HI/Prabhupada 0010 - कृष्ण की नकल न करो: Difference between revisions

(Created page with "<!-- BEGIN CATEGORY LIST --> Category:HI-Quotes - 1976 Category:HI-Quotes - Lectures, Srimad-Bhagavatam Category:HI-Quotes - in India Category:HI-Quotes - in Ind...")
 
(Vanibot #0023: VideoLocalizer - changed YouTube player to show hard-coded subtitles version)
 
Line 1: Line 1:
<!-- BEGIN CATEGORY LIST -->
<!-- BEGIN CATEGORY LIST -->
[[Category:1080 Hindi Pages with Videos]]
[[Category:Prabhupada 0010 - in all Languages]]
[[Category:HI-Quotes - 1976]]
[[Category:HI-Quotes - 1976]]
[[Category:HI-Quotes - Lectures, Srimad-Bhagavatam]]
[[Category:HI-Quotes - Lectures, Srimad-Bhagavatam]]
[[Category:HI-Quotes - in India]]
[[Category:HI-Quotes - in India]]
[[Category:HI-Quotes - in India, Mayapur]]
[[Category:HI-Quotes - in India, Mayapur]]
[[Category:1080 Hindi Pages with Videos]]
[[Category:First 11 Pages in all Languages]]
[[Category:Hindi Language]]
[[Category:Hindi Language]]
[[Category:First 11 Pages in all Languages]]
<!-- END CATEGORY LIST -->
<!-- END CATEGORY LIST -->
<!-- BEGIN NAVIGATION BAR -- DO NOT EDIT OR REMOVE -->
{{1080 videos navigation - All Languages|Hindi|HI/Prabhupada 0009 - चोर जो भक्त बना|0009|HI/Prabhupada 0011 - मन में कृष्ण की पूजा की जा सकती है|0011}}
<!-- END NAVIGATION BAR -->
<!-- BEGIN ORIGINAL VANIQUOTES PAGE LINK-->
<!-- BEGIN ORIGINAL VANIQUOTES PAGE LINK-->
<div class="center">
<div class="center">
Line 16: Line 20:


<!-- BEGIN VIDEO LINK -->
<!-- BEGIN VIDEO LINK -->
{{youtube_right|rqCFjjxHdUc|Don't Try To Imitate Kṛṣṇa - Prabhupāda 0010}}
{{youtube_right|3c-Oqkv1Sn4|कृष्ण की नकल न करो <br /> - Prabhupāda 0010}}
<!-- END VIDEO LINK -->
<!-- END VIDEO LINK -->


<!-- BEGIN AUDIO LINK -->
<!-- BEGIN AUDIO LINK -->
<mp3player>http://vaniquotes.org/w/images/760216SB.MAY_clip.mp3</mp3player>
<mp3player>https://s3.amazonaws.com/vanipedia/clip/760216SB.MAY_clip.mp3</mp3player>
<!-- END AUDIO LINK -->
<!-- END AUDIO LINK -->


Line 28: Line 32:


<!-- BEGIN TRANSLATED TEXT -->
<!-- BEGIN TRANSLATED TEXT -->
कृष्ण ... ये सोलह हजार पत्नियॉ, वे पत्नियॉ कैसे बनीं ?
कृष्ण ... ये सोलह हजार पत्नियॉ, वे पत्नियॉ कैसे बनीं ? तुम्हें कहानी पता है, कि कई सुंदर, सोलह हजार सुंदर, मेरे कहनेका मतलब है, राजा की बेटियॉ असुर द्वारा अपहरण कर ली गई । उस असुरका नाम क्या है ? भौमासुर, नहीं ? हां । इसलिए उन्होंने कृष्णसे प्रार्थना की "हम पीड़ित हैं, इस बदमाशने हमारा अपहरण कर लिया है । हमारी रक्षा कीजिए ।" तो कृष्ण, उन्हें बचाने के लिए आए, और भौमासुर मारा गया और सभी लड़कियोंको मुक्त किया गया । लेकिन आजादीके बाद वे अब भी वहाँ खड़ी थीं । तो कृष्णने उनसे कहा "अब तुम अपने पिताके घर जा सकती हो ।" उन्होने कहा कि, "हमारा अपहरण कर लिया गया था, और अब हमारी शादी नहीं हो सकती ।" भारत में अभी भी यह नियम है । अगर एक लड़की, युवती, एक दिन या दो दिनके लिए घरसे बाहर चली जाती है, कोईभी उससे शादी नहीं करेगा । कोईभी उससे शादी नहीं करेगा । वह अशुद्ध मानी जाती है । यह अभीभी भारतीय प्रणाली है ।
 
