HI/Prabhupada 0652 - यह पद्म पुराण सत्व गुण में रहने वाले व्यक्तियों के लिए है: Difference between revisions

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भक्त: तात्पर्य: "परम सत्य की प्राप्ति के बिना किताबी ज्ञान बेकार है । पद्म पुराण में इस प्रकार से यह कहा जाता है कि ... "
भक्त: तात्पर्य: "परम सत्य की प्राप्ति के बिना किताबी ज्ञान बेकार है । पद्म पुराण में इस प्रकार से यह कहा जाता है कि... "  


प्रभुपाद: हाँ, पद्म पुराण । अठारह पुराण हैं । मनुष्य तीन गुणों से बंधा है : सतो गुण, रजो गुण अौर तमो गुण । इन सभी सशर्त आत्माओं को पुनः प्राप्त करने के लिए जो जीवन की विभिन्न प्रजातियों में हैं, पुराणों की प्रस्तुति की गई है । छह पुराण सतो गुण में रहने वाले मनुष्यों की लिए है । और छह पुराण रजो गुण में रहने वाले मनुष्यों के लिए हैं । और छह पुराण - तमो गुण में रहने वाले मनुष्यों के लिए हैं, वे पुराण उनके लिए हैं । यह पद्म पुराण रजो गुण में रहने वाले व्यक्तियों के लिए है । वैदिक अनुष्ठानों में, तुम कर्मकांड कार्यों में इतने मतभेद पाअोगे । यह मनुष्यों के विभिन्न प्रकार की वजह से है । जैसे तुमने सुना है कि वैदिक साहित्य में , काली देवी की उपस्थिति में एक कर्मकांड समारोह होता है बकरी के बलिदान का । लेकिन यह पुराण, मार्कण्डेय पुराण, तमो गुण में रहने वाले लोगों के लिए है । वैसे ही जैसे एक व्यक्ति मांस खाने से अासक्त है । अब, अचानक, अगर उससे कहा जाए कि मांस खाना अच्छा नहीं है ...... या कोई व्यक्ति शराब पीने में अासक्त है । अगर एकदम से उससे कहा जाए कि शराब पीना अच्छा नहीं है, वह स्वीकार नहीं कर सकता । इसलिए पुराणों में हम पाऍगे, "ठीक है, अगर तुम मांस खाना चाहते हो, तुम सिर्फ देवी काली की पूजा करो और देवी के सामने एक बकरी का बलिदान करो । और तुम मांस खा सकते हो । तुम कसाईखाना या कसाई की दुकान से खरीद कर मांस नहीं खा सकते । तम्हे इस तरह से ही खाना होगा ।" अर्थात प्रतिबंध है । क्योंखी अगर तुम्हे काली देवी के समक्ष बलि चढाना है तो, एक निश्चित तिथि है, निश्चित सामग्री है, तुम्हे उस के लिए व्यवस्था करनी होगी । और वह पूजा, उस पूजा की अनुमति है अमावास्य की रात को । तो अमावास्य की रात महीने में एक बार । और मंत्र इस तरह से बोले जाते हैं; बकरी से कहा जाता है कि, "तुम्हे देवी काली के सामने बली दिया जा रहा है । तो तुम्हारी उन्नती मिलेगी मानव जीवन में तुरंत । " वास्तव में ऐसा होता है । क्योंकि मानव जीवन के स्तर तक अाने के लिए, एक जीव को इतने सारे कर्मागत प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है । लेकिन जो बकरी इस बात से सहमत हो जाती है, या जिसका काली देवी के सामने बलिदान बल से किया जाता है, उसे तत्काल मानव जीवन प्राप्त हो जाता है । और मंत्र कहता है, कि "तुम्हे इस आदमी को मारने का अधिकार मिल गया है जो तुम्हारी बली चढा रहा है ।" मांम्स मांम्स का मतलब है कि तुम उसका मांस खाअोगे, अगले जन्म में । तो इस तरह से, जो बलिदान कर रहा है, वह अपने होश में आ जाएगा । "मैं इस मांस को क्यों खा रहा हूँ ? फिर मुझे अपने मांस के साथ चुकाना होगा । क्यों मैं यह काम करूँ ?" तुम समझ रहे हो । पूरा विचार उसे नियंत्रित करने के लिए है । इसलिए पुराण विभिन्न प्रकार के होते हैं, अठारह पुराण । क्योंकि पूरा वैदिक साहित्य पुरुषों के उद्धार के लिए है । एसा नहीं कि मांस खाने वाले या शराबी को नकारा जाता है । नहीं । हर किसी को स्वीकार किए जाता है, लेकिन यह है - जैसे तुम एक डॉक्टर के पास जाते हो । वह विभिन्न रोग के अनुसार तुम्हे विभिन्न दवा लिख ​​के देगा । ऐसा नहीं है कि उसके पास एक रोग है, एक दवा है । जो कोई भी आता है उसे वह वही दवा देता है । नहीं । यही वास्तविक उपचार है । धीरे धीरे, धीरे धीरे । लेकिन सात्विक-पुराणों में, वे तुरंत देवत्व की परम व्यक्तित्व की पूजा के लिए हैं । कोई क्रमिक प्रक्रिया नहीं है । लेकिन धीरे धीरे, इस स्तर पर अाने वाले को, सलाह दी जाती है । तो पद्म पुराण सतो गुण के पुराणों में से एक है । यह क्या कहता है? अागे पढो ।
प्रभुपाद: हाँ, पद्म पुराण । अठारह पुराण हैं । मनुष्य तीन गुणों से बंधा है: सतो गुण, रजो गुण अौर तमो गुण । इन सभी बद्ध आत्माओं को पुनः वापिस बुलाने के लिए जो जीवन की विभिन्न प्रजातियों में हैं, पुराणों की प्रस्तुति की गई है । छह पुराण सतो गुण में रहने वाले मनुष्यों की लिए है । और छह पुराण रजो गुण में रहने वाले मनुष्यों के लिए हैं । और छह पुराण - तमो गुण में रहने वाले मनुष्यों के लिए हैं, वे पुराण उनके लिए हैं । यह पद्म पुराण सत्व गुण में रहने वाले व्यक्तियों के लिए है । वैदिक अनुष्ठानों में, तुम कर्मकांड कार्यों में इतने मतभेद पाअोगे । यह मनुष्यों के विभिन्न प्रकार की वजह से है ।  
 
