HI/Prabhupada 1035 - हरे कृष्ण जप द्वारा अपने अस्तित्व की वास्तविक्ता को समझो: Difference between revisions
(Created page with "<!-- BEGIN CATEGORY LIST --> Category:1080 Hindi Pages with Videos Category:Hindi Pages - 207 Live Videos Category:Prabhupada 1035 - in all Languages Category:HI...") |
m (Text replacement - "(<!-- (BEGIN|END) NAVIGATION (.*?) -->\s*){2,15}" to "<!-- $2 NAVIGATION $3 -->") |
||
Line 6: | Line 6: | ||
[[Category:HI-Quotes - Lectures, Srimad-Bhagavatam]] | [[Category:HI-Quotes - Lectures, Srimad-Bhagavatam]] | ||
[[Category:HI-Quotes - in Australia]] | [[Category:HI-Quotes - in Australia]] | ||
[[Category:Hindi Language]] | |||
<!-- END CATEGORY LIST --> | <!-- END CATEGORY LIST --> | ||
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE --> | |||
{{1080 videos navigation - All Languages|Hindi|HI/Prabhupada 1034 - मृत्यु का अर्थ है सात महीनों की नींद । बस । यही मृत्यु है|1034|HI/Prabhupada 1036 - सात ग्रह प्रणालियॉ हमारे उपर हैं और सात ग्रह प्रणालियॉ नीचे भी हैं|1036}} | |||
<!-- END NAVIGATION BAR --> | |||
<!-- BEGIN ORIGINAL VANIQUOTES PAGE LINK--> | <!-- BEGIN ORIGINAL VANIQUOTES PAGE LINK--> | ||
<div class="center"> | <div class="center"> | ||
Line 15: | Line 19: | ||
<!-- BEGIN VIDEO LINK --> | <!-- BEGIN VIDEO LINK --> | ||
{{youtube_right| | {{youtube_right|DPSwmkFP_6w|हरे कृष्ण जप द्वारा अपने अस्तित्व की वास्तविक्ता को समझो<br/>- Prabhupāda 1035 }} | ||
<!-- END VIDEO LINK --> | <!-- END VIDEO LINK --> | ||
<!-- BEGIN AUDIO LINK (from English page --> | <!-- BEGIN AUDIO LINK (from English page --> | ||
<mp3player> | <mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/clip/720403SB-MELBOURNE_clip2.mp3</mp3player> | ||
<!-- END AUDIO LINK --> | <!-- END AUDIO LINK --> | ||
Line 27: | Line 31: | ||
<!-- BEGIN TRANSLATED TEXT (from DotSub) --> | <!-- BEGIN TRANSLATED TEXT (from DotSub) --> | ||
क्यों मैं भुगत रहा हूँ ? क्यों मुझे जन्म को स्वीकार करना पडता है ? क्यों मुझे मृत्यु को स्वीकार करना पडता है ? क्यों मुझे इस बीमारी को स्वीकार करना होगा ? क्यों मुझे बुढ़ापे को स्वीकार करना होगा ? " ये समस्याएं हैं । ये समस्याऍ हैं, और ये समस्याऍ मनुष्य जीवन में हल की जा सकती हैं, न की बिल्लियों और कुत्तों के जीवन में । वे नहीं कर सकते हैं । तो | क्यों मैं भुगत रहा हूँ ? क्यों मुझे जन्म को स्वीकार करना पडता है ? क्यों मुझे मृत्यु को स्वीकार करना पडता है ? क्यों मुझे इस बीमारी को स्वीकार करना होगा ? क्यों मुझे बुढ़ापे को स्वीकार करना होगा ?" ये समस्याएं हैं । ये समस्याऍ हैं, और ये समस्याऍ मनुष्य जीवन में हल की जा सकती हैं, न की बिल्लियों और कुत्तों के जीवन में । वे नहीं कर सकते हैं । तो हमारा एकमात्र अनुरोध है कि आप अपने जीवन को सफल बनाऍ । अपने अस्तित्व की वास्तविकता को समझें । और यह केवल जप द्वारा संभव है | ||
बहुत बहुत धन्यवाद । हरे कृष्ण । | हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे / हरे राम, हरे राम, राम राम... | ||
बहुत बहुत धन्यवाद । हरे कृष्ण । | |||
<!-- END TRANSLATED TEXT --> | <!-- END TRANSLATED TEXT --> |
Latest revision as of 17:45, 1 October 2020
720403 - Lecture SB 01.02.05 - Melbourne
क्यों मैं भुगत रहा हूँ ? क्यों मुझे जन्म को स्वीकार करना पडता है ? क्यों मुझे मृत्यु को स्वीकार करना पडता है ? क्यों मुझे इस बीमारी को स्वीकार करना होगा ? क्यों मुझे बुढ़ापे को स्वीकार करना होगा ?" ये समस्याएं हैं । ये समस्याऍ हैं, और ये समस्याऍ मनुष्य जीवन में हल की जा सकती हैं, न की बिल्लियों और कुत्तों के जीवन में । वे नहीं कर सकते हैं । तो हमारा एकमात्र अनुरोध है कि आप अपने जीवन को सफल बनाऍ । अपने अस्तित्व की वास्तविकता को समझें । और यह केवल जप द्वारा संभव है
हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे / हरे राम, हरे राम, राम राम...
बहुत बहुत धन्यवाद । हरे कृष्ण ।