HI/Prabhupada 1035 - हरे कृष्ण जप द्वारा अपने अस्तित्व की वास्तविक्ता को समझो: Difference between revisions

 
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क्यों मैं भुगत रहा हूँ ? क्यों मुझे जन्म को स्वीकार करना पडता है ? क्यों मुझे मृत्यु को स्वीकार करना पडता है ? क्यों मुझे इस बीमारी को स्वीकार करना होगा ? क्यों मुझे बुढ़ापे को स्वीकार करना होगा ? " ये समस्याएं हैं । ये समस्याऍ हैं, और ये समस्याऍ मनुष्य जीवन में हल की जा सकती हैं, न की बिल्लियों और कुत्तों के जीवन में । वे नहीं कर सकते हैं । तो हमारे एकमात्र अनुरोध है कि आप अपने जीवन को सफल बनाऍ । अपने अस्तित्व की वास्तविक्ता को समझें । और यह बस जप द्वारा संभव है हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे / हरे राम, हरे राम, राम राम...
क्यों मैं भुगत रहा हूँ ? क्यों मुझे जन्म को स्वीकार करना पडता है ? क्यों मुझे मृत्यु को स्वीकार करना पडता है ? क्यों मुझे इस बीमारी को स्वीकार करना होगा ? क्यों मुझे बुढ़ापे को स्वीकार करना होगा ?" ये समस्याएं हैं । ये समस्याऍ हैं, और ये समस्याऍ मनुष्य जीवन में हल की जा सकती हैं, न की बिल्लियों और कुत्तों के जीवन में । वे नहीं कर सकते हैं । तो हमारा एकमात्र अनुरोध है कि आप अपने जीवन को सफल बनाऍ । अपने अस्तित्व की वास्तविकता को समझें । और यह केवल जप द्वारा संभव है  


बहुत बहुत धन्यवाद । हरे कृष्ण ।
हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे / हरे राम, हरे राम, राम राम...
 
बहुत बहुत धन्यवाद । हरे कृष्ण ।  
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Latest revision as of 17:45, 1 October 2020



720403 - Lecture SB 01.02.05 - Melbourne

क्यों मैं भुगत रहा हूँ ? क्यों मुझे जन्म को स्वीकार करना पडता है ? क्यों मुझे मृत्यु को स्वीकार करना पडता है ? क्यों मुझे इस बीमारी को स्वीकार करना होगा ? क्यों मुझे बुढ़ापे को स्वीकार करना होगा ?" ये समस्याएं हैं । ये समस्याऍ हैं, और ये समस्याऍ मनुष्य जीवन में हल की जा सकती हैं, न की बिल्लियों और कुत्तों के जीवन में । वे नहीं कर सकते हैं । तो हमारा एकमात्र अनुरोध है कि आप अपने जीवन को सफल बनाऍ । अपने अस्तित्व की वास्तविकता को समझें । और यह केवल जप द्वारा संभव है

हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे / हरे राम, हरे राम, राम राम...

बहुत बहुत धन्यवाद । हरे कृष्ण ।