम भगवान के अंशस्वरूप हैं और हम भूल गए हैं । वही, मैंने कई बार उदाहरण दिया है, एक व्यक्ति, उसका एक अमीर पिता है, लेकिन किसी न किसी तरह उसने घर छोड़ दिया है और वह दर दर भटक रहा है । | |||
भग, भग मतलब भाग्य । जो भाग्य के छह प्रकार के साथ भव्य है । हम बहुत अच्छी तरह से समझ सकते हैं । जैसे हमारे, इस भौतिक दुनिया में, अगर कोई आदमी बहुत अमीर है, तो वह आकर्षक है । हर कोई उसके बारे में बोलता है । चाहे वह एक | तुम्हारे देश में यह उदाहरण बहुत लागू होता है । इतने सारे लड़के, उन्होंने अपने अमीर पिता, अमीर परिवार को छोड़ दिया है, और सड़क पर पड़े हैं । मैंने देखा है । क्यूँ ? कारण कोई भी हो, लेकिन उम्मीद नहीं की जाती है कि वह सड़क पर लेटा होगा क्योंकि उसका पिता अमीर है, कम से कम समृद्ध राष्ट्र, तुम्हारा अमेरिकी राष्ट्र । इसी तरह जब हम हैरान और भ्रमित हो जाते हैं और स्वतंत्र रूप से भगवान से जीना चाहते हैं, सबसे अमीर पिता - भगवान से अमीर कौन हो सकता है ? भगवान मतलब सबसे अमीर । कोई भी उनसे ज्यादा अमीर नहीं हो सकता है । यही भगवान की एक और परिभाषा है । | ||
:ऐश्वर्यस्य समग्रस्य | |||
:वीर्यस्य यशस: श्रिय: | |||
:ज्ञान वैराज्ञयोश चैव | |||
:सन्नम भग इतिंगना | |||
:(विष्णु पुराण ६.५.४७) | |||
भग, भग मतलब भाग्य । जो भाग्य के छह प्रकार के साथ भव्य है । हम बहुत अच्छी तरह से समझ सकते हैं । जैसे हमारे, इस भौतिक दुनिया में, अगर कोई आदमी बहुत अमीर है, तो वह आकर्षक है । हर कोई उसके बारे में बोलता है । चाहे वह एक नंबर का बेकार व्यक्ति क्यों न हो, अगर उसके पास पैसा है, तो हर कोई उसके बारे में बात करेगा । कम से कम इस युग में यह हो रहा है । कोई कुछ अौर नहीं समझना चाहता है, लेकिन किसी न किसी तरह से अगर कोई बहुत अमीर हो जाता है, तो वह एक लोकप्रिय व्यक्ति बन जाता है । तो भगवान तो सबसे अमीर होंगे ही । यहाँ, इस भौतिक दुनिया में हम दावा कर सकते हैं "मैं सबसे अधिक समृद्ध हूँ," लेकिन कोई न कोई मुझसे ज्यादा अमीर है । मैं यह दावा नहीं कर सकता कि, "कोई भी मुझसे ज्यादा अमीर नहीं है ।" यह संभव नहीं है । | |||
हम मुझ से भी कम समृद्ध पाते हैं और हम मुझसे से ज्यादा अमीर पाते हैं । दो बातें हो सकती हैं । लेकिन जब बात भगवान की हो, तुम कोई भी उनसे अमीर नहीं पाअोगे । इसलिए ईश्वर महान कहलाते हैं, ईश्वर महान हैं । इसी प्रकार, न केवल संपन्नता में, ऐश्वर्य, स समग्रस्य, वीर्यस्य, बल में भी । एश्वर्यस्य समग्रस्य वीर्यस्य यशस:, प्रसिद्धि में भी, प्रतिष्ठा में । जैसे कि हर कोई, यह हो सकता है कि तुम किसी धर्म के हो, मैं किसी का हूं, लेकिन हर कोई जानता है कि ईश्वर महान हैं । यही प्रतिष्ठा है । एश्वर्यस्य समग्रस्य वीर्यस्य यशस:, और श्री, श्री मतलब सुंदरता । भगवान सबसे ज्यादा सुंदर हैं । | |||
