HI/Prabhupada 1041 - केवल लक्षणात्मक उपचार से तुम मनुष्य को स्वस्थ नहीं कर सकते: Difference between revisions
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पूरी दुनिया जीवन की शारीरिक अवधारणा में है, यहां तक कि बड़े, बड़े राष्ट्र भी । जैसे अापके प्रधानमंत्री संयुक्त राष्ट्र गए हैं । संयुक्त राष्ट्र में कई बड़े, बड़े आदमी हैं । वे बोलते हैं, और वे पिछले तीस साल से बोल रहे हैं । संयुक्त राष्ट्र का गठन किया गया है, लेकिन जीवन की समस्याओं का कोई समाधान नहीं मिल सका उन्हे, क्योंकि बुनियादी सिद्धांत को वे खो रहे हैं; वे नहीं जानते । उनमें से हर एक शारीरिक स्तर पर सोच रहा है: " मैं | पूरी दुनिया जीवन की शारीरिक अवधारणा में है, यहां तक कि बड़े, बड़े राष्ट्र भी । जैसे अापके प्रधानमंत्री संयुक्त राष्ट्र गए हैं । संयुक्त राष्ट्र में कई बड़े, बड़े आदमी हैं । वे बोलते हैं, और वे पिछले तीस साल से बोल रहे हैं । संयुक्त राष्ट्र का गठन किया गया है, लेकिन जीवन की समस्याओं का कोई समाधान नहीं मिल सका उन्हे, क्योंकि बुनियादी सिद्धांत को वे खो रहे हैं; वे नहीं जानते । उनमें से हर एक शारीरिक स्तर पर सोच रहा है: "मैं भारतीय हूँ," "मैं अमेरिकी हूँ," "मैं जर्मन हूँ, " "मैं अंग्रेज हूँ," एसे | इसलिए कोई समाधान नहीं है क्योंकि बुनियादी सिद्धांत गलत है । जब हम समझते नहीं हैं कि शरीर के सक्रिय सिद्धांत पर क्या गलत है, समस्याओं को हल नहीं किया जा सकता है । | ||
तो हमारा कृष्ण भावनामृत आंदोलन जीवन की शारीरिक अवधारणा पर अाधारित नहीं है । यह आंदोलन आत्मा | जैसे अगर आप रोग को पहचान नहीं सके, केवल लक्षणात्मक उपचार से आप आदमी को स्वस्थ नहीं बना सकते । यह संभव नहीं है । तो हमारा कृष्ण भावनामृत आंदोलन जीवन की शारीरिक अवधारणा पर अाधारित नहीं है । यह आंदोलन आत्मा के बुनियादी सिद्धांत पर अाधारित है । आत्मा क्या है, आत्मा की आवश्यकता क्या है, कैसे आत्मा सुखी, शांतिपूर्ण होगा । फिर सब कुछ ठीक हो जाएगा । | ||
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Latest revision as of 17:44, 1 October 2020
751001 - Lecture Arrival - Mauritius
पूरी दुनिया जीवन की शारीरिक अवधारणा में है, यहां तक कि बड़े, बड़े राष्ट्र भी । जैसे अापके प्रधानमंत्री संयुक्त राष्ट्र गए हैं । संयुक्त राष्ट्र में कई बड़े, बड़े आदमी हैं । वे बोलते हैं, और वे पिछले तीस साल से बोल रहे हैं । संयुक्त राष्ट्र का गठन किया गया है, लेकिन जीवन की समस्याओं का कोई समाधान नहीं मिल सका उन्हे, क्योंकि बुनियादी सिद्धांत को वे खो रहे हैं; वे नहीं जानते । उनमें से हर एक शारीरिक स्तर पर सोच रहा है: "मैं भारतीय हूँ," "मैं अमेरिकी हूँ," "मैं जर्मन हूँ, " "मैं अंग्रेज हूँ," एसे | इसलिए कोई समाधान नहीं है क्योंकि बुनियादी सिद्धांत गलत है । जब हम समझते नहीं हैं कि शरीर के सक्रिय सिद्धांत पर क्या गलत है, समस्याओं को हल नहीं किया जा सकता है ।
जैसे अगर आप रोग को पहचान नहीं सके, केवल लक्षणात्मक उपचार से आप आदमी को स्वस्थ नहीं बना सकते । यह संभव नहीं है । तो हमारा कृष्ण भावनामृत आंदोलन जीवन की शारीरिक अवधारणा पर अाधारित नहीं है । यह आंदोलन आत्मा के बुनियादी सिद्धांत पर अाधारित है । आत्मा क्या है, आत्मा की आवश्यकता क्या है, कैसे आत्मा सुखी, शांतिपूर्ण होगा । फिर सब कुछ ठीक हो जाएगा ।