HI/Prabhupada 1010 - तुम लकड़ी, पत्थर देख सकते हो । तुम आत्मा नहीं देख सकते: Difference between revisions

 
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ऐनी जैक्सन: मेरा सिर्फ एक और सवाल है, और यह भी एक बाहरी व्यक्ति की दृश्य से है । मुझे लगता है कि किसी के लिए भी सबसे कठिन पहलु कृष्ण भावनामृत का यह स्वीकार कर पाना है कि जिनकी सोच अलग है, यह अर्च विग्रह हैं, अौर यह विचार कि वे श्री कृष्ण का प्रतिनिधित्व करते हैं ।
ऐनी जैक्सन: मेरा सिर्फ एक और सवाल है, और यह भी एक बाहरी व्यक्ति की द्रष्टि से है । मुझे लगता है कि किसी के लिए कृष्ण भावनामृत का सबसे कठिन पहलु है यह स्वीकार कर पाना की, जिनकी सोच अलग है, ये मानना की यह अर्च विग्रह हैं, अौर यह विचार की वे कृष्ण का प्रतिनिधित्व करते हैं ।  


प्रभुपाद: अर्च विग्रह ?
प्रभुपाद: अर्च विग्रह ?  


एनी जैक्सन : क्या आप इस बारे में कुछ बता सकते हैं ?
एनी जैक्सन: क्या आप इस बारे में कुछ बता सकते हैं ?  


प्रभुपाद: हाँ । इस समय, क्योंकि तुम श्री कृष्ण को देखने के लिए प्रशिक्षित नहीं हो, तो श्री कृष्ण कृपा करके तुम्हारे सामने प्रकट होते हैं ताकि तुम देख सको । तुम पत्थर, लकड़ी देख सकती हो । तुम अात्मा को नहीं देख सकती । तुम अपने आप को भी नहीं देख रही हो । तुम सोच रही हो "मैं यह शरीर हूँ।" लेकिन तुम आत्मा हो । तुम प्रतिदिन अपने पिता और मां को देख रही हो, और जब पिता या मां मर जाते हैं, जब तुम रोती हो । तुम क्यों रोती हो ? "अब मेरे पिता चले गए हैं ।" तुम्हारे पिता कहाँ चले गए हैं ? वे यहॉ पडे हैं । तुम क्यों कहती हो के वे चले गए हैं ? क्या है वो जो चला गया है ? तुम क्यों कहती हो, मेरे पिता, चले गये हैं ?" हालांकि वे बिस्तर पर पड़े हैं " तुमने प्रतिदिन अपने पिता को देखा है । अब तुम कहती हो, "मेरे पिता चले गए हैं ।" तो ... लेकिन वे बिस्तर पर पड़े हैं । तो कौन चला गया है ? तुम्हारा जवाब क्या है ?
प्रभुपाद: हां | इस समय, क्योंकि तुम कृष्ण को देखने के लिए प्रशिक्षित नहीं हो, तो कृष्ण कृपा करके तुम्हारे सामने प्रकट होते हैं ताकि तुम देख सको । तुम पत्थर, लकड़ी देख सकते हो । तुम अात्मा को नहीं देख सकते । तुम अपने आप को भी नहीं देख रहे हो । तुम सोच रहे हो "मैं यह शरीर हूँ ।" लेकिन तुम आत्मा हो । तुम प्रतिदिन अपने पिता और माता को देख रहे हो, और जब पिता या माता मर जाते हैं, जब तुम रोते हो । तुम क्यों रोते हो ? "अब मेरे पिता चले गए हैं ।" तुम्हारे पिता कहाँ चले गए हैं ? वे यहॉ पडे हैं । तुम क्यों कहते हो के वे चले गए हैं ? क्या है वो जो चला गया है ? तुम क्यों कहते हो, "मेरे पिता, चले गये हैं ?" हालांकि वे बिस्तर पर पड़े हैं ? तुमने प्रतिदिन अपने पिता को देखा है । अब तुम कहते हो, "मेरे पिता चले गए हैं ।" तो... लेकिन वे बिस्तर पर पड़े हैं । तो कौन चला गया है ? तुम्हारा जवाब क्या है ?  


ऐनी जैक्सन: (गलत सुनना) कहां हैं भगवान ?
ऐनी जैक्सन: (गलत सुनते हुए) कहां हैं भगवान ?  


