HI/Prabhupada 0429 - कृष्ण भगवान का नाम है । कृष्ण का मतलब है पूर्ण आकर्षक: Difference between revisions

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इसलिए हमारी वर्तमान स्थिति है कि यह पूरी सभ्यता चल रही है, इस गलत धारणा के तहत कि हर कोई शरीर है । यह तथ्य नहीं है । इसलिए, यह कृष्ण कीर्तन, यह हरे कृष्ण आंदोलन, इसका एक विशेष प्रभाव है । यह है ... मत सोचो कि यह हरे कृष्ण आंदोलन साधारण ध्वनि कंपन है । यह आध्यात्मिक कंपन है । यह महा मंत्र कहा जाता है । महा मंत्र । जैसे ... मुझे पता नहीं है कि क्या यहाँ अापके देश में संपेरे हैं ।. भारत में अभी भी कई संपेरे हैं, मैं माफी चाहता हूँ । तो वे कुछ मंत्र जपते हैं, और एक आदमी, सर्प से काटा हुअा, उसकी चेतना को पुनर्जीवित किया जा सकता है । यहां कोई भी भारतीय मौजूद हैं, वे जानते हैं । अभी भी । विशेष रूप से मैंने पंजाब में देखा है, कई सपेरे हैं जो जानते हैं कि कैसे मंत्र जाप करना चाहिए । तो अगर यह शारीरिक रूप से संभव है कि एक मरा हुअा आदमी ... बेशक, एक आदमी एक सांप से काटा हुअा वह मरा नहीं है । वह बेहोश हो जाता है । वह मरा नहीं है । लेकिन इस मंत्र के जप से, वह अपनी चेतना में आता है । तो इसलिए, यह भारत में व्यवस्था है, कि एक आदमी सांप से काटा गया हो, वह जला नहीं है, या वह मृत शरीर के रूप में नहीं लिया जाता है । उसे किसी जीवनरक्षक नौका में तैराया जाता है और पानी दिया जाता है । अगर उसे मौका मिलता है तो वह चेतना में फिर से आ सकता है । तो इसी तरह, हम वर्तमान समय में, हमारे अज्ञान के कारण, हम सो रहे हैं । हम सो रहे हैं । इसलिए, हमें जगाने के लिए, यह मंत्र, महा मंत्र, आवश्यक है । जगाने के लिए । चेतो-दर्पण-मार्जनम ([[Vanisource:CC Antya 20.12|चै च अन्त्य २०।१२]]) । जैसे इन लड़कों की तरह, यह यूरोपीय लड़के और लड़कियॉ मेरे साथ हैं ... मेरे पास हैं , तीन, चार हजार शिष्यों से ज्यादा हैं । वे हरे कृष्ण जप कर रहे हैं । और सनकी तरह से जप नहीं कर रहे हैं । वे पूरी तरह आश्वस्त हैं । अगर तुम उन लोगों के साथ बात करोगे, वे बहुत अच्छी तरह से बात करेंगे तत्वज्ञान पर । एक समझदार आदमी के रूप में, समझदारी से । तो कैसे वे यह कर रहे हैं? चार साल पहले, वे कृष्ण का नाम तक नहीं जानते थे । शायद अंग्रेजी शब्दकोश में कृष्ण का नाम देखा होगा "एक हिंदू भगवान" । लेकिन वास्तव में, यह तथ्य नहीं है । कृष्ण भगवान का नाम है । कृष्ण का मतलब है पूर्ण-आकर्षक, पूर्ण- कल्याणकारी । पूर्ण-आकर्षक का मतलब है वह अच्छे ही होगें, अन्यथा, वह आकर्षक कैसे हो सकते हैं? बुरा, जो बुरा हो, वह आकर्षक नहीं हो सकते हैं । इसलिए कृष्ण, यह शब्द, का मतलब है पूर्ण-आकर्षक । उनमे सभी अच्छे गुण हैं, सभी एैश्रवर्य ताकि वह आकर्षक हों । यही सही विवरण है, या भगवान की सही नामकरण है । अगर भगवान का कोई भी नाम है, विशेष रूप से , परिपूर्ण , तो वह शब्द कृष्ण है । यह एक संस्कृत शब्द है, लेकिन यह बतता है ... श्री कृष्ण का मतलब है । शास्त्र में यह कहा जाता है, ईष्वर: परम: कृष्ण: ( ब्र स ५।१) ईष्वर: का मतलब है सर्वोच्च नियंत्रक, और परम:, परम । ईष्वर: परम: कृष्ण: (ब्र स ५।१) । यही वैदिक साहित्य का निर्देश है । तो हमारा यह कृष्ण चेतना आंदोलन एक सांप्रदायिक धार्मिक आंदोलन नहीं है । यह एक वैज्ञानिक दार्शनिक आंदोलन है । यह समझने की कोशिश करो । लेकिन यह प्रक्रिया बहुत सरल है । प्रक्रिया है इस जप से हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे / हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे । हम जादूगर नहीं हैं, लेकिन हम अपने छात्रों से कहते हैं, "बस तुम इस दिव्य कंपन का जाप करो," और वह धीरे - धीरे शुद्ध हो जाता है दिल के भीतर सभी गंदी बातों से । यह हमारी प्रक्रिया है । चैतन्य महाप्रभु ने व्याख्या की है, उन्होंने हमें शिक्षा दी है, चेतो दर्पणम्-मार्जनम ([[Vanisource:CC Antya 20.12|चै च अन्त्य २०।१२]])
इसलिए हमारी वर्तमान स्थिति है कि यह पूरी सभ्यता चल रही है, इस गलत धारणा के तहत कि हर कोई शरीर है । यह तथ्य नहीं है । इसलिए, यह कृष्ण कीर्तन, यह हरे कृष्ण आंदोलन, इसका एक विशेष प्रभाव है । यह है... मत सोचो कि यह हरे कृष्ण आंदोलन साधारण ध्वनि कंपन है । यह आध्यात्मिक कंपन है । यह महा मंत्र कहा जाता है । महा मंत्र । जैसे ... मुझे पता नहीं है कि क्या यहाँ अापके देश में संपेरे हैं ।. भारत में अभी भी कई संपेरे हैं । तो वे कुछ मंत्र जपते हैं, और एक आदमी, सर्प से काटा हुअा, उसकी चेतना को पुनर्जीवित किया जा सकता है । यहां कोई भी भारतीय मौजूद हैं, वे जानते हैं । अभी भी । विशेष रूप से मैंने पंजाब में देखा है, कई सपेरे हैं, जो जानते हैं कि कैसे मंत्र जप करना चाहिए ।  


