HI/Prabhupada 0960 - जो भगवान के अस्तित्व से इनकार करता हैं, वो पागल हैं: Difference between revisions

 
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प्रभुपाद: वास्तविक भोक्ता और पीड़ित आत्मा है, यह शरीर नहीं । जब आत्मा इस शरीर से बाहर चली जाती है, शरीर भोक्ता या पीड़ित नहीं रहता ; यह पदार्थ है । आनंद और दुख की भावना तब तक है जब तक आत्मा है । इसलिए आत्मा महत्वपूर्ण है । अौर अगर आप आत्मा का अध्ययन करते हैं, तब आप भगवान क्या हैं यह समझ सकते हैं ।
प्रभुपाद: वास्तविक भोक्ता और पीड़ा सहन करने वाला आत्मा होता है, यह शरीर नहीं । जब आत्मा इस शरीर से बाहर चली जाती है, शरीर भोक्ता या पीड़ित नहीं रहता; यह पदार्थ है । आनंद और दुःख की भावना तब तक है जब तक आत्मा है । इसलिए आत्मा महत्वपूर्ण है । अौर अगर आप आत्मा का अध्ययन करते हैं, तब आप भगवान क्या हैं यह समझ सकते हैं ।  


पीटर: आप कैसे जान सकते हैं कि आत्मा है ?
पीटर: आप कैसे जान सकते हैं कि आत्मा है ?  


प्रभुपाद: क्योंकि आप बोल रहे हैं । क्योंकि आप जिज्ञासा कर रहे हैं, मैं आत्मा को जानता हूं । क्योंकि आप आत्मा हैं, इसलिए आप जिज्ञासा कर रहे हैं । जैसे ही आत्मा अापके शरीर से बाहर चली जाती है, आप जिज्ञासा नहीं कर सकते हैं । जिज्ञासा समाप्त ।
प्रभुपाद: क्योंकि आप बोल रहे हैं । क्योंकि आप जिज्ञासा कर रहे हैं, मैं आत्मा को जानता हूं । क्योंकि आप आत्मा हैं, इसलिए आप जिज्ञासा कर रहे हैं । जैसे ही आत्मा अापके शरीर से बाहर चली जाती है, आप जिज्ञासा नहीं कर सकते हैं । जिज्ञासा समाप्त ।  


डॉ वोल्फ: क्या कोई ये कह सकता है कि आत्मा और जीवन एक समान हैं ? क्या अाप कह सकते हैं कि आत्मा और जीवन एक समान हैं ?
डॉ वोल्फ: क्या कोई ये कह सकता है कि आत्मा और जीवन एक समान हैं ? क्या अाप कह सकते हैं कि आत्मा और जीवन एक समान हैं ?  


प्रभुपाद: हाँ । समान ... जीवन आत्मा का लक्षण है । क्योंकि आत्मा है, इसलिए जीवन है । और जैसे ही आत्मा नहीं रहती, जीवन नहीं रहता । आकाश में सूर्य है, और प्रकाश भी है, धूप । जब सूरज ढलता है, प्रकाश नहीं रहता है; अंधेरा हो जाता है ।
प्रभुपाद: हाँ । समान... जीवन आत्मा का लक्षण है । क्योंकि आत्मा है, इसलिए जीवन है । और जैसे ही आत्मा नहीं रहती, जीवन नहीं रहता । आकाश में सूर्य है, और प्रकाश भी है, धूप । जब सूरज ढलता है, प्रकाश नहीं रहता है; अंधेरा हो जाता है ।  


डॉ ऑर: क्या शरीर को, फिर, विरोध किया जाए ? शरीर पर ध्यान नहीं दिया जाए, विरोध किया जाए, अनुशासित किया जाए ? आप क्या यह सुझाव दे रहे हैं ?
डॉ ऑर: क्या शरीर का, फिर, विरोध किया जाए ? शरीर पर ध्यान नहीं दिया जाए, विरोध किया जाए, अनुशासित किया जाए ? आप क्या ये सुझाव दे रहे हैं ?  


प्रभुपाद: उपेक्षित ?
प्रभुपाद: उपेक्षा करना ?  


बहुलाश्व : कैसे शरीर के साथ व्यवहार करें ?
बहुलाश्व : कैसे शरीर के साथ व्यवहार करें ?  


