HI/Prabhupada 0988 - श्रीमद-भागवतम में तथाकथित भावुक धर्मनिष्ठा नहीं है: Difference between revisions

 
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:एवं प्रसन्न-मनसो
:एवम प्रसन्न-मनसो  
:भगवद भक्ति-योगत:
:भगवद भक्ति-योगत:  
:भगवत-तत्त्व-विज्ञानम
:भगवत-तत्त्व-विज्ञानम  
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:मुक्त-संगस्य जायते  
:([[Vanisource:SB 1.2.20|श्री भ १।२।२०]])
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भगवत-तत्त्व-विज्ञानम् । यह भावना नहीं है; यह विज्ञान है। विज्ञान मतलब विज्ञान । एक भक्त बनने का मतलब एक भावुकतावादी बनना नहीं है। भावुकतावाद का कोई मूल्य नहीं है । जिसका... भावना है । वह भावनात्मक भावना है ... जैसे यह बच्चा नाच रहा है । वह कोई भावना नहीं है - - उसमे भावना नहीं है लेकिन वह आध्यात्मिक जागृति से नाच रहा है । यह नृत्य कुत्ते का नृत्य नहीं है । यह है ... जो भगवान के लिए प्रेम महसूस कर रहा है, वह नाच रहा है । जितना अधिक कोई भगवान के लिए महसूस करता है, वह नाच सकता हैं, वह कीर्तन कर सकता है, वह रो सकता है । इतने सारे हैं, आठ प्रकार के होते हैं: अष्ट सात्विक विकार ([[Vanisource:CC Antya 14.99|चै च अंत्य १४।९९]]) : शरीर का परिवर्तन, आँखों में आँसू । तो...
भगवत-तत्त्व-विज्ञानम । यह भावुकता नहीं है; यह विज्ञान है। सायंस मतलब विज्ञान । एक भक्त बनने का मतलब एक भावुकतावादी बनना नहीं है। भावुकतावाद का कोई मूल्य नहीं है । जिसका... भावना है । वह भावनात्मक भावना है... जैसे यह बच्चा नाच रहा है । वह कोई भावना नहीं है - उसमे भावना नहीं है - लेकिन वह आध्यात्मिक जागृति से नाच रहा है । यह नृत्य कुत्ते का नृत्य नहीं है । यह है... जो भगवान के लिए प्रेम महसूस कर रहा है, वह नाच रहा है । जितना अधिक कोई भगवान के लिए महसूस करता है, वह नाच सकता हैं, वह कीर्तन कर सकता है, वह रो सकता है । इतने सारे हैं, आठ प्रकार के होते हैं: अष्ट सात्विक विकार ([[Vanisource:CC Antya 14.99|चैतन्य चरितामृत अंत्य १४.९९]]): शरीर का परिवर्तन, आँखों में आँसू । तो...  


:भगवत-तत्त्व-विज्ञानम्ज्ञा
:भगवत-तत्त्व-विज्ञानम
:नम् परम गुह्यम मे
:ज्ञानम परम गुह्यम मे  
:यद विज्ञान समन्वितम
:यद विज्ञान समन्वितम  
:([[Vanisource:SB 2.9.31|श्री भ २।९।३१]])
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श्री कृष्ण नें ब्रह्मा से कहा, ज्ञानम् मे परम गुह्यम । श्री कृष्ण के बारे में जानना, यह बहुत, बहुत गोपनीय है । यह साधारण बात नहीं है । विज्ञान । इसलिए कई वैज्ञानिक, वे भी हमारे आंदोलन में शामिल हो रहे हैं । डाक्टर दर्शनशास्त्र के, रसायन के, वे समझ रहे हैं कि यह विज्ञान है । और जितना अधिक तुम प्रचार करते हो, मेरा मतलब है, समाज के उच्च वर्ग में, विद्वान, प्रोफेसर, वैज्ञानिक, दार्शनिक, वे शामिल हो जाऍगे । और उनके लिए इतनी सारी किताबें हैं । हमारा प्रस्ताव है अस्सी किताबें प्रकाशित करने का । उनमें से, हमने चौदह पुस्तकों को प्रकाशित किया है ।
श्री कृष्ण नें ब्रह्मा से कहा, ज्ञानम मे परम गुह्यम । श्री कृष्ण के बारे में जानना, यह बहुत, बहुत गोपनीय है । यह साधारण बात नहीं है । विज्ञान । इसलिए कई वैज्ञानिक, वे भी हमारे आंदोलन में शामिल हो रहे हैं । तत्वज्ञान के कई डॉक्टर, रसायन के डॉक्टर, वे समझ रहे हैं कि यह विज्ञान है । और जितना अधिक तुम प्रचार करते हो, मेरा मतलब है, समाज के उच्च वर्ग में, विद्वान, प्रोफेसर, वैज्ञानिक, तत्वज्ञानी, वे शामिल हो जाऍगे । और उनके लिए इतनी सारी किताबें हैं । अस्सी किताबें प्रकाशित करने का हमारा प्रस्ताव है । उनमें से, हमने चौदह पुस्तकों को प्रकाशित किया है ।  


