HI/Prabhupada 0106 - लिफ्ट सीधे कृष्ण भक्ति की ओर ले लो



Lecture on BG 18.67 -- Ahmedabad, December 10, 1972

तो मम वर्तानुवर्तन्ते का अर्थ है, जैसे अमरिका में बहुत से गगनचुम्बी अट्टालिकाएँ हैं l एक सौ पाँच मंजिलों वाली इमारत, मुझे लगता है कि वह सबसे ऩई है l यदि आपको सबसे ऊपर वाली मंजिल पर जाना हो तो आपको सीढ़ियों का उपयोग करना होगा l तो सब वहाँ जाने की कोशिश कर रहे हैं l पर मान लिजिए, किसी ने दस कदम पार कर लिए हैं l किसी ने पचास और किसी ने सौ कदम पार कर लिए हैं l परन्तु मान लिजिए, आपको दो हज़ार कदम पार करने हैं l तो सीढ़ी एक ही है । मम वर्तानुवर्तन्ते । कयोंकि लक्ष्य सर्वोच्च फ्लैट पर जाना है । किन्तु जिसने दस कदम पार कर लिए हैं, वह पचास कदम पार करने वाले से कम उन्नत है । जिसने पचास कदम पार कर लिए हैं, वह सौ कदम पार करने वाले से कम उन्नत है । अतः विभिन्न प्रक्रियाएँ हैं और सभी समान नहीं हैं l वह सभी एक ही लक्ष्य पर केन्द्रित हैं, कर्म, ज्ञान, भक्ति। किन्तु भक्ति उच्चतम है ।

पर जब आप भक्ति के स्तर पर आते हैं, तब आप भगवान कृष्ण को समझ पाते हैं l कर्म, ज्ञान, योग से यह संभव नहीं है l आप कृष्ण की ओर जाना चाहते हैं, और कृष्ण कहते हैं, भक्त्या माम अभिजानाति (भ गी १८.५५) l वह नहीं कह रहे कि, " ज्ञान, कर्म, योग से संभव हैं ।" नहीं । आप आगे तो जा सकते हैं किन्तु आप उन्हें समझ नहीं सकते l लेकिन यदि आप कृष्ण को समझना चाहते हैं, तो आपको भक्ति का मार्ग अपनाना होगा l भक्त्या माम अभिजानाति यावन यस् चास्मि तत्वतः (भ गी १८.५५)l यह उचित पद्धति है ।

अतः मम वर्तानुवर्तन्ते का अर्थ है, "हर कोई मेरे पास आने का प्रयास कर रहा है, अपनी-अपनी क्षमताओं के आधार पर, किन्तु जो मुझे वास्तव में जानना चाहते हैं, उनके लिए सरल उपाय है... " जैसे यहाँ सीढियाँ हैं, पर इस देश में नहीं, अमरिकी और यूरोपी देशों में, और साथ ही साथ, यहाँ लिफ्ट भी है । अतः सीढियों से जाने की बजाय, आप लिफ्ट का उपयोग कर सकते हैं l आप कुछ ही क्षणों में पहुँच जाएँगे l इसी तरह, यदि आप भक्ति की लिफ्ट लेते हैं, तो आप शीघ्र ही कृष्ण के संपर्क में आ जाएँगे l एक, एक कदम चढ़ने की बजाय । इसकी कोई आवश्यकता नहीं हैं । अतः श्रीकृष्ण कहते हैं, सर्व धर्मान परित्यज्य मां एकं शरणं व्रज (भ गी १८.६६) । "तुम केवल मेरी शरण में आओ। बस आपको इतना ही करना है ।" पग-पग पर, हर पग पर, इतना परिश्रम करने की क्या आवश्यकता है?