डॉ ऑर: आप कैसे शरीर के साथ व्यवहार करते हैं ?
डॉ ऑर: आप शरीर के साथ कैसे व्यवहार करते हैं ?  


प्रभुपाद: एक बुरे सौदे का सबसे अच्छा उपयोग करो । (हंसी) यह एक बुरा सौदा है । लेकिन हमें इसका उपयोग करना है ।
प्रभुपाद: एक बुरे सौदे का सबसे अच्छा उपयोग करो । (हंसी) यह एक बुरा सौदा है । लेकिन हमें इसका उपयोग करना है ।  


डॉ ऑर: जब आप कहते हैं, फिर, कि सब कुछ भगवान का अंशस्वरूप है, आप शरीर को इसमे शामिल नहीं करते हैं - शरीर दिव्य नहीं है ।
डॉ ऑर: जब आप कहते हैं, फिर, की सब कुछ भगवान का अंशस्वरूप है, आप शरीर को इसमे शामिल नहीं करते हैं - शरीर दिव्य नहीं है ।  


प्रभुपाद: हाँ ।
प्रभुपाद: हाँ ।  


भक्त: नहीं, वे कह रहे हैं कि जब हम कहते हैं कि सब कुछ भगवान का अंशस्वरूप है, शरीर एक अपवाद है । वे कहते है कि शरीर तब एक अपवाद है । शरीर भगवान का अंशस्वरूप नहीं है ?
भक्त: नहीं, वे कह रहे हैं कि जब हम कहते हैं कि सब कुछ भगवान का अंशस्वरूप है, शरीर एक अपवाद है । वे कहते है कि शरीर तब एक अपवाद है । शरीर भगवान का अंशस्वरूप नहीं है ?  


प्रभुपाद: नहीं, क्यों ? शरीर भी अंशस्वरूप है । हाँ, मैंने समझाया है ।
प्रभुपाद: नहीं, क्यों ? शरीर भी अंशस्वरूप है । हाँ, वो मैंने समझाया है ।  


डॉ जूडा : माया-शक्ति ।
डॉ जूडा: माया-शक्ति ।  


प्रभुपाद: हाँ, यह एक शक्ति है ।
प्रभुपाद: हाँ, यह एक शक्ति है ।  


डॉ ऑर: ओह, अच्छा ।
डॉ ऑर: ओह, अच्छा ।  


डॉ जूडा : श्री कृष्ण के निम्न शक्ति ।
डॉ जूडा : श्री कृष्ण की निम्न शक्ति ।  


डॉ ऑर: निम्न शक्ति ।
डॉ ऑर: निम्न शक्ति ।  


प्रभुपाद: सब कुछ भगवान की शक्ति है, शरीर भी भगवान की शक्ति है । तो शरीर का सबसे अच्छा उपयोग है भगवान की शक्ति को भगवान के लिए उपयोग किया जाना चाहिए । तो यह है ... शरीर अाध्यात्मिक हो जाती है । शरीर भी भगवान की शक्ति है और इसे भगवान की सेवा में लगाऍ तो फिर शरीर बुरा सौदा नहीं रहता, यह एक अच्छा सौदा है । (तोड़)
प्रभुपाद: सब कुछ भगवान की शक्ति है, शरीर भी भगवान की शक्ति है । तो शरीर का सबसे अच्छा उपयोग है भगवान की शक्ति को भगवान के लिए उपयोग किया जाना चाहिए । तो यह है... शरीर अाध्यात्मिक हो जाता है । शरीर भी भगवान की शक्ति है और इसे भगवान की सेवा में लगाऍ तो फिर शरीर बुरा सौदा नहीं रहता, यह एक अच्छा सौदा है । (तोड़)  


अगर किरायेदार सोचता है कि "यह अपार्टमेंट मेरा है, मैं मालिक हूँ" तो वह गलत है । अगर वह अच्छी तरह से जानता है कि यह मकान मालिक का है, "मुझे उपयोग के लिए दिया गया है," तो यह ज्ञान है ।
प्रभुपाद: अगर किरायेदार सोचता है कि "यह अपार्टमेंट मेरा है, मैं मालिक हूँ," तो वह गलत है । अगर वह अच्छी तरह से जानता है कि यह मकान मालिक का है, "मुझे उपयोग के लिए दिया गया है," तो यह ज्ञान है ।  