जैसे, यहाँ श्री कृष्ण को देखें, यहाँ श्री कृष्ण की मूर्ति है, कितने सुंदर हैं वे । भगवान को होना ही है, वे हमेशा जवान हैं, हमेशा । एक बूढ़ा आदमी सुंदर नहीं बन सकता है । यह ब्रह्मसंहिता में कहा गया है, अद्वैतम अच्युतम अनादिम अनंत रूपं अाद्यम पुराण पुरुषम नव यौवनम च (ब्रह्मसंहिता ५.३३) । ये अाद्यम पुराण का वर्णन है, वे मूल व्यक्ति हैं, सबसे पुराने लेकिन वे हैं नव यौवनम, जैसे एक खूबसूरत लड़का, मान लो सोलह या बीस साल की उम्र का । तो यह है सुंदरता, सबसे सुंदर । और सबसे बुद्धिमान, ज्ञानी । कोई भी भगवान से अधिक बुद्धिमान नहीं हो सकता । ये विवरण दिया गया है पराशर मुनि द्वारा, व्यासदेव के पिता । एश्वर्यस्य समग्रस्य वीर्यस्य यशस: श्रिय: (विष्णु पुराण ६.५.४७), ज्ञान-वैराज्ञ और उसी समय त्यागी । | |||
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Latest revision as of 17:43, 1 October 2020
720905 - Lecture SB 01.02.07 - New Vrindaban, USA
जैसे, तुम्हारे पश्चिमी देशों में, प्रभु यीशु मसीह नें भगवान के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया । उनपर अारोप था कि वे ईष्वर निंदा विषयक कुछ प्रचार कर रहे थे । लेकिन वे भगवान के भक्त थे । वे, वह लोगों में प्रचार करते थे कि भगवद धाम है, तुम भगवान से प्रेम करो, और भगववद धाम चले जाअो । सरल सत्य । यही मानव जीवन का वास्तविक उद्देश्य है । यह मानव जीवन भगवान को समझने के लिए है क्योंकि हम अंशस्वरूप हैं भगवान और हम भूल गए हैं । वही, मैंने कई बार उदाहरण दिया है, एक व्यक्ति, उसका एक अमीर पिता है, लेकिन किसी न किसी तरह से उसने घर छोड़ दिया है और वह दर दर भटक रहा है । तुम्हारे देश में यह उदाहरण बहुत लागू होता है । इतने सारे लड़के, उन्होंने अपने अमीर पिता, अमीर परिवार को छोड़ दिया है, और सड़क पर लेटे हैं । मैंने देखा है । क्यूँ ? कारण कोई भी हो, लेकिन उम्मीद नहीं की जाती है कि वह सड़क पर लेटा होगा क्योंकि उसका पिता अमीर है, कम से कम समृद्ध राष्ट्र, तुम्हारा अमेरिकी राष्ट्र । इसी तरह जब हम हैरान और भ्रमित हो जाते हैं और स्वतंत्र रूप से भगवान से जीना चाहते हैं, सबसे अमीर पिता-भगवान से अमीर कौन हो सकता है ? भगवान मतलब सबसे अमीर । कोई भी उनसे ज्यादा अमीर नहीं हो सकता है । यही भगवान की एक और परिभाषा है ।
- एश्वर्य समग्रस्य
- वीरयस्य यशस: श्रिय:
- ज्ञान वैराज्ञयोश चैव
- शण्णाम भग ईतीगन
- (विष्णु पुराण ६।५।४७)
जैसे, तुम्हारे पश्चिमी देशों में, प्रभु यीशु मसीह नें भगवान के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया । उन पर अारोप था कि वे ईश्वर निंदा विषयक कुछ प्रचार कर रहे थे । लेकिन वे भगवान के भक्त थे । वे लोगों में प्रचार करते थे, कि भगवद धाम है, तुम भगवान से प्रेम करो, और भगववद धाम चले जाअो । सरल सत्य । यही मानव जीवन का वास्तविक उद्देश्य है । यह मानव जीवन भगवान को समझने के लिए है क्योंकि हम भगवान के अंशस्वरूप हैं और हम भूल गए हैं । वही, मैंने कई बार उदाहरण दिया है, एक व्यक्ति, उसका एक अमीर पिता है, लेकिन किसी न किसी तरह उसने घर छोड़ दिया है और वह दर दर भटक रहा है ।
