HI/Prabhupada 0462 - वैष्णव अपराध एक महान अपराध है
Lecture on SB 7.9.7 -- Mayapur, February 27, 1977
प्रभुपाद: वैष्णव अपराध एक महान अपराध है । तुम्हे अंबरीश महाराज का पता है । वे भक्त थे, और वे ... दुर्वासा, उन्हे अपनी योग शक्ति का बहुत गर्व था, और उन्होंने अंबरीश महाराज के चरणों में अपराध किया, और उन्हे दंडित किया गया श्री कृष्ण द्वारा सुदर्शन-चक्र भेजकर । और वे इतनों से मदद चाहते थे - ब्रह्मा, विष्णु । वे विष्णुलोक को सीधे जा सकते हैं, लेकिन उन्हे माफ़ नहीं किया गया था । उन्हे एक वैष्णव के पास अाना पडा, अंबरीश महाराज, उनके चरणकमलों में गिरना पड़ा । और वे, बेशक, वैष्णव, तुरंत उन्हे माफ़ किया । तो वैष्णव अपराध महान अपराध है, हाती-माता ।
इसलिए हमें वैष्णव अपराध के बारे में बहुत सावधान रहना चाहिए । हमें नहीं करना चाहिए ... अर्चये विष्णु शिला-धीर गुरुशु नर-मतिर वैष्णव जाति बुद्धि: (पद्म पुराण) | वैष्णव-जाति-बुद्धि: भी एक और अपराध है, महान अपराध । इसी तरह, गुरु के बारे में यह सोचना कि वह साधारण इंसान है, वह भी अपराध है । यह सोचना कि अर्च विग्रह धातु से बना है, पत्थर से, यह भी ... ये अपराध हैं । तो नारकी ।
तो हमें नियामक सिद्धांतों के बारे में बहुत सावधान रहना है और वैष्णव के पदचिह्नों का अनुसरण करना चाहिए । महाजनो येन स गत: । यह मत सोचो कि प्रहलाद महाराज साधारण लड़के हैं । हमें प्रहलाद महाराज से सीखना चाहिए कि कैसे भक्ति सेवा में अग्रिम होना चाहिए ।
बहुत बहुत धन्यवाद ।
भक्त: जय प्रभुपाद ।