HI/Prabhupada 0105 - यह विज्ञान, परम्परा द्वारा समझा जाता है



Lecture on BG 18.67 -- Ahmedabad, December 10, 1972

भक्त : श्रील प्रभुपाद, किसी ने मुझसे पूछा, " प्रभुपाद जी के बाद इस संघ का परिचालक कौन होगा ?"

प्रभुपाद : जो पूछ रहे हैं, वही करेंगे ( हँसी ) ।

भारतीय व्यक्ति (५): क्या मैं अपने भक्तो को पूछ सकता हूँ कि वह आपके निर्देशों का पालन करे, आपके संघ को आगे ले जाये जिससे यह निर्बाध गति से आगे बढ़ता जाये : हरे कृष्णा हरे कृष्णा !

प्रभुपाद: यही गीता में उपदेशित हैं :

इमं विवस्वते योगं
प्रोक्तवान् अहम् अव्ययम्
विवस्वान् मनवे प्राह
मनुर् इक्ष्वाकवे ऽब्रवीत्
(भ गी ४. १)

सर्वप्रथम श्रीकृष्ण ने कृष्ण भावनामृत का विज्ञान सूर्य देव को बताया था , और सूर्य देव विवस्व।न ने इसे अपने पुत्र मनु को प्रदान किया था । और मनु ने इसे अपने पुत्र इक्ष्वाकु को समझाया था । एवं परम्परा-प्राप्तम् इमं राजर्षयो विदुः (भ गी ४.२) अतः इस विज्ञान को गुरु शिष्य परम्परा द्वारा समझा जा सकता हैं । अतः जिस प्रकार हमने यह विज्ञान गुरु शिष्य परम्परा अपने गुरु महाराज से सीखा, अतः मेरे शिष्य जिन्होंने मुझसे यह सीखा हैं वह इस संघ को आगे ले जायेंगे । यही प्रक्रिया हैं और इसमें कुछ नया नहीं हैं । यह पौराणिक प्रक्रिया हैं । केवल हमे इसे उचित ढंग से वितरण करना हैं, जिस प्रकार हमारे गुरु महाराज से हमने सुना था । अतः गीता में उपदेशित हैं: आचार्य उपासनम्: "आचार्य के समीप जाना चाहिए" आचार्यवान् पुरुषो वेद​ । केवल अटकलों एवं विद्वत्तापूर्ण बातों से यह संभव नहीं हैं । आचार्य के पास जाना होगा । आचार्य को गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत होना होगा । अतः श्रीकृष्ण गीता में अनुग्रह करते हैं कि, तद् विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया: (भ गी ४.३४) "आचार्य के पास जाना होगा और समर्पण कि भावना से उनसे सीखना होगा ।" यह पूरी प्रक्रिया आपके समर्पण पे निर्भर करती हैं । ये यथा मां प्रपद्यन्ते । समर्पण और समर्पण का अनुपात ही श्रीकृष्ण को जानने की कसौटी हैं । यदि हम पूर्ण रूप से समर्पित हो तो श्रीकृष्ण को हम पूर्ण रूप से समझ सकते हैं । यदि हम आंक्षिक रूप से समर्पित होते हैं तो श्रीकृष्ण को हम आंक्षिक रूप से समझ सकते हैं । ये यथा मां प्रपद्यन्ते, अतः समर्पण का अनुपात ही निर्णायक कारक हैं । जो पूर्ण रूप से समर्पित हैं वह इस दर्शन को समझ सकते हैं और कृष्ण की कृपा से वह प्रचार कर सकते हैं ।