जयतीर्थ: कौन चला गया है ? अगर तुम अपने मृत पिता को देखती हो और कहती हो कि वे चले गए हैं, क्या चला गया है ?
जयतीर्थ: कौन चला गया है ? अगर तुम अपने मृत पिता को देखती हो और कहती हो कि वे चले गए हैं, क्या चला गया है ?  


ऐनी जैक्सन: उसके पिता ।
ऐनी जैक्सन: उसके पिता ।  


प्रभुपाद: कौन यह वो पिता ?
प्रभुपाद: कौन है वो पिता ?


ऐनी जैक्सन: केवल यह भौतिक शरीर चला गया है ।
ऐनी जैक्सन: केवल यह भौतिक शरीर चला गया है ।  


प्रभुपाद: भौतिक शरीर यहॉ है, बिस्तर पर पड़ा है ।
प्रभुपाद: भौतिक शरीर यहॉ है, बिस्तर पर पड़ा है ।  


रवीन्द्र-स्वरूप: उसका शरीर है । और तुम कहती हो "मेरे पिता चले गये ।" तो क्या चला गया है ?
रवीन्द्र-स्वरूप: उसका शरीर तो है । और तुम कहती हो "मेरे पिता चले गये ।" तो क्या चला गया है ?  


ऐनी जैक्सन: ठीक है, उसकी अात्मा अभी भी है....
ऐनी जैक्सन: ठीक है, उसकी अात्मा अभी भी है...  


प्रभुपाद: लेकिन तुमने अात्मा को देखा है ?
प्रभुपाद: लेकिन तुमने अात्मा को देखा है ?  


ऐनी जैक्सन: नहीं ।
ऐनी जैक्सन: नहीं ।  


प्रभुपाद: इसलिए तुम अात्मा को नहीं देख सकते हो, और भगवान परमात्मा हैं । इसलिए, तुम पर कृपा करने के लिए, वे प्रकट हुए हैं लकड़ी और पत्थर के रूप में ताकि तुम देख सको ।
प्रभुपाद: इसलिए तुम अात्मा को नहीं देख सकते हो, और भगवान परमात्मा हैं । इसलिए, तुम पर कृपा करने के लिए, वे प्रकट हुए हैं लकड़ी और पत्थर के रूप में ताकि तुम देख सको ।  


ऐनी जैक्सन: ओह, मैं समझ रही हूं ।
ऐनी जैक्सन: ओह, मैं समझ रही हूं ।  


प्रभुपाद: वे सब कुछ हैं । वे आत्मा हैं और पदार्थ, सब कुछ । लेकिन तुम उन्हे नहीं देख सकते हो अात्मा के रूप में । इसलिए वे प्रकट होते हैं भौतिक रूप में ताकि तुम देख सको । यही अर्च विग्रह है । वे भगवान हैं, लेकिन तुम इस समय उनको नहीं देख सकते हो उनके मूल आध्यात्मिक रूप में । इसलिए, उनकी असीम दया के कारण, वे तुम्हारे सामने प्रकट हुए हैं, जैसे लकड़ी और पत्थर से बने, ताकि तुम देख सको ।
प्रभुपाद: वे सब कुछ हैं । वे आत्मा हैं और पदार्थ, सब कुछ । लेकिन तुम उन्हे नहीं देख सकते हो अात्मा के रूप में । इसलिए वे प्रकट होते हैं भौतिक रूप में ताकि तुम देख सको । यही अर्च विग्रह है । वे भगवान हैं, लेकिन तुम इस समय उनको नहीं देख सकते हो उनके मूल आध्यात्मिक रूप में । इसलिए, उनकी असीम दया के कारण, वे तुम्हारे सामने प्रकट हुए हैं, जैसे लकड़ी और पत्थर से बने, ताकि तुम देख सको ।  


ऐनी जैक्सन: बहुत बहुत धन्यवाद ।
ऐनी जैक्सन: बहुत बहुत धन्यवाद ।  


प्रभुपाद: हरे कृष्ण । हम्म । तो तुम हमारी बैठक में रोज़ अाती हो ?
प्रभुपाद: हरे कृष्ण । हम्म । तो तुम हमारी बैठक में रोज़ अाती हो ?  


