HI/Prabhupada 1013 - अगली मृत्यु से पहले हमें अति शीध्र प्रयास करना चाहिए

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750620c - Arrival - Los Angeles

रामेश्वर: मुद्रणालय में सभी भक्तों को अच्छा महसूस नहीं होगा जब तक अापकी किताबें प्रकाशित नहीं होती हैं ।

प्रभुपाद: हम्म। यह अच्छा है। (हंसी)

जयतीर्थ : वे अब रात में भी काम कर रहे हैं ।

प्रभुपाद: ओह ।

रामेश्वर : चौबीस घंटे ।

जयतिर्थ : चौबीस घंटे, ताकि हम मशीनों का पूरा लाभ ले सकें ।

प्रभुपाद: और हयग्रीव प्रभु, आप कितने पन्ने खत्म कर रहे हैं ? आप कम से कम पचास पन्ने खत्म कर सकते हैं ।

हयग्रीव: मैं कोशिश कर रहा हूँ । एक घंटे का एक टेप ।

राधा-वल्लभ: हयग्रीव नें आज मध्य-लीला छह को समाप्त किया ।

प्रभुपाद: हैं ?

राधा-वल्लभ: हयग्रीव ने आज मध्य-लीला छह का संपादन समाप्त किया ।

प्रभुपाद: ओह, चैतन्य-चरितामृत छह ?

राधा-वल्लभ: हाँ । नौ संस्करणों में से, हयग्रीव नें मध्य-लीला छह समाप्त कर दिया है ।

प्रभुपाद: कुल मिलाकर नौ संस्करण थे ?

रामेश्वर : मध्य-लीला के ।

जयतीर्थ : मध्य-लीला, सभी नौ खंड ।

राधा-वल्लभ: और चार खंड अन्त्य-लीला ।

जयतिर्थ : कुल मिलाकर सोलह संस्करण ।

प्रभुपाद: हमारa गर्मुनिi कहां है ?

भवानंद: वह पूर्व बफेलो में हो ।

प्रभुपाद: प्रचार ?

भवानंद: हाँ ।

प्रभुपाद: तो तुम उसके साथ हो, सुदामा ?

सुदामा: हाँ, श्रील प्रभुपाद ।

प्रभुपाद: सब कुछ अच्छा चल रहा है ?

सुदामा: हाँ । (रुकावट)

जयतीर्थ : ... नें मुझे बताया कि पूरा चैतन्य-चरितामृत, संपादन करना, अगस्त के अंत तक खत्म हो जाएगा ।

प्रभुपाद: हम्म ?

जयतीर्थ: सारी चैतन्य-चरितामृत संपादन अगस्त के अंत तक खत्म हो जाएगा ।

प्रभुपाद: वे भी आ रहे हैं ... निताई ?

जयतीर्थ : निताई और जगन्नाथ अा रहे हैं ...

रामेश्वर : तीन दिनों में ।

जयतीर्थ: जुलाई के अंत तक वे ... तो यह अब बहुत तेजी से हो रहा है ।

प्रभुपाद: बहुत अच्छा है । तूर्णं यतेत । हमें प्रयास करना चाहिए, अगले मृत्यु से पहले । और मृत्यु तो आएगी । तो हमें इस तरह से तैयार होना है कि अगली मृत्यु से पहले, हम अपने कृष्ण भावनामृत को समाप्त करें अौर वापस घर जाऍ, भगवद्‌धाम । त्यक्त्वा देहम पुनर जन्म नैति (भ गी ४।९) । यही पूर्णता है । क्योंकि अगर हम एक और जन्म का इंतजार करेंगे, वो शायद हमें न मिले । यहां तक ​​कि भरत महाराज, वे भी फिसल गए । वे एक हिरण बन गये । तो हमें हमेशा सतर्क रहना होगा कि "हमें यह अवसर मिला है, मानव जीवन । हमें पूरी हद तक इसका उपयोग करना होगा और तैयार करना होगा वापस घर जाने के लिए,भगवद्धाम ।" यही बुद्धिमत्ता है । यह नहीं कि "ठीक है, मुझे एक अौर मौका मिलेगा, अगला जन्म ।" यह बहुत अच्छी नीति नहीं है । तूर्णं । तूर्णं का अर्थ है जल्द से जल्द समाप्त करना । तूर्णं यतेत अनुमृत्यं पतेद यावत् (श्री भ ११।९।२९) । ( सामने वाले स्टूडियो में कराटे का अभ्यास करते हुए पुरुषों की आवाज पूरे कमरे में व्याप्त होती है ) ये लोग समय बर्बाद कर रहे हैं, जैसे कि वे हमेशा के लिए जीवित रहेंगे ।(हॅसते हुए) इस का उपयोग क्या है कार ...? कार ?

जयतीर्थ: कराटे ।

प्रभुपाद: कराटे । यह मेक्सिको में बहुत लोकप्रिय है ।

जयतीर्थ: हर जगह ।

प्रभुपाद: लेकिन क्या यह विधि मौत से बचाएगी ? जब मृत्यु आएगी, क्या यह ध्वनि "गो" (हंसी) उन्हें बचाएगा ? यह मूर्खता है । हरे कृष्ण जपने की बजाय, वे कोई अौर ध्वनि निकाल रहे हैं, यह सोच कर कि वह ध्वनि उसे बचाएगी । यही मूर्खता कहलाती हैं मूढा । (कराटे पुरुष बहुत जोर से चिल्लाना शुरू करते हैं, श्रद्धालु हँसते हैं) पिशाचि पैले जने मति छ्न्न हय (प्रम विवर्त) अौर अगर तुम उनसे पूछते हो कि " क्यों तुम इतनी जोर से बोल रहे हो ? जपो हरे कृष्ण," वे हँसेंगे । (हॅसते हुए)

विष्णुजन: श्रील प्रभुपाद, भक्तिविनोद ठाकुर का क्या मतलब था जब उन्होंने कहा, "मैं जा रहा हूं, मेरा काम अधूरा है ?'

प्रभुपाद: हम्म ?

विष्णुजन : जब भक्तिविनोद ठाकुर ने कहा कि वे इस लोक से जा रहे हैं अपना अधूरा काम छोड कर ?

प्रभुपाद: तो हमें खत्म करना होगा । हम भक्तिविनोद ठाकुर के वंशज हैं । तो उन्होंने अधूरा छोडा ताकि हम इसे खत्म करने का मौका मिले । यह उनकी दया है । वे तुरंत समाप्त कर सकते थे । वे वैष्णव हैं ; वे सर्व शक्तिशाली हैं । लेकिन उन्होंने हमें मौका दिया है, "तुम मूर्ख लोग, तुम सभी भी काम करो ।" यह उनकी दया है ।