HI/Prabhupada 0017 - परा शक्ति और अपरा शक्ति: Difference between revisions

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तो दो शक्तियॉ इस भौतिक दुनिया में काम कर रही हैं: आध्यात्मिक शक्ति और भौतिक शक्ति । भौतिक शक्ति का मतलब है यह आठ प्रकार के भौतिक तत्व । भूमिर अापो अनलो वायु: (भ गी ७।४) पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, मन, बुद्धि और अहंकार । यह सभी भौतिक हैं । और इसी प्रकार, महीन, महीन, महीन, महीन, और स्थूल, स्थूल ,स्थूल । पानी पृथ्वी की तुलना में महीन है, उसी तरह फिर आग पानी की तुलना में महीन है, फिर हवा आग की तुलना में महीन है, आसमान या आकाश, हवा की तुलना में महीन है । इसी तरह, बुद्धि आकाश की तुलना में महीन है, या मन आकाश की तुलना में महीन है । मन ... पता है, मैंने कई बार उदाहरण दिया है : मन की गति । कई हजारों मील तुम जा सकते हो एक क्षण में । तो जितना महीन, उतना शक्तिशाली । इसी तरह, अंत में, तुम जब आध्यात्मिक भाग पर अाते हो, महीन, जिससे सब कुछ उत्पन्न होता है, ओह, वह बहुत शक्तिशाली है । यही आध्यात्मिक शक्ति है । यह भगवद गीता में बताया गया है । वह आध्यात्मिक शक्ति क्या है ? कि वह आध्यात्मिक शक्ति जीव है । अपरेयम इतस् तु विधि मे प्रक्रतिं परा (भ गी ७।५) कृष्ण कहते हैं "ये भौतिक शक्तियां हैं । इस के अलावा एक और आध्यात्मिक शक्ति है ।" अपरेयम् । अपरा मतलब हीन । अपरेयम् । "ये सभी वर्णित भौतिक तत्व, वे अपरा शक्ति हैं । और इस के परे एक परा शक्ति है, मेरे प्यारे अर्जुन । " वह क्या है ? जीव-भूत महा बाहो: ""ये जीव।" वह भी शक्तियॉ हैं । हम जीव, हम भी श्कति हैं, लेकिन परा शक्ति । कैसे परा ? क्योंकि ययेदं धार्यते जगत् (भ गी ७।५) । पर शक्ति अपरा शक्ति को नियंत्रित करती है । पदार्थ की कोइ शक्ति नहीं है । बड़ा हवाई जहाज, अच्छा मशीन, भौतिक चीज़ों से बना आकाश में उड़ रहा है । लेकिन जब तक आध्यात्मिक शक्ति नहीं, पायलट, यह बेकार है । यह बेकार है । हज़ारों साल जेट विमान हवाई अड्डे पर खड़े रहेंगे; यह उड़ान नहीं भरेगी जब तक छोटा कण आध्यात्मिक शक्ति, वह पायलट, आता है और उसे छूए । तो भगवान को समझने में कठिनाई क्या है ? तो साफ बात यह है कि अगर यह विशाल मशीन .. इतनी सारे भारी मशीनरी हैं, वे आध्यात्मिक शक्ति के स्पर्श के बिना नहीं चल सकती हैं, एक इंसान या एक जीव । तुम कैसे उम्मीद कर सकते हो यह पूरी भौतिक शक्ति स्वचालित रूप से काम कर रही है या बिना किसी भी नियंत्रण के ? तुम एसा तर्क केसे दे सकते हो ? यह संभव नहीं है । इसलिए कम बुद्धिमान वर्ग के पुरुष , वे समझ नहीं सकते हैं कि कैसे यह भौतिक शक्ति परमेश्वर भगवान द्वारा नियंत्रित की जा रही है ।
तो दो शक्तियॉ इस भौतिक दुनिया में काम कर रही हैं: परा शक्ति और अपरा शक्ति । अपरा शक्ति का अर्थ है यह आठ प्रकार के भौतिक तत्व । भूमिर अापो अनलो वायु: ([[HI/BG 7.4|भ गी ७.४]]) पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, मन, बुद्धि और अहंकार । ये सब भौतिक है. और इसी प्रकार सूक्ष्म, सूक्ष्म, सूक्ष्म, सूक्ष्म, और, स्थूल, स्थूल, स्थूल, स्थूल । पानी पृथ्वी की तुलना में सूक्ष्म है, उसी तरह फिर आग पानी की तुलना में सूक्ष्म है, फिर हवा आग की तुलना में सूक्ष्म है, आसमान या आकाश, हवा की तुलना में सूक्ष्म है । इसी तरह, बुद्धि आकाश की तुलना में सूक्ष्म है, या मन आकाश की तुलना में सूक्ष्म है । मन... तुम्हे पता है, मैंने कई बार उदाहरण दिया है: मन की गति । कई हजारों मील तुम जा सकते हो एक क्षण में । तो जितना सूक्ष्म, उतना शक्तिशाली । इसी तरह, अंत में, तुम जब आध्यात्मिक भाग पर अाते हो, सूक्ष्म, जिससे सब कुछ उत्पन्न होता है, ओह, वह बहुत शक्तिशाली है । यही परा शक्ति है । यह भगवद्- गीता में बताया गया है । वह परा शक्ति क्या है ? वह परा शक्ति जीव है । अपरेयम इतस् तु विद्धि मे प्रक्रतिं परा ([[HI/BG 7.5|भ गी ७.५]])
 