डॉ वोल्फ: श्रील प्रभुपाद, और किरायेदार को आसानी से निकाला जा सकता है ।
डॉ वोल्फ: श्रील प्रभुपाद, और किरायेदार को आसानी से निकाला जा सकता है ।  


प्रभुपाद: हाँ । निकाला जा सकता है । उस समय उसे पता चलता है कि कौन मालिक है, (हंसी) जब उसे धक्के देकर बाहार बाहर निकाला जाता है । यह भगवद गीता में भी कहा गया है: मृत्यु सर्व हरश चाहम ([[Vanisource:BG 10.34|भ गी १०।३४]]) जो भगवान में विश्वास नहीं कर रहे हैं, उनके लिए भगवान मौत के रूप में एक दिन आएँगे "अब मुझपर विश्वास करो । बाहर निकलो !" समाप्त । अापका गौरव समाप्त । अापका गौरव, अापकी संपत्ति, अापका परिवार, अापका बैंक बैलेंस, अापकाीगगनचुंबी इमारत - सब कुछ समाप्त : "समाप्त । चले निकलो ।" यह भगवान हैं । अब भगवान को समझो ? विश्वास करना या न करना, भगवान एक दिन आऍगे । वे अापको ले जाऍगे, अापका सब कुछ ले जाऍगे, अौर "बाहर निकलो !" यही भगवान हैं । आप विश्वास करो या नहीं, कोई फर्क नहीं पड़ता है । वही उदाहरण: किरायेदार विश्वास न करे मकान मालिक पर, लेकिन मकान मालिक अदालत का आदेश के साथ आ जाएगा, ", बाहर निकलो," तो आपको बाहर जाने ही होगा । बस । यह भगवद गीता में कहा गया है कि "भगवान में जो विश्वास नहीं करते हैं, उनके लिए मैं मौत के रूप में आता हूं और सब कुछ ले लेता हूं । समाप्त । " यह हमें विश्वास करना ही पड़ेगे "हाँ, मौत की तरह ही निश्चित ।" तब भगवान निश्चित हैं । आप चुनौती दे सकते हैं जब तक कुछ साल हैं अापके छोटे से जीवन के, (हंसी) लेकिन भगवान आऍगे और अापको अापके वर्तमान गौरव, प्रतिष्ठित पद से भगा देंगे "बाहर जाओ ।" जो बशर्त कोई पागल नहीं है, वह कह नहीं सकता है " कोई भगवान नहीं है ।" जो भगवान के अस्तित्व से इनकार करते हैं, वे पागल हैं
प्रभुपाद: हाँ । निकाला जा सकता है । उस समय उसे पता चलता है कि कौन मालिक है, (हंसी) जब उसे धक्के देकर बाहार बाहर निकाला जाता है । यह भगवद गीता में भी कहा गया है: मृत्यु सर्व हरश चाहम ([[HI/BG 10.34|भ.गी. १०.३४]]) | जो भगवान में विश्वास नहीं कर रहे हैं, उनके लिए भगवान मौत के रूप में एक दिन आएँगे, "अब मुझ पर विश्वास करो । बाहर निकलो !" समाप्त । अापका अभिमान समाप्त । अापका गौरव, अापकी संपत्ति, अापका परिवार, अापका बैंक बैलेंस, अापकाी गगनचुंबी इमारत - सब कुछ समाप्त: "समाप्त । चले निकलो ।" यह भगवान हैं । अब भगवान को समझे ? विश्वास करो या न करो, भगवान एक दिन आऍगे । वे अापको ले जाऍगे, अापका सब कुछ ले जाऍगे, अौर "बाहर निकलो !" यही भगवान हैं । आप विश्वास करो या नहीं, कोई फर्क नहीं पड़ता है ।  


डॉ वोल्फ: प्रभुपाद, क्या बेहतर नहीं होगा कि वह मूर्ख है, वह अंधा है ?
वही उदाहरण: किरायेदार विश्वास न करे मकान मालिक पर, लेकिन मकान मालिक अदालत के आदेश के साथ आ जाएगा, "बाहर निकलो," तो आपको बाहर जाना ही होगा । बस । यह भगवद गीता में कहा गया है कि "भगवान में जो विश्वास नहीं करते हैं, उनके लिए मैं मौत के रूप में आता हूं और सब कुछ ले लेता हूं । समाप्त । " यह हमें विश्वास करना ही पडेगा |  "हाँ, मौत की तरह ही निश्चित ।" तब भगवान निश्चित हैं । जब तक अापके छोटे से जीवन के कुछ साल हैं आप चुनौती दे सकते हैं, (हंसी) लेकिन भगवान आऍगे और अापको अापके वर्तमान गौरव, प्रतिष्ठित पद से भगा देंगे "बाहर निकलो ।" जो जहा तक कोई पागल नहीं है, वह कह नहीं सकता है " कोई भगवान नहीं है ।" जो भगवान के अस्तित्व से इनकार करता हैं, वो पागल हैं ।


