HI/Prabhupada 0013 - आध्यात्मिक कार्य चौबीस घंटे

Revision as of 17:58, 17 September 2020 by Vanibot (talk | contribs) (Vanibot #0019: LinkReviser - Revise links, localize and redirect them to the de facto address)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)


Lecture on BG 2.49-51 -- New York, April 5, 1966

योग: कर्मसु कौशलम् (भ गी २.५०) । कौशलम् का अर्थ है निपुण चाल, निपुण चाल । जैसे दो पुरुष काम कर रहे हैं । एक आदमी बहुत निपुण है, एक और आदमी इतना निपुण नहीं है । यहां तक ​​कि मशीनरी में भी । मशीन में कुछ गड़बड़ है । जो आदमी बहुत विशेषज्ञ नहीं है, वह दिन रात पूरी कोशिश कर रहा है, इसे कैसे ठीक किया जाए , लेकिन विशेषज्ञ आता है और एक बार में दोष का पता लगा लेता है, अौर वह एक तार को जोड़ता है, इस तरह अौर उस तरह से, अौर मशीन काम करने लग जाती है । ह्रम्, ह्रम् ,ह्रम् ,ह्रम्, ह्रम् , ह्रम् । तुम समझ रहे हो ? जिस तरह से हमें कभी कभी अपने इस टेप रिकॉर्डर में कठिनाई अाती है, और श्रीमान कार्ल या कोई अौर आता है उसे ठीक कर देता है । तो हर चीज़ में कुछ विशेष ज्ञान की आवश्यकता है । तो कर्म, कर्म का अर्थ काम होता है । हमे काम करना ही है । काम के बिना, हमारा यह शरीर और आत्मा चल नहीं सकते हैं । यह एक बहुत ही गलत धारणा है कि जो.... आध्यात्मिक प्राप्ति में लगा है, उसे काम नहीं करना पडता है । नहीं, उसे और अधिक काम करना पडता है । जो व्यक्ति आध्यात्मिक प्राप्ति के लिए प्रयत्न नहीं कर रहे हैं, वे लगे हुए हैं आठ घंटे के लिए ही काम में, लेकिन जो आध्यात्मिक प्राप्ति में लगे हुए हैं, ओह, वे चौबीस घंटे लगे हुए हैं, चौबीस घंटे । फर्क यही है । और वह फर्क है ... तुम पाअोगे भौतिक धरातल पर, देहात्मबुद्धि में, अगर तुम केवल आठ घंटे के लिए काम करते हो, तो तुम्हे थकान महसूस होगी । लेकिन आध्यात्मिक उद्देश्य, अगर तुम चौबीस घंटे से अधिक काम करते हो ... दुर्भाग्य से, तुम्हारे पास चौबीस घंटे से ज्यादा नहीं है । फिर भी, तुम थकान महसूस नहीं करोगे । मैं तुम्हे बता रहा हूँ । यह मेरा व्यावहारिक अनुभव है । यह मेरा व्यावहारिक अनुभव है ।

और मैं यहाँ हूँ, हमेशा काम कर रहा हूँ, कुछ पढ़ना या लिखना, कुछ पढ़ना या लिखना, चौबीस घंटे । केवल मुझे जब भूख लगती है, मैं कुछ भोजन कर लेता हूँ । और केवल जब मुझे नींद अाती है, मैं सो जाता हूँ । अन्यथा, हमेशा, मैं थकान महसूस नहीं करता । तुम श्रीमान पॉल से पूछ सकते हो कि मैं यह कर रहा हूँ या नहीं । तो मैं, मैं ऐसा करने में आनंद लेता हूँ । मैं थकान महसूस नहीं करता । इसी तरह, जब किसी व्यक्ति को आध्यात्मिक समझ होगी, तब उसे महसूस नहीं होगा ... बल्कि, वह, उसे सोने में निराशा महसूस होगी, सोने के लिए, "ओह, नींद केवल परेशान करने के लिए आई है ।" समझ रहे हो ? वह अपने नींद का समय कम करना चाहता है । तो... अब, जैसा कि हम प्रार्थना करते हैं, वंदे-रूप-सनातनौ रघु-युगौ श्री जीव-गोपालकौ । यह छह गोस्वामी, भगवान चैतन्य द्वारा प्रतिनियुक्त थे इस विज्ञान पर चर्चा करने के लिए । उन्होने इसपर विशाल साहित्य लिखा है । तुम समझ रहे हो ? तो तुम्हे आश्चर्य होगा कि वे सो रहे थे केवल डेढ़ घंटे के लिए रोज़, उससे अधिक नहीं । वह भी, कभी कभी वे छोड़ देते थे ।