इस भौथिक दुनिया में हमारी सारी परेशानी गलतफहमी की वजह से है । पहली गलतफहमी है कि "मैं यह शरीर हूँ ।" और वास्तव में, हम में से हर एक, हम इस मंच पर खड़े हैं, जीवन की शारीरिक अवधारणा । अौर क्योंकि बुनियादी नींव गलत है, इसलिए जो कुछ भी हम पैदा कर रहे हैं जो हम समझ रहे हैं , वे सब गलत है । क्योंकि बुनियादी मंच गलत है । तो सब से पहले तो हमें यह गलत विचार को खदेड़ना होगा कि मैं यह शरीर हूँ ।" इसे कहा जाता है चेतो दर्पण मारजनम ([[Vanisource:CC Antya 20.12|चै च अन्त्य २०।१२]]), दिल कि सफाई, मैं सोच रहा हूँ कि "मैं यह शरीर हूँ," लेकिन वास्तव में एसा नहीं है । तो हमें इस गलत धारणा को साफ करना होगा, और यह बहुत आसानी से किया जाता सकता है, बस इस हरे कृष्ण महा मंत्र जप से । यह व्यावहारिक है । तो हमारा अनुरोध है, कि आप में से हर एक अगर आप कृपया हमारी शिक्षा लें हरे कृष्ण महा मंत्र का जाप करने के लिए । अाप कुछ भी नहीं खो रहे हो । लेकिन लाभ बहुत ज्यादा है । हम आपसे कुछ भी चार्ज नहीं कर रहे हैं । दूसरों की तरह, वह कुछ मंत्र देते हैं तो वे चार्ज करेंगे । लेकिन हम नि: शुल्क वितरण कर रहे हैं । प्रत्येक व्यक्ति ले सकता है । यहां तक ​​कि बच्चों, वे भी ले सकते हैं । हमारे समाज में कई बच्चे भी शामिल हैं । वे मंत्र जपते हैं और नृत्य करते हैं । किसी भी शिक्षा की आवश्यकता नहीं है । कोई पैसे की आवश्यकता नहीं है । बस आप मंत्र जपो ... क्यों आप जप करने का प्रयोग नहीं करके देखते ? यह हमारा अनुरोध है । हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे / हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे । किसी को आपत्ति हो सकती है "क्यों मैं मंत्र जपूँ अापके हिंदू कृष्ण का नाम?" इसलिए हम नहीं कहते हैं कि कृष्ण, या भगवान ... भगवान के कई नाम हैं । यह हम स्वीकार करते हैं । यह नहीं है ... भगवान असीमित हैं । इसलिए, उनके असीमित नाम होने चाहिए । लेकिन यह कृष्ण शब्द बहुत सही है क्योंकि इसका मतलब है पूर्ण-आकर्षक । आप चर्चा कर सकते हो, "ईश्वर महान है । " कोई बात नहीं । कैसे वह महान हैं? यह एक और समझ है । तो अगर आपको लगता है कि "कृष्ण हिंदू भगवान का नाम है क्यों मैं इसको जपूँ ?" तो चैतन्य महाप्रभु कहते हैं, "नहीं" अगर आपके पास एक नाम है, भगवान का एक और विकल्प नाम, अाप उसका जाप कर सकते हो । हमारा यही अनुरोध है कि आप भगवान के पवित्र नाम का जाप करो । अगर अापके पास भगवान का कोई भी नाम है, तो आप जाप करो । आप शुद्ध हो जाअोगे । यही हमारा प्रचार है ।
तो अगर यह शारीरिक रूप से संभव है कि एक मरा हुअा आदमी... बेशक, एक आदमी एक सांप से काटा हुअा वह मरा नहीं है । वह बेहोश हो जाता है । वह मरा नहीं है । लेकिन इस मंत्र के जप से, वह अपनी चेतना में आता है । तो इसलिए, यह भारत में व्यवस्था है, कि एक आदमी सांप से काटा गया हो, उसको जलाते नहीं है, या वह मृत शरीर के रूप में नहीं लिया जाता है । उसे किसी जीवनरक्षक नौका में तैराया जाता है और पानी दिया जाता है । अगर उसे मौका मिलता है तो वह चेतना में फिर से आ सकता है । तो इसी तरह, हम वर्तमान समय में, हमारे अज्ञान के कारण, हम सो रहे हैं । हम सो रहे हैं । इसलिए, हमें जगाने के लिए, यह मंत्र, महा मंत्र, आवश्यक है । जगाने के लिए । चेतो-दर्पण-मार्जनम ([[Vanisource:CC Antya 20.12|चैतन्य चरितामृत अन्त्य २०.१२]]) ।
 