प्रभुपाद: हाँ, एक ही बात है । पागलपन सब मूर्खता का समावेश है । (हंसी) जब मैं पागल कहता हूं, यह सभी प्रकार की मूर्खता का समावेश है । (एक तरफ :) अब आप उन्हें प्रसाद दे सकते हैं । मुझे लगता है हमने उनका काफी समय लिया है ।
डॉ वोल्फ:  प्रभुपाद, क्या ये कहना बेहतर नहीं होगा कि वह मूर्ख है, वह अंधा है ?
 
प्रभुपाद: हाँ, एक ही बात है । पागलपन में सभी मूर्खता का समावेश हो जाता है । (हंसी) जब मैं पागल कहता हूं, यह सभी प्रकार की मूर्खता का समावेश है । (एक तरफ:) अब आप उन्हें प्रसाद दे सकते हैं । मुझे लगता है हमने उनका काफी समय लिया है ।  
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Latest revision as of 17:43, 1 October 2020



750624 - Conversation - Los Angeles

प्रभुपाद: वास्तविक भोक्ता और पीड़ा सहन करने वाला आत्मा होता है, यह शरीर नहीं । जब आत्मा इस शरीर से बाहर चली जाती है, शरीर भोक्ता या पीड़ित नहीं रहता; यह पदार्थ है । आनंद और दुःख की भावना तब तक है जब तक आत्मा है । इसलिए आत्मा महत्वपूर्ण है । अौर अगर आप आत्मा का अध्ययन करते हैं, तब आप भगवान क्या हैं यह समझ सकते हैं ।

पीटर: आप कैसे जान सकते हैं कि आत्मा है ?

प्रभुपाद: क्योंकि आप बोल रहे हैं । क्योंकि आप जिज्ञासा कर रहे हैं, मैं आत्मा को जानता हूं । क्योंकि आप आत्मा हैं, इसलिए आप जिज्ञासा कर रहे हैं । जैसे ही आत्मा अापके शरीर से बाहर चली जाती है, आप जिज्ञासा नहीं कर सकते हैं । जिज्ञासा समाप्त ।

डॉ वोल्फ: क्या कोई ये कह सकता है कि आत्मा और जीवन एक समान हैं ? क्या अाप कह सकते हैं कि आत्मा और जीवन एक समान हैं ?

प्रभुपाद: हाँ । समान... जीवन आत्मा का लक्षण है । क्योंकि आत्मा है, इसलिए जीवन है । और जैसे ही आत्मा नहीं रहती, जीवन नहीं रहता । आकाश में सूर्य है, और प्रकाश भी है, धूप । जब सूरज ढलता है, प्रकाश नहीं रहता है; अंधेरा हो जाता है ।

डॉ ऑर: क्या शरीर का, फिर, विरोध किया जाए ? शरीर पर ध्यान नहीं दिया जाए, विरोध किया जाए, अनुशासित किया जाए ? आप क्या ये सुझाव दे रहे हैं ?

प्रभुपाद: उपेक्षा करना ?

बहुलाश्व : कैसे शरीर के साथ व्यवहार करें ?

डॉ ऑर: आप शरीर के साथ कैसे व्यवहार करते हैं ?

प्रभुपाद: एक बुरे सौदे का सबसे अच्छा उपयोग करो । (हंसी) यह एक बुरा सौदा है । लेकिन हमें इसका उपयोग करना है ।

डॉ ऑर: जब आप कहते हैं, फिर, की सब कुछ भगवान का अंशस्वरूप है, आप शरीर को इसमे शामिल नहीं करते हैं - शरीर दिव्य नहीं है ।

प्रभुपाद: हाँ ।

भक्त: नहीं, वे कह रहे हैं कि जब हम कहते हैं कि सब कुछ भगवान का अंशस्वरूप है, शरीर एक अपवाद है । वे कहते है कि शरीर तब एक अपवाद है । शरीर भगवान का अंशस्वरूप नहीं है ?