कृष्ण कहते हैं "ये अपरा शक्तियां हैं । इसके अलावा एक और है, परा शक्ति ।" अपरेयम् । अपरा मतलब निम्न । अपरेयम् । "ये सभी वर्णित भौतिक तत्व, वे अपरा शक्ति हैं । और इस के परे एक परा शक्ति है, मेरे प्रिय अर्जुन । " वह क्या है ? जीव-भूत महा बाहो: ([[HI/BG 7.5|भ गी ७.५]]) "ये जीव ।" वह भी शक्ति हैं । हम जीव, हम भी शक्ति हैं, लेकिन परा शक्ति । कैसे परा ? क्योंकि ययेदं धार्यते जगत् ([[HI/BG 7.5|भ गी ७.५]]) । परा शक्ति अपरा शक्ति को नियंत्रित करती है । पदार्थ की कोई शक्ति नहीं है । बड़ा हवाई जहाज, अच्छा मशीन, भौतिक चीज़ों से बना आकाश में उड़ रहा है । लेकिन जब तक आध्यात्मिक शक्ति न हो, पायलट, यह बेकार है । यह बेकार है । हज़ारों साल जेट विमान हवाई अड्डे पर खड़ी रहेगी; यह उड़ान नहीं भरेगी जब तक छोटा कण आध्यात्मिक शक्ति, वह पायलट, आता है और उसे छूए ।
 
तो भगवान को समझने में कठिनाई क्या है ? तो साफ बात यह है कि अगर यह विशाल मशीन .. इतनी सारे भारी मशीनरी हैं, वे आध्यात्मिक शक्ति के स्पर्श के बिना नहीं चल सकती हैं, एक इंसान या एक जीव । तुम कैसे उम्मीद कर सकते हो यह पूरी भौतिक प्रकृति स्वचालित रूप से काम कर रही है या बिना किसी भी नियंत्रण के ? तुम एसा तर्क कैसे दे सकते हो ? यह संभव नहीं है । इसलिए कम बुद्धिमान वर्ग के पुरुष , वे समझ नहीं सकते हैं कि कैसे यह भौतिक शक्ति परमेश्वर भगवान द्वारा नियंत्रित की जा रही है ।  
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Latest revision as of 17:59, 17 September 2020