सैंडी निक्सन: रोज़ नहीं, लेकिन मैं आऊॅगी ।
सैंडी निक्सन: रोज़ नहीं, लेकिन मैं आऊॅगी ।  


प्रभुपाद: अच्छा है ।
प्रभुपाद: अच्छा है । सैंडी निक्सन: हाँ ।  
 
सैंडी निक्सन: हाँ ।
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Latest revision as of 17:53, 1 October 2020



750713 - Conversation B - Philadelphia

ऐनी जैक्सन: मेरा सिर्फ एक और सवाल है, और यह भी एक बाहरी व्यक्ति की द्रष्टि से है । मुझे लगता है कि किसी के लिए कृष्ण भावनामृत का सबसे कठिन पहलु है यह स्वीकार कर पाना की, जिनकी सोच अलग है, ये मानना की यह अर्च विग्रह हैं, अौर यह विचार की वे कृष्ण का प्रतिनिधित्व करते हैं ।

प्रभुपाद: अर्च विग्रह ?

एनी जैक्सन: क्या आप इस बारे में कुछ बता सकते हैं ?

प्रभुपाद: हां | इस समय, क्योंकि तुम कृष्ण को देखने के लिए प्रशिक्षित नहीं हो, तो कृष्ण कृपा करके तुम्हारे सामने प्रकट होते हैं ताकि तुम देख सको । तुम पत्थर, लकड़ी देख सकते हो । तुम अात्मा को नहीं देख सकते । तुम अपने आप को भी नहीं देख रहे हो । तुम सोच रहे हो "मैं यह शरीर हूँ ।" लेकिन तुम आत्मा हो । तुम प्रतिदिन अपने पिता और माता को देख रहे हो, और जब पिता या माता मर जाते हैं, जब तुम रोते हो । तुम क्यों रोते हो ? "अब मेरे पिता चले गए हैं ।" तुम्हारे पिता कहाँ चले गए हैं ? वे यहॉ पडे हैं । तुम क्यों कहते हो के वे चले गए हैं ? क्या है वो जो चला गया है ? तुम क्यों कहते हो, "मेरे पिता, चले गये हैं ?" हालांकि वे बिस्तर पर पड़े हैं ? तुमने प्रतिदिन अपने पिता को देखा है । अब तुम कहते हो, "मेरे पिता चले गए हैं ।" तो... लेकिन वे बिस्तर पर पड़े हैं । तो कौन चला गया है ? तुम्हारा जवाब क्या है ?

ऐनी जैक्सन: (गलत सुनते हुए) कहां हैं भगवान ?

जयतीर्थ: कौन चला गया है ? अगर तुम अपने मृत पिता को देखती हो और कहती हो कि वे चले गए हैं, क्या चला गया है ?

ऐनी जैक्सन: उसके पिता ।

प्रभुपाद: कौन है वो पिता ?

ऐनी जैक्सन: केवल यह भौतिक शरीर चला गया है ।

प्रभुपाद: भौतिक शरीर यहॉ है, बिस्तर पर पड़ा है ।

रवीन्द्र-स्वरूप: उसका शरीर तो है । और तुम कहती हो "मेरे पिता चले गये ।" तो क्या चला गया है ?

ऐनी जैक्सन: ठीक है, उसकी अात्मा अभी भी है...

प्रभुपाद: लेकिन तुमने अात्मा को देखा है ?

ऐनी जैक्सन: नहीं ।

प्रभुपाद: इसलिए तुम अात्मा को नहीं देख सकते हो, और भगवान परमात्मा हैं । इसलिए, तुम पर कृपा करने के लिए, वे प्रकट हुए हैं लकड़ी और पत्थर के रूप में ताकि तुम देख सको ।

ऐनी जैक्सन: ओह, मैं समझ रही हूं ।

प्रभुपाद: वे सब कुछ हैं । वे आत्मा हैं और पदार्थ, सब कुछ । लेकिन तुम उन्हे नहीं देख सकते हो अात्मा के रूप में । इसलिए वे प्रकट होते हैं भौतिक रूप में ताकि तुम देख सको । यही अर्च विग्रह है । वे भगवान हैं, लेकिन तुम इस समय उनको नहीं देख सकते हो उनके मूल आध्यात्मिक रूप में । इसलिए, उनकी असीम दया के कारण, वे तुम्हारे सामने प्रकट हुए हैं, जैसे लकड़ी और पत्थर से बने, ताकि तुम देख सको ।

ऐनी जैक्सन: बहुत बहुत धन्यवाद ।

प्रभुपाद: हरे कृष्ण । हम्म । तो तुम हमारी बैठक में रोज़ अाती हो ?

सैंडी निक्सन: रोज़ नहीं, लेकिन मैं आऊॅगी ।

प्रभुपाद: अच्छा है । सैंडी निक्सन: हाँ ।