HI/Prabhupada 0147 - साधारण चावल सर्वोच्च चावल नहीं कहा जाता है
Lecture on BG 7.1 -- Hong Kong, January 25, 1975
भक्तों को पता है कि भगवान है, और वह (कृष्ण) भगवान है। ईश्वर को भगवान कहा जाता है। इसलिए हालाँकि यहाँ कहा गया है ... भगवद गीता कृष्ण द्वारा बोला गया है, हर कोई जानता है। लेकिन कुछ स्थानों में भगवद गीता में वर्णित है, भगवान उवाच । भगवान और कृष्ण - एक ही व्यक्ति। कृष्णस् तु भगवान स्वयम् (श्रीमद भागवतम १.३.२८)। भगवान, भगवान शब्द की एक परिभाषा है।
- ऐश्वर्यस्य समग्रस्य
- वीर्यस्य यशस: श्रीय:
- ज्ञान-वैराज्ञयोश चैव
- सन्नम् भग इतिन्गना
- (विष्णु पुराण ६.५.४७)
भग, हम भाग्यवान् शब्द को समझते हैं, भाग्य । भाग्य, भाग्यवान्, यह शब्द भग से आता है। भग का मतलब है संपन्नता । संपन्नता का मतलब है धन । कैसे एक आदमी संपन्न हो सकता है? अगर उसके पास धन हो, अगर उसके पास बुद्धिमत्ता हो, अगर उसके पास सौंदर्य हो, अगर उसके पास प्रतिष्ठा हो, अगर वह ज्ञानी हो, अगर वह त्यागी हो - यह भगवान का अर्थ है ।
तो जब हम बात करते हैं "भगवान," यह भगवान , परमेश्वर ... ईश्वर, परमेश्वर, अात्मा, परमात्मा, ब्रह्म, परब्रह्म - दो शब्द हैं एक साधारण है, और दूसरा परम, सर्वोच्च है । जैसे हमारी खाना पकाने की प्रक्रिया में हम चावल की किस्में बना सकते हैं । चावल है। नामों की किस्में हैं : अन्न, परमान्न, पुष्पन्न, किचोरन्न, वैसे । तो सर्वोच्च अन्न परमान्न कहा जाता है। परम का मतलब है सर्वोच्च । अन्न, चावल, वहाँ है, लेकिन वह सर्वोच्च बन गया है। साधारण चावल सर्वोच्च चावल नहीं कहा जाता है। यह भी चावल है । और जब तुम खीर के साथ चावल को तैयार करते हो, मतलब है दूध, और अन्य अच्छी सामग्री, यह परमान्न कहा जाता है । इसी प्रकार, जीवों और भगवान के लक्षण - व्यावहारिक रूप से एक ही है । भगवान ... हमारे पास यह शरीर है, भगवान के पास यह शरीर है । भगवान भी जीवित व्यक्ति हैं, हम भी जीवित व्यक्ति हैं। भगवान के पास रचनात्मक शक्ति है, हमारे पास भी रचनात्मक शक्ति है । लेकिन अंतर यह है कि वे बहुत महान है। एको यो बहुनाम् विदधाति कमान । जब भगवान इस पूरे ब्रह्मांड का सर्जन करते हैं, तो उन्हें किसी की मदद की आवश्यकता नहीं है । वह आकाश बनाते हैं । आसमान से ध्वनि उत्पन्न होती है; ध्वनि से वायु , वायु से आग; अाग से पानी; अौर पानी से धरती अाती है।