जैसे इन लड़कों की तरह, यह यूरोपीयन लड़के और लड़कियॉ मेरे साथ हैं... मेरे पास, तीन, चार हजार शिष्यों से ज्यादा हैं । वे हरे कृष्ण जप कर रहे हैं । और सनकी तरह से जप नहीं कर रहे हैं । वे पूरी तरह आश्वस्त हैं । अगर तुम उन लोगों के साथ बात करोगे, वे बहुत अच्छी तरह से बात करेंगे तत्वज्ञान पर । एक समझदार आदमी के रूप में, समझदारी से । तो कैसे वे यह कर रहे हैं? चार साल पहले, वे कृष्ण का नाम तक नहीं जानते थे । शायद अंग्रेजी शब्दकोश में कृष्ण का नाम देखा होगा, "एक हिंदू भगवान" । लेकिन वास्तव में, यह तथ्य नहीं है । कृष्ण भगवान का नाम है । कृष्ण का मतलब है पूर्ण-आकर्षक, पूर्ण-कल्याणकारी । पूर्ण-आकर्षक का मतलब है वह अच्छे ही होने चाहिए, अन्यथा, वह आकर्षक कैसे हो सकते हैं? बुरा, जो बुरा हो, वो आकर्षक नहीं हो सकता । इसलिए कृष्ण, यह शब्द, का मतलब है पूर्ण-आकर्षक । उनमे सभी अच्छे गुण हैं, सभी ऐश्वर्य ताकि वह आकर्षक हों । यही सही विवरण है, या भगवान का सही नामकरण है ।
 