तो यह एक विज्ञान है । अन्यथा, क्यों श्रीमद-भागवतम नें अठारह हजार छंद समर्पित किए हैं समझने के लिए ? हम्म ? श्रीमद-भागवत की शुरुआत में यह कहा जाता है, धर्म: प्रोज्झित कैतवो अत्र ([[Vanisource:SB 1.1.2|श्री भ १।१।२]]) कि धोखाधड़ी, भावुकतावाद, तथाकथित धार्मिक प्रणाली, प्रोज्झित है, बाहर निकाल दिया जाता है । इनके लिए कोई जगह नहीं है यहाँ श्रीमद-भागवतम में । प्रोज्झित । जैसे तुम झाडु लगाते हो या कुछ करते हो अौर कचरे को फेंक देते हो, इसी तरह, कचरा, तथाकथित भावुकतावाद धर्मनिष्ठा, यहाँ श्रीमद-भागवतम में नहीं है । यह एक विज्ञान है । परम गुह्यम : बहुत गोपनीय ।
तो यह एक विज्ञान है । अन्यथा, क्यों श्रीमद-भागवतम नें अठारह हजार छंद समर्पित किए हैं समझने के लिए ? हम्म ? श्रीमद-भागवत की शुरुआत में यह कहा जाता है, धर्म: प्रोज्झित कैतवो अत्र ([[Vanisource:SB 1.1.2|श्रीमद भागवतम १.१.२]]): कि धोखाधाड़ी, भावुकतावाद, तथाकथित धार्मिक प्रणाली, प्रोज्झित है, बाहर निकाल दिया जाता है । इनके लिए कोई जगह नहीं है यहाँ श्रीमद-भागवतम में । प्रोज्झित । जैसे तुम झाडु लगाते हो या कुछ करते हो अौर कचरे को फेंक देते हो, इसी तरह, कचरा, तथाकथित भावुकतावाद धर्मनिष्ठा, यहाँ श्रीमद-भागवतम में नहीं है । यह एक विज्ञान है । परम गुह्यम: बहुत गोपनीय ।  
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Latest revision as of 17:43, 1 October 2020



740724 - Lecture SB 01.02.20 - New York

एवम प्रसन्न-मनसो
भगवद भक्ति-योगत:
भगवत-तत्त्व-विज्ञानम
मुक्त-संगस्य जायते
(श्रीमद भागवतम १.२.२०) ।

भगवत-तत्त्व-विज्ञानम । यह भावुकता नहीं है; यह विज्ञान है। सायंस मतलब विज्ञान । एक भक्त बनने का मतलब एक भावुकतावादी बनना नहीं है। भावुकतावाद का कोई मूल्य नहीं है । जिसका... भावना है । वह भावनात्मक भावना है... जैसे यह बच्चा नाच रहा है । वह कोई भावना नहीं है - उसमे भावना नहीं है - लेकिन वह आध्यात्मिक जागृति से नाच रहा है । यह नृत्य कुत्ते का नृत्य नहीं है । यह है... जो भगवान के लिए प्रेम महसूस कर रहा है, वह नाच रहा है । जितना अधिक कोई भगवान के लिए महसूस करता है, वह नाच सकता हैं, वह कीर्तन कर सकता है, वह रो सकता है । इतने सारे हैं, आठ प्रकार के होते हैं: अष्ट सात्विक विकार (चैतन्य चरितामृत अंत्य १४.९९): शरीर का परिवर्तन, आँखों में आँसू । तो...

भगवत-तत्त्व-विज्ञानम
ज्ञानम परम गुह्यम मे
यद विज्ञान समन्वितम
(श्रीमद भागवतम २.९.३१) ।

श्री कृष्ण नें ब्रह्मा से कहा, ज्ञानम मे परम गुह्यम । श्री कृष्ण के बारे में जानना, यह बहुत, बहुत गोपनीय है । यह साधारण बात नहीं है । विज्ञान । इसलिए कई वैज्ञानिक, वे भी हमारे आंदोलन में शामिल हो रहे हैं । तत्वज्ञान के कई डॉक्टर, रसायन के डॉक्टर, वे समझ रहे हैं कि यह विज्ञान है । और जितना अधिक तुम प्रचार करते हो, मेरा मतलब है, समाज के उच्च वर्ग में, विद्वान, प्रोफेसर, वैज्ञानिक, तत्वज्ञानी, वे शामिल हो जाऍगे । और उनके लिए इतनी सारी किताबें हैं । अस्सी किताबें प्रकाशित करने का हमारा प्रस्ताव है । उनमें से, हमने चौदह पुस्तकों को प्रकाशित किया है ।

तो यह एक विज्ञान है । अन्यथा, क्यों श्रीमद-भागवतम नें अठारह हजार छंद समर्पित किए हैं समझने के लिए ? हम्म ? श्रीमद-भागवत की शुरुआत में यह कहा जाता है, धर्म: प्रोज्झित कैतवो अत्र (श्रीमद भागवतम १.१.२): कि धोखाधाड़ी, भावुकतावाद, तथाकथित धार्मिक प्रणाली, प्रोज्झित है, बाहर निकाल दिया जाता है । इनके लिए कोई जगह नहीं है यहाँ श्रीमद-भागवतम में । प्रोज्झित । जैसे तुम झाडु लगाते हो या कुछ करते हो अौर कचरे को फेंक देते हो, इसी तरह, कचरा, तथाकथित भावुकतावाद धर्मनिष्ठा, यहाँ श्रीमद-भागवतम में नहीं है । यह एक विज्ञान है । परम गुह्यम: बहुत गोपनीय ।