HI/Prabhupada 0347 - पहले तुम जन्म लो जहॉ कृष्ण अब मौजूद हैं



Lecture on BG 2.14 -- Mexico, February 14, 1975

हृदयानन्द: क्या हम स्वयम को शुद्ध करके परम भगवान के साथ अपने संबंध को अनुभव कर सकते हैं ?

प्रभुपाद: हाँ, यही शुद्धि का केंद्र है ।

हृदयानन्द: (स्पेनिश भाषा)

हनुमान: प्रभुपाद, मैं जानना चाहूँगा, अगर आध्यात्मिक दुनिया में कोई जन्म नहीं है, तो हम आध्यात्मिक जगत् में पुनः प्रवेश कैसे करते हैं ?

प्रभुपाद: हम्म ? जन्म का अर्थ है, सबसे पहले तुम वहाँ जन्म लो जहाँ अब कृष्ण उपस्थित हैं । कृष्ण कई ब्रह्मांडों में से एक में उपस्थित हैं । असंख्य ब्रह्मांड हैं । तो तुम अगले ब्रह्मांड में अपना जन्म लो, या कृष्ण अब जहाँ हैं । फिर तुम प्रशिक्षित हो जाते हो । अौर जब तुम प्रशिक्षित हो जाते हो, तो फिर तुम व्यक्तिगत रूप से वैकुण्ठ जाते हो । कोई जन्म नहीं । हम्म, वह क्या है?

हृदयानन्द: और अधिक सवाल और जवाब ?

प्रभुपाद: यदि तुम चाहो, तो मैं ले सकता हूँ ।

हृदयानन्द: अगर भगवान के पास जाने का एक और तरीका है । अगर एक और तरीका है ।

प्रभुपाद: नहीं (हँसी) | क्योंकि यह भगवद्गीता में कहा गया है,

भक्त्या माम अभिजानाति
यावान यश चास्मि तत्वत:
ततो मा तत्वतो ज्ञात्वा '
विशते तद अनंतरम
([[HI/BG 18.55|भ.गी. १८.५५])

यह ढ़ढूो, भक्त्या माम अभिजानाति ।

हृदयानन्द :

भक्त्या माम अभिजानाति
यावान यश चास्मि तत्वत:
ततो मा तत्वतो ज्ञात्वा '
विशते तद अनंतरम
([[HI/BG 18.55|भ.गी. १८.५५])

प्रभुपाद: किसी को भी भक्त बने बिना भगवान के राज्य में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाती है । (तोड़) और भक्त बनने में कोई कठिनाई नहीं है, क्योंकि ... भक्त बनने का मतलब है चार सिद्धांत । एक बात है हमेशा कृष्ण के बारे में सोचना । मन मना भव मद भक्त: । वह भक्त है । केवल कृष्ण के बारे में सोचना । यही हरे कृष्ण है । जब तुम हरे कृष्ण का जप करते हो, तो तुम कृष्ण के बारे में सोचते हो । तुम तुरंत भक्त बन जाते हो । फिर मन मना भव बनने के बाद, मद्याजी, तुम मेरी पूजा करो," माम नमस्कुरु," और दंडवत प्रणाम करो ।" यह बहुत आसान है । अगर तुम कृष्ण को याद करते हो और तुम दंडवत प्रणाम करते हो अौर उनकी पूजा करते हो, ये तीन चीजें तुम्हें भक्त बना देंगी और तुम वापस घर चले जाओगे, परम धाम वापस । हम यह बात सिखा रहे हैं: हरे कृष्ण का जप करो, अर्चा-विग्रह को दंडवत प्रणाम करो और पूजा करो । सभी काम खत्म करो ।

हृदयानन्द: (स्पेनिश भाषा) तो क्यों वे ज्ञान पथ पर जाते हैं ? उसमें इतने ज्ञान और इतने व्याकरण की आवश्यकता है, इतना नाक दबाना है, इतनी सारी चीजें हैं । तुम इन सब बातों से बचो । बस इन तीन चीजों को करो और तुम भक्त बन जाते हो । क्यों तुम सबसे आसान प्रक्रिया नहीं अपनाते और घर को वापस जाते, वापस परम धाम ?

बहुत-बहुत धन्यवाद ।