अगर भगवान का कोई भी नाम है, विशेष रूप से, परिपूर्ण, तो वह शब्द कृष्ण है । यह एक संस्कृत शब्द है, लेकिन यह बताता है ... श्री कृष्ण का मतलब है भगवान । शास्त्र में यह कहा जाता है, ईश्वर: परम: कृष्ण: (ब्रह्मसंहिता ५.१) | ईश्वर: का मतलब है सर्वोच्च नियंत्रक, और परम:, परम । ईश्वर: परम: कृष्ण: (ब्रह्मसंहिता ५.१) । यही वैदिक साहित्य का निर्देश है । तो हमारा यह कृष्ण भावनामृत आंदोलन एक सांप्रदायिक धार्मिक आंदोलन नहीं है । यह एक वैज्ञानिक दार्शनिक आंदोलन है । यह समझने की कोशिश करो । लेकिन यह प्रक्रिया बहुत सरल है । प्रक्रिया है इस जप से हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे / हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे । हम जादूगर नहीं हैं, लेकिन हम अपने छात्रों से कहते हैं, "बस तुम इस दिव्य कंपन का जप करो," और वह धीरे-धीरे ह्रदय के भीतर की सभी गंदी बातों से शुद्ध हो जाता है । यह हमारी प्रक्रिया है । चैतन्य महाप्रभु ने समझाया है, उन्होंने हमें शिक्षा दी है, चेतो दर्पण-मार्जनम ([[Vanisource:CC Antya 20.12|चैतन्य चरितामृत अन्त्य २०.१२]]) |
 
इस भौतिक दुनिया में हमारी सारी परेशानी गलतफहमी की वजह से है । पहली गलतफहमी है कि "मैं यह शरीर हूँ ।" और वास्तव में, हम में से हर एक, हम इस मंच पर खड़े हैं, जीवन की शारीरिक अवधारणा । अौर क्योंकि बुनियादी नींव गलत है, इसलिए जो कुछ भी हम पैदा कर रहे हैं जो हम समझ रहे हैं, वे सब गलत है । क्योंकि बुनियादी मंच गलत है । तो सब से पहले तो हमें यह गलत विचार को दूर करना होगा कि मैं यह शरीर हूँ ।" इसे कहा जाता है चेतो दर्पण मार्जनम ([[Vanisource:CC Antya 20.12|चैतन्य चरितामृत अन्त्य २०.१२]]), हृदय कि सफाई | मैं सोच रहा हूँ कि "मैं यह शरीर हूँ," लेकिन वास्तव में एसा नहीं है ।  
 
तो हमें इस गलत धारणा को साफ करना होगा, और यह बहुत आसानी से किया जा सकता है, बस इस हरे कृष्ण महा मंत्र जप से । यह व्यावहारिक है । तो हमारा अनुरोध है, कि आप में से हर एक, अगर आप कृपया हरे कृष्ण महा मंत्र का जाप करने की हमारी शिक्षा लें । अाप कुछ भी नहीं खो रहे हो । लेकिन लाभ बहुत ज्यादा है । हम आपसे कुछ भी मूल्य नहीं ले रहे हैं । दूसरों की तरह, वह कुछ मंत्र देते हैं तो वे मूल्य लेंगे । लेकिन हम नि: शुल्क वितरण कर रहे हैं । प्रत्येक व्यक्ति ले सकता है । यहां तक ​​कि बच्चे, वे भी ले सकते हैं । हमारे समाज में कई बच्चे भी शामिल हैं । वे मंत्र जपते हैं और नृत्य करते हैं । किसी भी शिक्षा की आवश्यकता नहीं है । कोई पैसे की आवश्यकता नहीं है । बस आप मंत्र जपो... क्यों आप जप करने का प्रयोग नहीं करके देखते ? यह हमारा अनुरोध है ।  
 
हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे / हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे । किसी को आपत्ति हो सकती है "क्यों मैं मंत्र जपूँ अापके हिंदू कृष्ण का नाम?" इसलिए हम नहीं कहते हैं कि कृष्ण, या भगवान ... भगवान के कई नाम हैं । यह हम स्वीकार करते हैं । यह नहीं है ... भगवान असीमित हैं । इसलिए, उनके असीमित नाम होने चाहिए । लेकिन यह कृष्ण शब्द बहुत सही है क्योंकि इसका मतलब है सर्व-आकर्षक । आप चर्चा कर सकते हो, "ईश्वर महान है ।" वो ठीक है । कैसे वह महान हैं? यह एक और समझ है । तो अगर आपको लगता है कि "कृष्ण हिंदू भगवान का नाम है क्यों मैं इसको जपूँ ?" तो चैतन्य महाप्रभु कहते हैं, "नहीं | " अगर आपके पास एक नाम है, भगवान का एक और विकल्प नाम, अाप उसका जप कर सकते हो । हमारा यही अनुरोध है कि आप भगवान के पवित्र नाम का जप करो । अगर अापके पास भगवान का कोई भी नाम है, तो आप जप करो । आप शुद्ध हो जाअोगे । यही हमारा प्रचार है ।  
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Latest revision as of 17:39, 1 October 2020