तुम्हें कहानी पता है, कि कई सुंदर, सोलह हजार सुंदर,
 
मेरे कहने का मतलब है, राजा की बेटियॉ असुर द्वारा अपहरण कर ली गई ।
 
उस असुर का नाम क्या है ?
 
भौमासुर, नहीं ? हां ।
 
इसलिए उन्होंने कृष्ण से प्रार्थना की "हम पीड़ित हैं, इस बदमाश ने हमारा अपहरण कर लिया है । हमारी रक्षा कीजिए ।"
 
तो कृष्ण, उन्हें बचाने के लिए आए,
 
और भौमासुर मारा गया और सभी लड़कियों को मुक्त किया गया ।
 
लेकिन आजादी के बाद वे अब भी वहाँ खड़ी थीं ।
 
तो कृष्ण ने उन से पूछा "अब तुम अपने पिता के घर जा सकती हो ।"
 
उन्होने कहा कि, "हमारा अपहरण कर लिया गया था, और अब हमारी शादी नहीं हो सकती ।"
 
भारत में अभी भी यह नियम है ।
 
अगर एक लड़की, युवती, एक दिन या दो दिन के लिए घर से बाहर चली जाती है,
 
कोई भी उससे शादी नहीं करेगा ।
 
कोई भी उससे शादी नहीं करेगा ।
 
वह अशुद्ध मानी जाती है ।
 
यह अभी भी भारतीय प्रणाली है
 
तो ये इतने दिनों या इतने सालों के लिए अपहरण कर ली गई थी,
 
इसलिए उन्होने कृष्ण से अपील की, " हम अपने पिता द्वारा स्वीकार नहीं किये जाएँगे,
 
न तो कोई अौर शादी करने के लिए राजी होगा । "
 
तब कृष्ण उनकी स्थिति को समझे, "उनकी स्थिति अनिश्चित है ।
 
हालांकि वे अाज़ाद थे, वे कहीं नहीं जा सकती थी ।"
 
तब श्री कृष्ण ... वे कितने दयालू हैं, भक्त-वत्सल ।
 
उन्होंने पुछा, "आप क्या चाहते हो ?"
 
वो ... उन्होने कहा कि "अाप मुझे स्वीकार करो । अन्यथा हमारे रहने का कोई अन्य साधन नहीं है ।"
 
कृष्ण तुरंत: "हाँ, ठीक है ।"
 
यह कृष्ण हैं ।
 
और उनकी सोलह हज़ार पत्नियॉ एक ही शिविर में केंद्रित नहीं थी ।
 
उन्होंने तुरंत सोलह हजार महलों का निर्माण किया ।
 
क्योंकि उन्होने पत्नी के रूप में स्वीकार है, उन्हे पत्नी के रूप में रखा जाना चाहिए,
 
उनकी रानी के रूप में, न कि "क्योंकि उनके पास कोई अन्य साधन नहीं है, वे मेरी शरण में आ गईं हैं ।
 
मैं उन्हें किसी भी तरह से रख सकता हूँ ।" नहीं ।
 
पुरे सम्मान से रानी के रूप में, कृष्ण की रानी के रूप में ।
 
और फिर उन्होंने सोचा कि "सोलह हजार पत्नियॉ ......
 