प्रभुपाद: नहीं, क्यों ? शरीर भी अंशस्वरूप है । हाँ, वो मैंने समझाया है ।

डॉ जूडा: माया-शक्ति ।

प्रभुपाद: हाँ, यह एक शक्ति है ।

डॉ ऑर: ओह, अच्छा ।

डॉ जूडा : श्री कृष्ण की निम्न शक्ति ।

डॉ ऑर: निम्न शक्ति ।

प्रभुपाद: सब कुछ भगवान की शक्ति है, शरीर भी भगवान की शक्ति है । तो शरीर का सबसे अच्छा उपयोग है भगवान की शक्ति को भगवान के लिए उपयोग किया जाना चाहिए । तो यह है... शरीर अाध्यात्मिक हो जाता है । शरीर भी भगवान की शक्ति है और इसे भगवान की सेवा में लगाऍ तो फिर शरीर बुरा सौदा नहीं रहता, यह एक अच्छा सौदा है । (तोड़)

प्रभुपाद: अगर किरायेदार सोचता है कि "यह अपार्टमेंट मेरा है, मैं मालिक हूँ," तो वह गलत है । अगर वह अच्छी तरह से जानता है कि यह मकान मालिक का है, "मुझे उपयोग के लिए दिया गया है," तो यह ज्ञान है ।

डॉ वोल्फ: श्रील प्रभुपाद, और किरायेदार को आसानी से निकाला जा सकता है ।

प्रभुपाद: हाँ । निकाला जा सकता है । उस समय उसे पता चलता है कि कौन मालिक है, (हंसी) जब उसे धक्के देकर बाहार बाहर निकाला जाता है । यह भगवद गीता में भी कहा गया है: मृत्यु सर्व हरश चाहम (भ.गी. १०.३४) | जो भगवान में विश्वास नहीं कर रहे हैं, उनके लिए भगवान मौत के रूप में एक दिन आएँगे, "अब मुझ पर विश्वास करो । बाहर निकलो !" समाप्त । अापका अभिमान समाप्त । अापका गौरव, अापकी संपत्ति, अापका परिवार, अापका बैंक बैलेंस, अापकाी गगनचुंबी इमारत - सब कुछ समाप्त: "समाप्त । चले निकलो ।" यह भगवान हैं । अब भगवान को समझे ? विश्वास करो या न करो, भगवान एक दिन आऍगे । वे अापको ले जाऍगे, अापका सब कुछ ले जाऍगे, अौर "बाहर निकलो !" यही भगवान हैं । आप विश्वास करो या नहीं, कोई फर्क नहीं पड़ता है ।

वही उदाहरण: किरायेदार विश्वास न करे मकान मालिक पर, लेकिन मकान मालिक अदालत के आदेश के साथ आ जाएगा, "बाहर निकलो," तो आपको बाहर जाना ही होगा । बस । यह भगवद गीता में कहा गया है कि "भगवान में जो विश्वास नहीं करते हैं, उनके लिए मैं मौत के रूप में आता हूं और सब कुछ ले लेता हूं । समाप्त । " यह हमें विश्वास करना ही पडेगा | "हाँ, मौत की तरह ही निश्चित ।" तब भगवान निश्चित हैं । जब तक अापके छोटे से जीवन के कुछ साल हैं आप चुनौती दे सकते हैं, (हंसी) लेकिन भगवान आऍगे और अापको अापके वर्तमान गौरव, प्रतिष्ठित पद से भगा देंगे "बाहर निकलो ।" जो जहा तक कोई पागल नहीं है, वह कह नहीं सकता है " कोई भगवान नहीं है ।" जो भगवान के अस्तित्व से इनकार करता हैं, वो पागल हैं ।

डॉ वोल्फ: प्रभुपाद, क्या ये कहना बेहतर नहीं होगा कि वह मूर्ख है, वह अंधा है ?

प्रभुपाद: हाँ, एक ही बात है । पागलपन में सभी मूर्खता का समावेश हो जाता है । (हंसी) जब मैं पागल कहता हूं, यह सभी प्रकार की मूर्खता का समावेश है । (एक तरफ:) अब आप उन्हें प्रसाद दे सकते हैं । मुझे लगता है हमने उनका काफी समय लिया है ।