Lecture on Sri Isopanisad, Mantra 1 -- Los Angeles, May 2, 1970

तो दो शक्तियॉ इस भौतिक दुनिया में काम कर रही हैं: परा शक्ति और अपरा शक्ति । अपरा शक्ति का अर्थ है यह आठ प्रकार के भौतिक तत्व । भूमिर अापो अनलो वायु: (भ गी ७.४) पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, मन, बुद्धि और अहंकार । ये सब भौतिक है. और इसी प्रकार सूक्ष्म, सूक्ष्म, सूक्ष्म, सूक्ष्म, और, स्थूल, स्थूल, स्थूल, स्थूल । पानी पृथ्वी की तुलना में सूक्ष्म है, उसी तरह फिर आग पानी की तुलना में सूक्ष्म है, फिर हवा आग की तुलना में सूक्ष्म है, आसमान या आकाश, हवा की तुलना में सूक्ष्म है । इसी तरह, बुद्धि आकाश की तुलना में सूक्ष्म है, या मन आकाश की तुलना में सूक्ष्म है । मन... तुम्हे पता है, मैंने कई बार उदाहरण दिया है: मन की गति । कई हजारों मील तुम जा सकते हो एक क्षण में । तो जितना सूक्ष्म, उतना शक्तिशाली । इसी तरह, अंत में, तुम जब आध्यात्मिक भाग पर अाते हो, सूक्ष्म, जिससे सब कुछ उत्पन्न होता है, ओह, वह बहुत शक्तिशाली है । यही परा शक्ति है । यह भगवद्- गीता में बताया गया है । वह परा शक्ति क्या है ? वह परा शक्ति जीव है । अपरेयम इतस् तु विद्धि मे प्रक्रतिं परा (भ गी ७.५) ।

कृष्ण कहते हैं "ये अपरा शक्तियां हैं । इसके अलावा एक और है, परा शक्ति ।" अपरेयम् । अपरा मतलब निम्न । अपरेयम् । "ये सभी वर्णित भौतिक तत्व, वे अपरा शक्ति हैं । और इस के परे एक परा शक्ति है, मेरे प्रिय अर्जुन । " वह क्या है ? जीव-भूत महा बाहो: (भ गी ७.५) "ये जीव ।" वह भी शक्ति हैं । हम जीव, हम भी शक्ति हैं, लेकिन परा शक्ति । कैसे परा ? क्योंकि ययेदं धार्यते जगत् (भ गी ७.५) । परा शक्ति अपरा शक्ति को नियंत्रित करती है । पदार्थ की कोई शक्ति नहीं है । बड़ा हवाई जहाज, अच्छा मशीन, भौतिक चीज़ों से बना आकाश में उड़ रहा है । लेकिन जब तक आध्यात्मिक शक्ति न हो, पायलट, यह बेकार है । यह बेकार है । हज़ारों साल जेट विमान हवाई अड्डे पर खड़ी रहेगी; यह उड़ान नहीं भरेगी जब तक छोटा कण आध्यात्मिक शक्ति, वह पायलट, आता है और उसे छूए ।

तो भगवान को समझने में कठिनाई क्या है ? तो साफ बात यह है कि अगर यह विशाल मशीन .. इतनी सारे भारी मशीनरी हैं, वे आध्यात्मिक शक्ति के स्पर्श के बिना नहीं चल सकती हैं, एक इंसान या एक जीव । तुम कैसे उम्मीद कर सकते हो यह पूरी भौतिक प्रकृति स्वचालित रूप से काम कर रही है या बिना किसी भी नियंत्रण के ? तुम एसा तर्क कैसे दे सकते हो ? यह संभव नहीं है । इसलिए कम बुद्धिमान वर्ग के पुरुष , वे समझ नहीं सकते हैं कि कैसे यह भौतिक शक्ति परमेश्वर भगवान द्वारा नियंत्रित की जा रही है ।