Lecture on BG 2.11 -- Edinburgh, July 16, 1972

इसलिए हमारी वर्तमान स्थिति है कि यह पूरी सभ्यता चल रही है, इस गलत धारणा के तहत कि हर कोई शरीर है । यह तथ्य नहीं है । इसलिए, यह कृष्ण कीर्तन, यह हरे कृष्ण आंदोलन, इसका एक विशेष प्रभाव है । यह है... मत सोचो कि यह हरे कृष्ण आंदोलन साधारण ध्वनि कंपन है । यह आध्यात्मिक कंपन है । यह महा मंत्र कहा जाता है । महा मंत्र । जैसे ... मुझे पता नहीं है कि क्या यहाँ अापके देश में संपेरे हैं ।. भारत में अभी भी कई संपेरे हैं । तो वे कुछ मंत्र जपते हैं, और एक आदमी, सर्प से काटा हुअा, उसकी चेतना को पुनर्जीवित किया जा सकता है । यहां कोई भी भारतीय मौजूद हैं, वे जानते हैं । अभी भी । विशेष रूप से मैंने पंजाब में देखा है, कई सपेरे हैं, जो जानते हैं कि कैसे मंत्र जप करना चाहिए ।

तो अगर यह शारीरिक रूप से संभव है कि एक मरा हुअा आदमी... बेशक, एक आदमी एक सांप से काटा हुअा वह मरा नहीं है । वह बेहोश हो जाता है । वह मरा नहीं है । लेकिन इस मंत्र के जप से, वह अपनी चेतना में आता है । तो इसलिए, यह भारत में व्यवस्था है, कि एक आदमी सांप से काटा गया हो, उसको जलाते नहीं है, या वह मृत शरीर के रूप में नहीं लिया जाता है । उसे किसी जीवनरक्षक नौका में तैराया जाता है और पानी दिया जाता है । अगर उसे मौका मिलता है तो वह चेतना में फिर से आ सकता है । तो इसी तरह, हम वर्तमान समय में, हमारे अज्ञान के कारण, हम सो रहे हैं । हम सो रहे हैं । इसलिए, हमें जगाने के लिए, यह मंत्र, महा मंत्र, आवश्यक है । जगाने के लिए । चेतो-दर्पण-मार्जनम (चैतन्य चरितामृत अन्त्य २०.१२) ।

जैसे इन लड़कों की तरह, यह यूरोपीयन लड़के और लड़कियॉ मेरे साथ हैं... मेरे पास, तीन, चार हजार शिष्यों से ज्यादा हैं । वे हरे कृष्ण जप कर रहे हैं । और सनकी तरह से जप नहीं कर रहे हैं । वे पूरी तरह आश्वस्त हैं । अगर तुम उन लोगों के साथ बात करोगे, वे बहुत अच्छी तरह से बात करेंगे तत्वज्ञान पर । एक समझदार आदमी के रूप में, समझदारी से । तो कैसे वे यह कर रहे हैं? चार साल पहले, वे कृष्ण का नाम तक नहीं जानते थे । शायद अंग्रेजी शब्दकोश में कृष्ण का नाम देखा होगा, "एक हिंदू भगवान" । लेकिन वास्तव में, यह तथ्य नहीं है । कृष्ण भगवान का नाम है । कृष्ण का मतलब है पूर्ण-आकर्षक, पूर्ण-कल्याणकारी । पूर्ण-आकर्षक का मतलब है वह अच्छे ही होने चाहिए, अन्यथा, वह आकर्षक कैसे हो सकते हैं? बुरा, जो बुरा हो, वो आकर्षक नहीं हो सकता । इसलिए कृष्ण, यह शब्द, का मतलब है पूर्ण-आकर्षक । उनमे सभी अच्छे गुण हैं, सभी ऐश्वर्य ताकि वह आकर्षक हों । यही सही विवरण है, या भगवान का सही नामकरण है ।