तुम्हारे देश में यह उदाहरण बहुत लागू होता है । इतने सारे लड़के, उन्होंने अपने अमीर पिता, अमीर परिवार को छोड़ दिया है, और सड़क पर पड़े हैं । मैंने देखा है । क्यूँ ? कारण कोई भी हो, लेकिन उम्मीद नहीं की जाती है कि वह सड़क पर लेटा होगा क्योंकि उसका पिता अमीर है, कम से कम समृद्ध राष्ट्र, तुम्हारा अमेरिकी राष्ट्र । इसी तरह जब हम हैरान और भ्रमित हो जाते हैं और स्वतंत्र रूप से भगवान से जीना चाहते हैं, सबसे अमीर पिता - भगवान से अमीर कौन हो सकता है ? भगवान मतलब सबसे अमीर । कोई भी उनसे ज्यादा अमीर नहीं हो सकता है । यही भगवान की एक और परिभाषा है ।
- ऐश्वर्यस्य समग्रस्य
- वीर्यस्य यशस: श्रिय:
- ज्ञान वैराज्ञयोश चैव
- सन्नम भग इतिंगना
- (विष्णु पुराण ६.५.४७)
भग, भग मतलब भाग्य । जो भाग्य के छह प्रकार के साथ भव्य है । हम बहुत अच्छी तरह से समझ सकते हैं । जैसे हमारे, इस भौतिक दुनिया में, अगर कोई आदमी बहुत अमीर है, तो वह आकर्षक है । हर कोई उसके बारे में बोलता है । चाहे वह एक नंबर का बेकार व्यक्ति क्यों न हो, अगर उसके पास पैसा है, तो हर कोई उसके बारे में बात करेगा । कम से कम इस युग में यह हो रहा है । कोई कुछ अौर नहीं समझना चाहता है, लेकिन किसी न किसी तरह से अगर कोई बहुत अमीर हो जाता है, तो वह एक लोकप्रिय व्यक्ति बन जाता है । तो भगवान तो सबसे अमीर होंगे ही । यहाँ, इस भौतिक दुनिया में हम दावा कर सकते हैं "मैं सबसे अधिक समृद्ध हूँ," लेकिन कोई न कोई मुझसे ज्यादा अमीर है । मैं यह दावा नहीं कर सकता कि, "कोई भी मुझसे ज्यादा अमीर नहीं है ।" यह संभव नहीं है ।
हम मुझ से भी कम समृद्ध पाते हैं और हम मुझसे से ज्यादा अमीर पाते हैं । दो बातें हो सकती हैं । लेकिन जब बात भगवान की हो, तुम कोई भी उनसे अमीर नहीं पाअोगे । इसलिए ईश्वर महान कहलाते हैं, ईश्वर महान हैं । इसी प्रकार, न केवल संपन्नता में, ऐश्वर्य, स समग्रस्य, वीर्यस्य, बल में भी । एश्वर्यस्य समग्रस्य वीर्यस्य यशस:, प्रसिद्धि में भी, प्रतिष्ठा में । जैसे कि हर कोई, यह हो सकता है कि तुम किसी धर्म के हो, मैं किसी का हूं, लेकिन हर कोई जानता है कि ईश्वर महान हैं । यही प्रतिष्ठा है । एश्वर्यस्य समग्रस्य वीर्यस्य यशस:, और श्री, श्री मतलब सुंदरता । भगवान सबसे ज्यादा सुंदर हैं ।
जैसे, यहाँ श्री कृष्ण को देखें, यहाँ श्री कृष्ण की मूर्ति है, कितने सुंदर हैं वे । भगवान को होना ही है, वे हमेशा जवान हैं, हमेशा । एक बूढ़ा आदमी सुंदर नहीं बन सकता है । यह ब्रह्मसंहिता में कहा गया है, अद्वैतम अच्युतम अनादिम अनंत रूपं अाद्यम पुराण पुरुषम नव यौवनम च (ब्रह्मसंहिता ५.३३) । ये अाद्यम पुराण का वर्णन है, वे मूल व्यक्ति हैं, सबसे पुराने लेकिन वे हैं नव यौवनम, जैसे एक खूबसूरत लड़का, मान लो सोलह या बीस साल की उम्र का । तो यह है सुंदरता, सबसे सुंदर । और सबसे बुद्धिमान, ज्ञानी । कोई भी भगवान से अधिक बुद्धिमान नहीं हो सकता । ये विवरण दिया गया है पराशर मुनि द्वारा, व्यासदेव के पिता । एश्वर्यस्य समग्रस्य वीर्यस्य यशस: श्रिय: (विष्णु पुराण ६.५.४७), ज्ञान-वैराज्ञ और उसी समय त्यागी ।