अगर मैं अकेला रहूँ तो, एक आकार मे, तो मेरी पत्नियों मुझे मिल नहीं सकतीं ।
 
सबको सोलह हज़ार दिन इन्तज़ार करना पडता अपने पती को देखने के लिए । नहीं ।"
 
उन्होने स्वयम् को सोलह हजार कृष्ण में विस्तार किया ।
 
यह हैं कृष्ण ।
 
यह धूर्त, वे कृष्ण पर महिला शिकारी का आरोप लगाते हैं ।
 
यह तुम्हारी तरह नहीं है । तुम एक भी पत्नी नहीं बनाए रख सकते हो
 
लेकिन उन्होंने सोलह हजार महलों में सोलह हज़ार पत्नियों को बनाए रखा
 
और वह भी सोलह हजार रूप के विस्तार में ।
 
हर कोई खुश था । यह कृष्ण हैं


हमे कृष्ण क्या हैं, यह समझना होगा ।
तो ये इतने दिनों या इतने सालों के लिए अपहरण कर ली गई थी, इसलिए उन्होने कृष्णसे प्रार्थना की, "हम अपने पिता द्वारा स्वीकार नहीं किये जाएँगे, न तो कोई अौर शादी करने के लिए राज़ी होगा ।" तब कृष्ण उनकी स्थितिको समझे, "उनकी स्थिति अनिश्चित है । हालांकि वे अाज़ाद थे, वे कहीं नहीं जा सकती थी ।" तब कृष्ण ... वे कितने दयालू हैं, भक्त-वत्सल । उन्होंने पुछा, "आप क्या चाहते हो ?" वो ... उन्होने कहा कि "अाप मुझे स्वीकार करो । अन्यथा हमारे रहने का कोई अन्य साधन नहीं है ।" कृष्ण तुरंत: "हाँ, ठीक है ।" यह कृष्ण हैं । और उनकी सोलह हज़ार पत्नियॉ एक ही शिविर में केंद्रित नहीं थी । उन्होंने तुरंत सोलह हजार महलों का निर्माण किया । क्योंकि उन्होने पत्नी के रूपमें स्वीकार किया है, उन्हे पत्नीके रूपमें रखा जाना चाहिए, उनकी रानी के रूपमें, न कि "क्योंकि उनके पास कोई अन्य साधन नहीं है, वे मेरी शरमें आ गईं हैं । मैं उन्हें किसी भी तरहसे रख सकता हूँ ।" नहीं । पुरे सम्मानसे रानीके रूपमें, कृष्णकी रानीके रूपमें । और फिर उन्होंने सोचा कि "सोलह हजार पत्नियॉ .... अगरमैं अकेला रहूँ तो, एक आकारमे, तो मेरी पत्निया मुझे मिल नहीं सकतीं । सबको सोलह हज़ार दिन इन्तज़ार करना पडता अपने पती को देखने के लिए । नहीं ।" उन्होने स्वयमको सोलह हज़ार कृष्णमें विस्तार किया । यह हैं कृष्ण । यह धूर्त, वे कृष्ण पर स्त्री-शिकारी होनेका आरोप लगाते हैं । यह तुम्हारी तरह नहीं है । तुम एक पत्नीका भी पालन नहीं कर सकते हो, लेकिन उन्होंने सोलह हजार महलोंमें सोलह हज़ार पत्नियोंका पालन किया और वह भी सोलह हजार रूपके विस्तारमें । हर कोई प्रसन्न था । यह कृष्ण हैं । हमे कृष्ण क्या हैं, यह समझना होगा । कृष्णकी नकल करनेकी कोशिश न करो । सबसे पहले कृष्णको समझनेकी कोशिश करो ।  


कृष्ण की नकल करने की कोशिश न करो । सबसे पहले कृष्ण को समझने की कोशिश करो ।
<!-- END TRANSLATED TEXT -->
<!-- END TRANSLATED TEXT -->