अगर भगवान का कोई भी नाम है, विशेष रूप से, परिपूर्ण, तो वह शब्द कृष्ण है । यह एक संस्कृत शब्द है, लेकिन यह बताता है ... श्री कृष्ण का मतलब है भगवान । शास्त्र में यह कहा जाता है, ईश्वर: परम: कृष्ण: (ब्रह्मसंहिता ५.१) | ईश्वर: का मतलब है सर्वोच्च नियंत्रक, और परम:, परम । ईश्वर: परम: कृष्ण: (ब्रह्मसंहिता ५.१) । यही वैदिक साहित्य का निर्देश है । तो हमारा यह कृष्ण भावनामृत आंदोलन एक सांप्रदायिक धार्मिक आंदोलन नहीं है । यह एक वैज्ञानिक दार्शनिक आंदोलन है । यह समझने की कोशिश करो । लेकिन यह प्रक्रिया बहुत सरल है । प्रक्रिया है इस जप से हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे / हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे । हम जादूगर नहीं हैं, लेकिन हम अपने छात्रों से कहते हैं, "बस तुम इस दिव्य कंपन का जप करो," और वह धीरे-धीरे ह्रदय के भीतर की सभी गंदी बातों से शुद्ध हो जाता है । यह हमारी प्रक्रिया है । चैतन्य महाप्रभु ने समझाया है, उन्होंने हमें शिक्षा दी है, चेतो दर्पण-मार्जनम (चैतन्य चरितामृत अन्त्य २०.१२) |

इस भौतिक दुनिया में हमारी सारी परेशानी गलतफहमी की वजह से है । पहली गलतफहमी है कि "मैं यह शरीर हूँ ।" और वास्तव में, हम में से हर एक, हम इस मंच पर खड़े हैं, जीवन की शारीरिक अवधारणा । अौर क्योंकि बुनियादी नींव गलत है, इसलिए जो कुछ भी हम पैदा कर रहे हैं जो हम समझ रहे हैं, वे सब गलत है । क्योंकि बुनियादी मंच गलत है । तो सब से पहले तो हमें यह गलत विचार को दूर करना होगा कि मैं यह शरीर हूँ ।" इसे कहा जाता है चेतो दर्पण मार्जनम (चैतन्य चरितामृत अन्त्य २०.१२), हृदय कि सफाई | मैं सोच रहा हूँ कि "मैं यह शरीर हूँ," लेकिन वास्तव में एसा नहीं है ।

तो हमें इस गलत धारणा को साफ करना होगा, और यह बहुत आसानी से किया जा सकता है, बस इस हरे कृष्ण महा मंत्र जप से । यह व्यावहारिक है । तो हमारा अनुरोध है, कि आप में से हर एक, अगर आप कृपया हरे कृष्ण महा मंत्र का जाप करने की हमारी शिक्षा लें । अाप कुछ भी नहीं खो रहे हो । लेकिन लाभ बहुत ज्यादा है । हम आपसे कुछ भी मूल्य नहीं ले रहे हैं । दूसरों की तरह, वह कुछ मंत्र देते हैं तो वे मूल्य लेंगे । लेकिन हम नि: शुल्क वितरण कर रहे हैं । प्रत्येक व्यक्ति ले सकता है । यहां तक ​​कि बच्चे, वे भी ले सकते हैं । हमारे समाज में कई बच्चे भी शामिल हैं । वे मंत्र जपते हैं और नृत्य करते हैं । किसी भी शिक्षा की आवश्यकता नहीं है । कोई पैसे की आवश्यकता नहीं है । बस आप मंत्र जपो... क्यों आप जप करने का प्रयोग नहीं करके देखते ? यह हमारा अनुरोध है ।

हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे / हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे । किसी को आपत्ति हो सकती है "क्यों मैं मंत्र जपूँ अापके हिंदू कृष्ण का नाम?" इसलिए हम नहीं कहते हैं कि कृष्ण, या भगवान ... भगवान के कई नाम हैं । यह हम स्वीकार करते हैं । यह नहीं है ... भगवान असीमित हैं । इसलिए, उनके असीमित नाम होने चाहिए । लेकिन यह कृष्ण शब्द बहुत सही है क्योंकि इसका मतलब है सर्व-आकर्षक । आप चर्चा कर सकते हो, "ईश्वर महान है ।" वो ठीक है । कैसे वह महान हैं? यह एक और समझ है । तो अगर आपको लगता है कि "कृष्ण हिंदू भगवान का नाम है क्यों मैं इसको जपूँ ?" तो चैतन्य महाप्रभु कहते हैं, "नहीं | " अगर आपके पास एक नाम है, भगवान का एक और विकल्प नाम, अाप उसका जप कर सकते हो । हमारा यही अनुरोध है कि आप भगवान के पवित्र नाम का जप करो । अगर अापके पास भगवान का कोई भी नाम है, तो आप जप करो । आप शुद्ध हो जाअोगे । यही हमारा प्रचार है ।