जैसे तुमने सुना है कि वैदिक साहित्य में, काली देवी की उपस्थिति में एक कर्मकांड समारोह होता है बकरी के बलिदान का । लेकिन यह पुराण, मार्कण्डेय पुराण, तमो गुण में रहने वाले लोगों के लिए है । वैसे ही जैसे एक व्यक्ति मांस खाने से अासक्त है । अब, अचानक, अगर उससे कहा जाए कि मांस खाना अच्छा नहीं है... या कोई व्यक्ति शराब पीने में अासक्त है । अगर एकदम से उससे कहा जाए कि शराब पीना अच्छा नहीं है, वह स्वीकार नहीं कर सकता ।  
 
इसलिए पुराणों में हम पाऍगे, "ठीक है, अगर तुम मांस खाना चाहते हो, तुम सिर्फ देवी काली की पूजा करो और देवी के सामने एक बकरी का बलिदान करो । और तुम मांस खा सकते हो । तुम कसाईखाना या कसाई की दुकान से खरीद कर मांस नहीं खा सकते । तम्हे इस तरह से ही खाना होगा ।" अर्थात प्रतिबंध है । क्योंकि अगर तुम्हे काली देवी के समक्ष बलि चढाना है तो, एक निश्चित तिथि है, निश्चित सामग्री है, तुम्हे उस के लिए व्यवस्था करनी होगी । और वह पूजा, उस पूजा की अनुमति है अमावास्या की रात को । तो अमावास्या की रात महीने में एक बार । और मंत्र इस तरह से बोले जाते हैं; बकरी से कहा जाता है कि, "तुम्हे देवी काली के सामने बली दिया जा रहा है । तो तुम्हे उन्नती मिलेगी मानव जीवन में तुरंत ।" वास्तव में ऐसा होता है । क्योंकि मानव जीवन के स्तर तक अाने के लिए, एक जीव को इतनी सारी उत्क्रांति की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है । लेकिन जो बकरी इस बात से सहमत हो जाती है, या जिसका काली देवी के सामने बलिदान बल से किया जाता है, उसे तत्काल मानव जीवन प्राप्त हो जाता है । और मंत्र कहता है, कि "तुम्हे इस आदमी को मारने का अधिकार मिल गया है जो तुम्हारी बली चढा रहा है ।" मांस ।  
 
मांस का मतलब है कि तुम उसका मांस खाअोगे, अगले जन्म में । तो इस तरह से, जो बलिदान कर रहा है, वह अपने होश में आ जाएगा । "मैं इस मांस को क्यों खा रहा हूँ ? फिर मुझे अपने मांस के साथ चुकाना होगा । क्यों मैं यह काम करूँ ?" तुम समझ रहे हो । पूरा विचार उसे नियंत्रित करने के लिए है । इसलिए पुराण विभिन्न प्रकार के होते हैं, अठारह पुराण । क्योंकि पूरा वैदिक साहित्य मनुष्यो के उद्धार के लिए है । एसा नहीं कि मांस खाने वाले या शराबी को नकारा जाता है । नहीं । हर किसी को स्वीकार किया जाता है, लेकिन यह है - जैसे तुम एक डॉक्टर के पास जाते हो । वह विभिन्न रोग के अनुसार तुम्हे विभिन्न दवा लिख ​​के देगा । ऐसा नहीं है कि उसके पास एक रोग है, एक दवा है । जो कोई भी आता है उसे वह वही दवा देता है । नहीं । यही वास्तविक उपचार है । धीरे धीरे, धीरे धीरे । लेकिन सात्विक-पुराणों में, वे तुरंत पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान की पूजा के लिए हैं । कोई क्रमिक प्रक्रिया नहीं है । लेकिन धीरे धीरे, इस स्तर पर अाने वाले को, सलाह दी जाती है । तो पद्म पुराण सतो गुण के पुराणों में से एक है । यह क्या कहता है? अागे पढो ।  
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Latest revision as of 17:44, 1 October 2020



Lecture on BG 6.6-12 -- Los Angeles, February 15, 1969

भक्त: तात्पर्य: "परम सत्य की प्राप्ति के बिना किताबी ज्ञान बेकार है । पद्म पुराण में इस प्रकार से यह कहा जाता है कि... "

प्रभुपाद: हाँ, पद्म पुराण । अठारह पुराण हैं । मनुष्य तीन गुणों से बंधा है: सतो गुण, रजो गुण अौर तमो गुण । इन सभी बद्ध आत्माओं को पुनः वापिस बुलाने के लिए जो जीवन की विभिन्न प्रजातियों में हैं, पुराणों की प्रस्तुति की गई है । छह पुराण सतो गुण में रहने वाले मनुष्यों की लिए है । और छह पुराण रजो गुण में रहने वाले मनुष्यों के लिए हैं । और छह पुराण - तमो गुण में रहने वाले मनुष्यों के लिए हैं, वे पुराण उनके लिए हैं । यह पद्म पुराण सत्व गुण में रहने वाले व्यक्तियों के लिए है । वैदिक अनुष्ठानों में, तुम कर्मकांड कार्यों में इतने मतभेद पाअोगे । यह मनुष्यों के विभिन्न प्रकार की वजह से है ।

