HI/Prabhupada 0188 - जीवन की सभी समस्याओं का अंतिम समाधान
Lecture on SB 2.3.17 -- Los Angeles, July 12, 1969
विष्णुजन: प्रभुपाद, आपने वर्णित किया की भगवान कारण हैं, मूल कारण, और क्योंकि कोई भी भगवान को जानता नही है, यह कैसे संभव है कि लोगों को पता चले कि वे लोग कैसे नियंत्रित होते हैं ? उन्हे कैसे पता चले कि वे नियंत्रित हैं क्योंकि कोई भी कृष्ण को जानता नहीं है और यह की वे ही मूल कारण हैं ? वे कैसे यह जान सकते हैं कि कृष्ण की वजह से ही सब कुछ हो रहा है?
प्रभुपाद: तुम्हे कैसे पता चलता है कि तुम राज्य के नियंत्रण में हो? तुम कैसे पता कर सकते हो ?
विष्णुजन: राज्य की एक कानूनी किताब है ।
प्रभुपाद: इसलिए हमारे पास भी कानूनी किताब है । अनादि बहिर्मुख जीव कृष्ण भुलि गेला, अतैव कृष्ण वेद-पुराणे करिला । क्योंकि तुम कृष्ण को भूल चुके हो, इसलिए कृष्ण नें तुम्हे इतनी सारी किताबें दी हैं , वैदिक साहित्य । इसलिए मैं ज़ोर दे रहा था कि बकवास साहित्य पढ़ने में अपना समय बर्बाद मत करो । बस इस वैदिक साहित्य पर अपना ध्यान केंद्रित करो । तब तुम्हे पता चलेगा । यह पुस्तके क्यों हैं? बस तुम्हे याद दिलाने के लिए कि तुम कानून के तहत रहो । लेकिन अगार तुम लाभ नहीं लेते हो, तो तुम अपने जीवन का दुरुपयोग कर रहे हो । यह उपदेश का काम, पुस्तकों का प्रकाशन, साहित्य, पत्रिकाऍ, कृष्ण भावनामृत आंदोलन, सब कुछ तुम्हे याद दिलाने के लिए कि कैसे हम नियंत्रित हैं, कौन सर्वोच्च नियंत्रक है, तुम्हारा जीवन कैसे सफल हो सकता है, तुम कैसे इस नियंत्रित जीवन से मुक्ति पा सकते हो, कैसे तुम्हे स्वतंत्र जीवन मिल सकता है । यही यह आंदोलन है ।
यह कृष्ण भावनामृत आंदोलन उस उद्देश्य के लिए है; अन्यथा, इस आंदोलन की उपयोगिता क्या है? यह एक "वाद" नहीं है जो सिर्फ कुछ अस्थायी तुष्टीकरण के लिए हो । यह जीवन की सभी समस्याओं का अंतिम समाधान है, यह कृष्ण भावनामृत आंदोलन । अौर यह जप करना दिल में जगह बनाता है जहॉ तुम यह संदेश प्राप्त करोगे । चेतो दर्पण-मार्जनम् (चैतन्य चरितामृत अन्त्य २०.१२), ह्रदय की सफाई । तब तुम संदेश प्राप्त कर सकोगे । तो हमारी प्रक्रिया बहुत वैज्ञानिक है, अधिकृत, और कोई भी यह लेता है तो उसे धीरे - धीरे पता चलेगा, और वह उन्नती करेगा । इसके बारे में कोई संदेह नहीं है ।