HI/690501 प्रवचन - श्रील प्रभुपाद बोस्टन में अपनी अमृतवाणी व्यक्त करते हैं

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Nectar Drops from Srila Prabhupada
जब भगवद प्रेम का काजल हमारे नेत्रों में लगाया जाएगा, तो इन्हीं से हम भगवान का दर्शन कर पाएंगे । भगवान अदृश्य नहीं हैं । ठीक जैसे एक व्यक्ति जो मोतियाबिंद या किसी अन्य नेत्र रोग से पीड़ित है, वह नहीं देख सकता । इसका अर्थ यह नहीं है कि चीजें विद्यमान नहीं हैं । बस वह देख नहीं सकता । भगवान हैं, परंतु क्योंकि हमारी आँखें परमेश्वर को देखने के लिए सक्षम नहीं हैं, इसलिए हम ईश्वर के अस्तित्व को नकारते हैं। भगवान हर स्थान पर विद्यमान हैं । तो हमारे जीवन की भौतिक स्थिति में, हमारी आंखें जड़ हैं । न केवल आँखें, अपितु प्रत्येक इंद्री । विशेष रूप से आँखें । क्योंकि हमें अपनी आंखों पर बहुत गर्व है, और हम कहते हैं, 'क्या आप मुझे भगवान दिखा सकते हैं ?' आप देखते हैं । परंतु वे यह नहीं सोचते कि क्या उनकी आँखें भगवान को देखने के लिए सक्षम हैं । यह ही नास्तिकता है ।
690501 - प्रवचन भगवान नरसिंहदेव आविर्भाव दिन, नरसिंह चतुर्दशी - बोस्टन