जैसे तुमने सुना है कि वैदिक साहित्य में, काली देवी की उपस्थिति में एक कर्मकांड समारोह होता है बकरी के बलिदान का । लेकिन यह पुराण, मार्कण्डेय पुराण, तमो गुण में रहने वाले लोगों के लिए है । वैसे ही जैसे एक व्यक्ति मांस खाने से अासक्त है । अब, अचानक, अगर उससे कहा जाए कि मांस खाना अच्छा नहीं है... या कोई व्यक्ति शराब पीने में अासक्त है । अगर एकदम से उससे कहा जाए कि शराब पीना अच्छा नहीं है, वह स्वीकार नहीं कर सकता ।

इसलिए पुराणों में हम पाऍगे, "ठीक है, अगर तुम मांस खाना चाहते हो, तुम सिर्फ देवी काली की पूजा करो और देवी के सामने एक बकरी का बलिदान करो । और तुम मांस खा सकते हो । तुम कसाईखाना या कसाई की दुकान से खरीद कर मांस नहीं खा सकते । तम्हे इस तरह से ही खाना होगा ।" अर्थात प्रतिबंध है । क्योंकि अगर तुम्हे काली देवी के समक्ष बलि चढाना है तो, एक निश्चित तिथि है, निश्चित सामग्री है, तुम्हे उस के लिए व्यवस्था करनी होगी । और वह पूजा, उस पूजा की अनुमति है अमावास्या की रात को । तो अमावास्या की रात महीने में एक बार । और मंत्र इस तरह से बोले जाते हैं; बकरी से कहा जाता है कि, "तुम्हे देवी काली के सामने बली दिया जा रहा है । तो तुम्हे उन्नती मिलेगी मानव जीवन में तुरंत ।" वास्तव में ऐसा होता है । क्योंकि मानव जीवन के स्तर तक अाने के लिए, एक जीव को इतनी सारी उत्क्रांति की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है । लेकिन जो बकरी इस बात से सहमत हो जाती है, या जिसका काली देवी के सामने बलिदान बल से किया जाता है, उसे तत्काल मानव जीवन प्राप्त हो जाता है । और मंत्र कहता है, कि "तुम्हे इस आदमी को मारने का अधिकार मिल गया है जो तुम्हारी बली चढा रहा है ।" मांस ।

मांस का मतलब है कि तुम उसका मांस खाअोगे, अगले जन्म में । तो इस तरह से, जो बलिदान कर रहा है, वह अपने होश में आ जाएगा । "मैं इस मांस को क्यों खा रहा हूँ ? फिर मुझे अपने मांस के साथ चुकाना होगा । क्यों मैं यह काम करूँ ?" तुम समझ रहे हो । पूरा विचार उसे नियंत्रित करने के लिए है । इसलिए पुराण विभिन्न प्रकार के होते हैं, अठारह पुराण । क्योंकि पूरा वैदिक साहित्य मनुष्यो के उद्धार के लिए है । एसा नहीं कि मांस खाने वाले या शराबी को नकारा जाता है । नहीं । हर किसी को स्वीकार किया जाता है, लेकिन यह है - जैसे तुम एक डॉक्टर के पास जाते हो । वह विभिन्न रोग के अनुसार तुम्हे विभिन्न दवा लिख ​​के देगा । ऐसा नहीं है कि उसके पास एक रोग है, एक दवा है । जो कोई भी आता है उसे वह वही दवा देता है । नहीं । यही वास्तविक उपचार है । धीरे धीरे, धीरे धीरे । लेकिन सात्विक-पुराणों में, वे तुरंत पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान की पूजा के लिए हैं । कोई क्रमिक प्रक्रिया नहीं है । लेकिन धीरे धीरे, इस स्तर पर अाने वाले को, सलाह दी जाती है । तो पद्म पुराण सतो गुण के पुराणों में से एक है । यह क्या कहता है? अागे पढो ।