Latest revision as of 12:28, 5 October 2018



Lecture on SB 7.9.9 -- Mayapur, February 16, 1976

कृष्ण ... ये सोलह हजार पत्नियॉ, वे पत्नियॉ कैसे बनीं ? तुम्हें कहानी पता है, कि कई सुंदर, सोलह हजार सुंदर, मेरे कहनेका मतलब है, राजा की बेटियॉ असुर द्वारा अपहरण कर ली गई । उस असुरका नाम क्या है ? भौमासुर, नहीं ? हां । इसलिए उन्होंने कृष्णसे प्रार्थना की "हम पीड़ित हैं, इस बदमाशने हमारा अपहरण कर लिया है । हमारी रक्षा कीजिए ।" तो कृष्ण, उन्हें बचाने के लिए आए, और भौमासुर मारा गया और सभी लड़कियोंको मुक्त किया गया । लेकिन आजादीके बाद वे अब भी वहाँ खड़ी थीं । तो कृष्णने उनसे कहा "अब तुम अपने पिताके घर जा सकती हो ।" उन्होने कहा कि, "हमारा अपहरण कर लिया गया था, और अब हमारी शादी नहीं हो सकती ।" भारत में अभी भी यह नियम है । अगर एक लड़की, युवती, एक दिन या दो दिनके लिए घरसे बाहर चली जाती है, कोईभी उससे शादी नहीं करेगा । कोईभी उससे शादी नहीं करेगा । वह अशुद्ध मानी जाती है । यह अभीभी भारतीय प्रणाली है ।

तो ये इतने दिनों या इतने सालों के लिए अपहरण कर ली गई थी, इसलिए उन्होने कृष्णसे प्रार्थना की, "हम अपने पिता द्वारा स्वीकार नहीं किये जाएँगे, न तो कोई अौर शादी करने के लिए राज़ी होगा ।" तब कृष्ण उनकी स्थितिको समझे, "उनकी स्थिति अनिश्चित है । हालांकि वे अाज़ाद थे, वे कहीं नहीं जा सकती थी ।" तब कृष्ण ... वे कितने दयालू हैं, भक्त-वत्सल । उन्होंने पुछा, "आप क्या चाहते हो ?" वो ... उन्होने कहा कि "अाप मुझे स्वीकार करो । अन्यथा हमारे रहने का कोई अन्य साधन नहीं है ।" कृष्ण तुरंत: "हाँ, ठीक है ।" यह कृष्ण हैं । और उनकी सोलह हज़ार पत्नियॉ एक ही शिविर में केंद्रित नहीं थी । उन्होंने तुरंत सोलह हजार महलों का निर्माण किया । क्योंकि उन्होने पत्नी के रूपमें स्वीकार किया है, उन्हे पत्नीके रूपमें रखा जाना चाहिए, उनकी रानी के रूपमें, न कि "क्योंकि उनके पास कोई अन्य साधन नहीं है, वे मेरी शरमें आ गईं हैं । मैं उन्हें किसी भी तरहसे रख सकता हूँ ।" नहीं । पुरे सम्मानसे रानीके रूपमें, कृष्णकी रानीके रूपमें । और फिर उन्होंने सोचा कि "सोलह हजार पत्नियॉ .... अगरमैं अकेला रहूँ तो, एक आकारमे, तो मेरी पत्निया मुझे मिल नहीं सकतीं । सबको सोलह हज़ार दिन इन्तज़ार करना पडता अपने पती को देखने के लिए । नहीं ।" उन्होने स्वयमको सोलह हज़ार कृष्णमें विस्तार किया । यह हैं कृष्ण । यह धूर्त, वे कृष्ण पर स्त्री-शिकारी होनेका आरोप लगाते हैं । यह तुम्हारी तरह नहीं है । तुम एक पत्नीका भी पालन नहीं कर सकते हो, लेकिन उन्होंने सोलह हजार महलोंमें सोलह हज़ार पत्नियोंका पालन किया और वह भी सोलह हजार रूपके विस्तारमें । हर कोई प्रसन्न था । यह कृष्ण हैं । हमे कृष्ण क्या हैं, यह समझना होगा । कृष्णकी नकल करनेकी कोशिश न करो । सबसे पहले कृष्णको समझनेकी कोशिश करो ।